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Wednesday, October 24, 2018

वर्ष 2030-31 तक देश में 300 मिलियन टन की इस्‍पात क्षमता सृजित होगी, उड़ीसा में प्रयास शुरू

By the 2030 Indian steel manufacturing cpecity may hit 300 .








भूवनेश्वर​ में आयोजित इस्‍पात सम्‍मेलन में हुए 38 एमओयू
     विश्‍व भर के पूंजीगत सामान (सीजी) के उत्‍पादकों ने भारत की इस्‍पात कंपनियों के साथ 38 सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए हैं, जिससे इस्‍पात क्षेत्र के लिए आयात 39,400 करोड़ रुपये कम हो जाएगा। आज भुवनेश्‍वर में आयोजित सम्‍मेलन में इन सहमति पत्रों पर हस्‍ताक्षर किए गए। इस सम्‍मेलन का आयोजन भारत सरकार के इस्‍पात मंत्रालय ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और मेकॉन के सहयोग से किया।
     राष्‍ट्रीय इस्‍पात नीति 2017 में वर्ष 2030-31 तक देश में 300 मिलियन टन की इस्‍पात क्षमता सृजित करने की परिकल्‍पना की गई है, जो फिलहाल 130 मिलियन टन है। 300 मिलियन टन की इस्‍पात क्षमता हासिल करने के लिए संयंत्रों एवं उपकरणों का अनुमानित आयात लगभग 25 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा। यही नहीं, 300 मिलियन टन की इस्‍पात क्षमता हासिल करने के लिए कलपुर्जों की आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु भारत को हर साल ट्रेडमार्क युक्‍त कलपुर्जों के साथ-साथ अन्‍य कलपुर्जों के आयात पर लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने होंगे।
    इस्‍पात मंत्री चौधरी बीरेन्‍द्र सिंह ने कहा कि आज हस्‍ताक्षरित एमओयू को अंतत: पूंजीगत सामान के निर्माण में तब्‍दील करने के लिए इस्‍पात मंत्रालय द्वारा एक खरीद वरीयता नीति तैयार की जा रही है, जिसमें पूंजीगत सामान सहित इस्‍पात उत्‍पादों की समस्‍त खरीद को कवर किया जाएगा। इससे यह सुनि‍श्चित होगा कि जो उत्‍पाद और उत्‍पाद श्रेणियां ‘घरेलू निर्मित लौह एवं इस्पात नीति’ के अंतर्गत कवर नहीं की जाती हैं, उन्‍हें तैयार की जानी वाली प्रस्‍तावित नीति के तहत कवर किया जाएगा और जिसे औद्योगिक नीति एवं सवंर्धन विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है।
    ओडिशा के मुख्‍यमंत्री  नवीन पटनायक ने अपने मुख्‍य भाषण में कहा कि आज हस्‍ताक्षरित एमओयू में भारत को एक विश्‍वस्‍तरीय विनिर्माण केन्‍द्र (हब) में तब्‍दील करने की क्षमता है। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि ओडिशा में खनिजों का भंडार है और देश के कुल खनिज उत्‍पादन में इसका योगदान 14 प्रतिशत है। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि ओडिशा में एक प्रमुख इस्‍पात केन्‍द्र के रूप में उभरने की क्षमता है।
     भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री अनंत जी. गीते ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की विनिर्माण कंपनियों के पास समस्‍त गैर-ट्रेडमार्क चीजें बनाने की क्षमता है और सरकार क्षमता निर्माण के लिए देश के पूंजीगत सामान उत्‍पादकों और उनके विदेशी समकक्षों के बीच तकनीकी गठबंधन को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री अनंत गीते ने ओडिशा में ठीक वैसा ही एक मशीन टूल हब बनाने का सुझाव दिया, जैसा कर्नाटक में भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा स्‍थापित किया गया है।
     इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने कहा कि ओडिशा में बड़ी या मेगा इस्‍पात परियोजनाओं के अलावा छोटी एवं मझोली इस्‍पात मिलें भी हैं, जो राज्‍य के कुल इस्‍पात उत्‍पादन में उल्‍लेखनीय योगदान करती हैं। उन्‍होंने कहा कि ओडिशा में विशाल खनिज भंडार होने के मद्देनजर इस राज्‍य में वर्ष 2030-31 के लिए लक्षित 300 मिलियन टन के कुल उत्‍पादन में से लगभग 100 मिलियन टन का उत्‍पादन करने की क्षमता है। उन्‍होंने ओडिशा में एक मशीन टूल पार्क स्‍थापित करने संबंधी भारी उद्योग मंत्री के प्रस्‍ताव का स्‍वागत किया।
     इस्‍पात मंत्रालय में सचिव  बिनय कुमार ने कहा कि पूंजीगत सामान उद्योग को मजबूत बनाने से हितधारकों को फायदा होगा, क्‍योंकि प्रतिस्‍पर्धा बढ़ेगी। उन्‍होंने कहा कि इससे परियोजनाओं की पूंजीगत लागत कम करने में मदद मिलेगी।
     वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के एडम स्‍जेवजिक ने कहा कि अनुकूल आर्थिक स्थितियों और महत्‍वाकांक्षी सुधार एजेंडे के मद्देनजर अल्‍पकालिक एवं मध्‍यमकालिक अवधि में भारत में इस्‍पात की मांग बढ़ना तय है। उन्‍होंने कहा कि भारत जल्‍द ही विश्‍व का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा।
    इस सम्‍मेलन में इस्‍पात मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों, सेल एवं भेल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और देश-विदेश की अन्‍य इस्‍पात कंपनियों के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने भाग लिया।

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