नई दिल्ली। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, नौवहन और रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में तेज आवाज वाले मोटर बाइकों में कम्पनी की ओर से लगाये गये साइलनसरों को बदलने/रूपान्तरित करने की मनाही की गई है। उपर्युक्त अधिनियम की धारा-52 (1) में यह भी उल्लेख किया गया है कि मोटर वाहन का कोई भी मालिक वाहन में ऐसा कोई बदलाव नहीं करेगा, जिससे पंजीकरण प्रमाण-पत्र में शामिल विवरण में निर्माता द्वारा मूल रूप से निर्धारित विवरणों में कोई अंतर हो। इसके अलावा, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा-52 का उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा-190 और 191 के तहत दंडित किया जा सकता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केन्द्रीय मोटन वाहन नियमावली, 1989 के प्रावधानों को संबंधित राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा लागू किया जाता है।
यह भी बताया गया कि अधिनियम के तहत वाहनों में ऐसा कोई मल्टी-टोन्ड हॉर्न अथवा अऩावश्यक तौर पर कर्कश, कर्णभेदी, तीव्र और चेतावनी की ध्वनि पैदा करने वाला कोई अऩ्य उपकरण लगाने से भी मना किया गया है, जिससे अनेक ध्वनियां निकले। इस निषेध से एम्बुलेंस, अग्मिशमन वाहनों आदि को मुक्त रखा गया है। स़ड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों में मल्टीटोन्ड हॉर्न को अनधिकृत रूप में लगाए जाने के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए निर्देश भी जारी किये हैं।
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Friday, December 28, 2018
गाड़ी में लगाया भोंपू तो इस कानून के तहत मिलेगी सजा
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