शाजी वर्घीज़
हममें से बहुत से लोग यह नहीं जानते कि आवास यानि घरों की मांग सबसे ज़्यादा सेल्फ-एम्पलॉयड कैटेगरी (अपना काम करने वालों) में होती है, लेकिन इन लोगों की क्रेडिट रेटिंग कम होती है और इसीलिए होम लोन लेकर घर खरीदना इनके लिए मुश्किल होता है। किंतु पिछले कुछ सालों के दौरान तीन कारणों से होम लोन मिलना आसान हो गया है। एक हाउसिंग फाइनेन्स कंपनियां इन लोगों के प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए नए उत्पाद लेकर आई हैं। दूसरा सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मेक इन इण्डिया, स्टार्टअप इण्डिया और स्किल इण्डिया आदि में कारोबारियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और तीसरा बाज़ार में पहले से कहीं अधिक फाइनेन्शियल संस्थान हो गए हैं।
जोखिम ज़्यादा होने के बावजूद सेल्फ एम्पॅलायड कैटगरी की पुनर्भुगतान क्षमता अधिक होती है। कई कंपनियां अब इस बात पर ध्यान देने लगी हैं कि इस समूह की अनदेखी न की जाए। इनकी होम लोन की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए कस्टमाइज़्ड प्रोडक्ट पेश किए गए हैं, जिनमें ऋण वितरण में कम समय लगता है और उपभोक्ता को कम ब्याज पर ऋण मिल जाता है।
आइए देखें कि वित्तीय संस्थान सेल्फ एम्पलॉयड लोगों के लिए होम लोन को मंजूरी देने से पहले किन बातों पर ध्यान देते हैं।
आयः ऋण को मंजूरी देने के लिए सबसे पहले आपकी पुनर्भुगतान क्षमता, क्रेडिट के इतिहास और सिक्योरिटी पर ध्यान दिया जाता है, आवेदनकर्ता के आय स्रोतों का मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए बैंक आपसे बैलेंस शीट, प्रॉफिट एवं लॉस अकाउन्ट, इंकम टैक्स रिटर्न आदि का विवरण लेता है। इसके अलावा अन्य आय जैसे प्रॉपर्टी से आने वाले किराए, निवेश से होने वाली आय आदि का मूल्यांकन भी किया जात है। वित्तयी संस्थान विशेष आय प्रोग्राम भी पेश करते हैं। जिसके अनुसार सेल्फ एम्पलॉयड उपभोक्ता की आय का मूल्यांकन उसके लेनदेनों, इंकम टैक्स रिटर्न, मुनाफ़े आदि के अनुसार किया जाता है। इससे उपभोक्ता की पुनर्भुगतान क्षमता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है और तदनुसार ऋण को मंजूरी दी जाती है।
आईटी रिटर्नः यह दस्तावेज आय के सत्यापन के लिए बेहद ज़रूरी है। वित्तीय संस्थान आपकी आय एवं मुनाफे का मूल्यांकन करने के लिए पिछले दो तीन साल की इंकम टैक्स रिटर्न देखता है।
क्रेडिट का इतिहासः वित्तीय संस्थान आपका क्रेडिट स्कोर जांचता है। इससे आपकी ऋण पुनर्भुगतान क्षमता और जोखिम के बारे में जानकारी मिलती है। सेल्फ एम्पलॉयड आवेदनकर्ता को घर की खरीद पर ज़्यादार डाउन पेमेंट करनी पड़ती है, साथ ही आवेदन के समय उसके पास अतिरिक्त बचत और अच्छा क्रेडिट स्कोर भी होना चाहिए।
प्रॉपर्टी का मूल्यांकनः वित्तीय संस्थान आवेदनकर्ता का मूल्यांकन करने के बाद प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करता है। इसमें किसी भी तरह की समस्या होने पर होम लोन को अस्वीकृत किया जा सकता है, चाहे व्यक्ति की आय संतोषजनक हो।
मौजूदा ऋणः अगर व्यक्ति का पहले से कोई ऋण चल रहा हो तो ईएमआई-टू-इंकम अनुपात के आधार पर होम लोन की राशि समायोजित की जाती है जो 50 से 60 फीसदी हो सकती है।
भुगतान की अवधि- आजकल हाउसिंग फाइनेन्स कंपनियां 20 साल तक का होम लोन देती हैं। वे शुरूआत में कम ईएमआई से शुरूआत कर सकती है और आय बढ़ने पर ईएमआई बढ़ा सकती हैं। कई वित्तीय संस्थान और हाउसिंग फाइनेन्स कंपनियां कम ईएमआई से शुरूआत करती हैं और बाद में आय बढ़ने पर ईएमआई की राशि बढ़ा देती हैं।
सेल्फ एम्पलॉयड लोगों के लिए होम लोन का बाज़ार अब सशक्त हो रहा है, क्योंकि हाउसिंग फाइनेन्स कंपनियां अब उपभोक्ताओं की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए निर्माणाधीन, रेडी पौज़ेशन या रीसेल सम्पत्तियों पर या यहां तक कि प्लॉट पर निर्माण के लिए भी ऋण दे रही हैं।
लेखक पीएनबी हाउसिंग फाइनेन्स के एक्ज़क्टिव डायरेक्टर और बिज़नेस हैड हैं।
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