जयपुर। चीन के निवासियों को भारत की काली चाय बहुत पसंद आ रही है और वहां के मार्केट में भारत की चाय की मांग निरंतर रूप से बढ़ती जा रही है। इससे भारत के चाय निर्यात में बढत की संभावना है। गौरतलब है कि गत वर्ष भारत से करीब 9 मिलियन टन चाय का निर्यात चीन को हुआ था, जो कि चीन के कुल चाय आयात का करीब 30% हिस्सा है।
भारत में करीब 2550 मिलियन किलो हरी चाय का उत्पादन हुआ और करीब 1278 मिलियन किलो काली चाय का उत्पादन हुआ। भारत चीन में चाय निर्यात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। गौरतलब है कि भारतीयों में ग्रीन टी के प्रति इतना उत्साह नहीं जितना चीनियों में है।चीन में ग्रीन टी पीना एक परंपरा के समान है। चीन के जवान लोग अब भारत की काली चाय के प्रति अपना उत्साह दिखा रहे हैं।
अपनी और जिन गुणों के कारण ग्रीन टी भारत में काफी प्रचलित हो रही है वहीं चीन में काली चाय भी पसंद की जाने लगी है। इससे आने वाले समय में भारत में ग्रीन टी और हर्बल टी का याद बढ़ेगा और यहां से काली चाय का निर्यात बढ़ेगा। भारत के चाय उत्पादक और निर्यातक यूरोपीय यूनियन के स्टैंडर्ड के अनुसार चाय का निर्माण करते हैं। वहीं भारत अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार को एक कारोबारी संभावना के रूप में देखता है और चीन के मार्केट में बढत बनाने का प्रयास कर रहा है। इसके तहत भारत चीन में कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है और इसमें चाय का निर्यात भी शामिल है। इससे विशेषज्ञों को उम्मीद है कि भारत चीन के साथ अपना बढ़ता हुआ व्यापार घाटा कम करने में सफल होगा।
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