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Thursday, February 28, 2019

ट्रेडिशनल जडाऊ और पोल्की गहनों की असलियत को सुनिश्चित करता है आईजीआई सर्टिफिकेशन


  IGI certifies traditional Jadau & Polki jewelry - Confluence of 'Regalia' & 'Assurance'

मुंबई । इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (IGI) यह एक रत्नों (नगीनों) का सर्टिफिकेशन और एप्रैज़ल करने वाली विश्व में सबसे बड़ी स्वतंत्र संस्था है, जो पारम्परिक जडाऊ और पोल्की गहनों को सर्टिफाय करती है। IGI ट्रेडिशनल ज्वैलरी रिपोर्ट यह एक सीमाचिह्न बन गया है और समझदार खरीदारों को बनावटी गहनों से वास्तविक जडाऊ गहनों को पहचानने में; साथ ही मूल पोल्की निर्मिती और कांच सदृश डिजाइन के बीच अंतर समजने में भी मदद करता है।
जडाऊ गहनों को ट्रेडिशनल इंडियन क्राफ्ट्समनशिप समजा जाता है।  जडाऊ तैयार करने की तकनीक में कच्चे हीरे और कांच का उपयोग किया हुआ हो सकता है। कच्चे हीरो का उपयोग करके तैयार किए गए गहनों को आम तौर पर पोल्की कहा जाता है जबकि रत्न-नगीनों जैसे विभिन्न इमिटेशन का उपयोग करके तैयार किए गए गहनों को कुंदन कहा जाता है। इन दोनो प्रकार के गहनों को नीचे से तामचीनी की जाती है।
ज्वैलरी सर्टिफिकेशन क्षेत्र में अग्रणी, IGI ने जडाऊ, पोल्की और कुंदन के बीच के अंतर को स्पष्ट करने की ग्राहकों की आवश्यकता को समझा है; और आज 'IGI ट्रेडिशनल ज्वेलरी रिपोर्ट' यह एक प्रमुख विश्वसनीय घटक साबित हुआ है जो मूल्य-जागरूक ग्राहकों को अपने गहने पूर्ण शांति के साथ खरीदने में मदद करता है। सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को विक्रेताओं द्वारा भी प्रोत्साहित किया जाता है जो अब अपनी बिक्री का माल आत्मविश्वास के साथ बेच सकते हैं।
IGI-भारत के प्रबंध संचालक श्री तेहमास्प प्रिंटर ने कहा, ऐश्वर्य में ग्राहकों का आत्मविश्वास उत्कट होता है! क्लासिक भारतीय नववधू के लिए बनाए गए पारम्परिक क्राफ्ट्समनशिप का सही उदाहरण जडाऊ गहने है। गहनों की आकर्षकता उनकी निर्मिती की विश्वसनीयता में है और IGI में, ट्रेडिशनल ज्वेलरी सर्टिफिकेशन के क्षेत्र में पायनियर बने रहने की हमें खुशी है।”
“यथास्थान उन्नत मानकों के साथ, वैश्विक मोर्चे पर भारतीय पारम्परिक डिझाइन को प्रवेश की दिशा में योगदान देने की IGI संस्था उम्मीद करती है। अपनी पूर्ण मोहकता में वैध जडाऊ गहने खरीदना हर ग्राहक का अधिकार है और कुंडन तथा कुंदन जैसे गहनों से पोल्की गहने अलग करने की एक तकनीक उनको अवगत कराना महत्वपूर्ण है। डायमन्ड, जेमस्टोन और डायमन्ड ज्वैलरी सर्टिफिकेशन क्षेत्र में विश्व मे अग्रणी नाम होने के नाते, अंतिम ग्राहकों को आत्मविश्वास की भावना दिलाना यह IGI खुदकी जिम्मेदारी समझता है।” ऐसा श्री प्रिंटर ने आगे कहा।
पिछले कुछ वर्षों में, कुछ भी प्रकट न करते हुए पोल्की की मूल डिझाइन को कांच में नकल करने के अनेक प्रयास किए गए हैं। इस प्रकार के गहनों की खरीदी करने में देशभर के सूज्ञ ग्राहकों को संभाव्य खतरों का एहसास हुआ है। कांच के नगीनो में से कच्चे हिरे अलग करने की असमर्थता होने से और अप्रामाणिक प्रथाओं की चलन बढ़ने से जडाऊ की खरीदी करने वाले उत्साही ग्राहक उनकी खरीदी करने का सोचते नहीं। एका योग्य प्राधिकारी से वेलिडेशनची कमी की वजह से ग्राहकों के मन में यह डर पैदा हुआ है जिन को लगता है कि कांच के नगीनों की बजाए उनके गहनों में कच्चे हिरे होने चाहिए।
ट्रेडिशनल ज्वैलरी: जडाऊ, पोल्की और कुंदन – रेगालिया और ऍश्युरंस का संगम
जडाऊ गहनों की सुंदरता यानि तुलना से परे महारत, कला का अप्रतिम नमूना और भारतीय शादीओं में सुरूचिपूर्ण ढंग से बुना गया एक पुराना स्वप्न। समृद्ध मुगल वंश और उनके सांस्कृतिक विस्तार से प्रेरित, इन गहनों का मुख्य रूप से देश के उत्तरी भागों में जतन और निर्माण किया जाता है। 'जडाऊ' यह शब्द मुख्यत: पारम्परिक डिझाइन तैयार करने के लिए उपयोग में ली जाने वाली तकनीक का उल्लेख करता है जबकि पोल्की और कुंदन गहने जडाऊ के प्रकार हैं।
कुंदन गहनों में से पोल्की गहने अलग करने वाला घटक यानि पोल्की गहनों में कच्चे हिरे उपयोग में लिए जाते हैं जबकि कुंदन यह मूलत: कांच का नगीना है। उनमें उपयोग किए जाने वाले हिरों के उत्पत्ती स्थान की वजह से, पोल्की गहनों की प्रशंसा की जाती है और उनका मूल्यमापन किया जाता है। यह शैली भारत में मुगलों ने शुरू की थी, जबकि कुंदन, जैसा कि नाम है, यह राजस्थान की एक पारम्परिक शैली है। शुरूआती समय में, रईस लोग और धनिक राजघरानों ने निश्चित ही इस शैली की प्रशंसा की होगी जो उन्हें सुशोभित करती थी, लेकिन समय रहते ये गहने सब से खास भारतीय विरासत शादीओं में ही दिखाई देते हैं जो लोगों का उत्साह बढ़ाते हैं। बॉलीवूडने अपनी परिस्थिति में सुधार करने की वजह से, पिछले दशक में जडाऊ की मांग बढ़ गई है और अपनी एक खास जगह निर्माण की है।
पूरे राजस्थान में मुगल और भारतीय समकालीन डिजाइनों के साथ-साथ पूर्णता के साथ परिपक्व ऐसा एक मनोहर शादी का दृश्य आज अजेय अवधारणा है और कच्चे हिरे इसे पूरा करते हैं।
1975 में इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (IGI) की स्थापना एन्टवर्प में की गई जो समग्र विश्व में सबसे बड़ी स्वतंत्र जेम सर्टिफिकेशन और एप्रैझल संस्था है जिसके कार्यालय एन्टवर्प, न्यू योर्क, होंग कोंग, भारत, बेंगकोक, टोकियो, दुबई, तेल अविव, केवेलेस, टोरोन्टो, लोस एन्जलिस और शांघाई में स्थित हैं। भारत में, IGI की मुंबई में 6 और कोलकाता, नई दिल्ही, थ्रिस्सुर, सुरत, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद और जयपुर में एक-एक प्रयोगशाला है। चार राष्ट्रों में IGI संस्था ISO (इंटरनेशनल ओर्गनाइझेशन फोर स्टेडर्डाइझेशन ISO/IES 17025:2005 प्रमाणित संस्था है। विश्व में, हीरे, जेमस्टोन और गहने खरीदी या बिक्री करते वक्त IGI प्रमाणपत्र की वजह से आत्मविश्वास बढ़ता है। ग्राहकों की समस्या जान लेने की संपूर्ण प्रतिबद्धताने, IGI को ग्राहकों के लिए व्यापक विश्लेषण और स्पष्ट दस्तऐवजीकरण विकसित करने के लिए प्रेरित किया है। IGI का प्रमाणपत्र सबसे महत्वपूर्ण 5 वे C का प्रतिनिधित्व करता है कि कोई भी व्यक्ती बिना-आत्मविश्वासपूर्ण न हो। हिरे, रंगीत जेमस्टोन और गहनों के लिए विश्व में सबसे बड़ी स्वतंत्र जेम सर्टिफिकेशन और एप्रैझल संस्था होने के नाते, IGI विश्व में उद्योग व्यावसायिक और ग्राहकों के लिए श्रेष्ठता का एक मानक है।

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