जयपुर। राजस्थान के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में काफी सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं,राज्य के दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो अब प्रतिष्ठित एनएबीएच (नाभ) से मान्यता भी प्राप्त कर चुके हैं। वाधवानी इनिशिएटिव ऑफ सस्टेनेबल हेल्थकेयर (विश) द्वारा संचालित पीएचसी चुरू जिले के खंडवा पट्टाऔर सवाई माधोपुर जिले के भदोई में स्थित पीएचसी को नाभ से प्रमाणन मिल गया है।
विशेषज्ञोँ के समूह द्वारा गहन मंत्रणा के बाद पीएचसी के लिए नाभ ऐक्रेडिटेशन के मानक तय किए गए हैं जिनमे प्राथमिक रूप से प्रॉसीजर, प्रैक्टिस और उपकरणोँ पर ध्यान दिया गया है। नाभ से प्रमाण मिलने का मतलब है कि सम्बंधित पीएचसी में सभी हालिया अनिवार्य मानकोँ का पालन किया जा रहा है जो कि बेहतर क्लीनिकल परिणामो और मरीज सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं,खासतौर से सुविधा और उपकरण प्रबंधन, संक्रमण से बचाव, सुरक्षा मशीनरी आदि के सम्बंध में। नाभ से प्रमाण हासिल करने वाली राजस्थान की ये पहली पीएचसी हैं। नाभ एक राष्ट्रीय बॉडी है जो क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया का एक संवैधानिक अंग है जो बेंचमार्क निर्धारित करता है और स्वास्थ्य उद्योग की गुणवत्ता और प्रगति का मूल्यांकन करता है। नाभ का प्रमाण पत्र तीन वर्षोँ के लिए मिलता है, ऐसे में पीएचसी का मूल्यांकन फिरसे 2022 में होगा।
राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति में सुधार की दिशा में यह विकास एक बडा कदम साबित होगा, जो आमतौर पर अब तक खराब स्थिति में ही रहा है। विश द्वारा जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में जो आविष्कार लागू किए गए हैं वे राज्य के उन जिलोँ की स्थिति में बडा बदलाव लेकर आ रहे हैं जो अब तक पिछडे रहे हैं।
मौजूदा समय में देश भर की सिर्फ 64 पीएचसी को ही नाभ से मान्यता प्राप्त है जिनमे से अधिकतर (52) महाराष्ट्र में हैं।
साथ ही एक अन्य प्रगति के तहत बरोद (कोटा जिला) में विश द्वारा संचालित एक पीचसी व दो अन्य केंद्रोँ को प्रतिष्ठित कायाकल्प सम्मान प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राजस्थान सरकार की ओर से वर्ष 2018-2019 के लिए दिया गया है। जिले की सभी पीएचसी में से सवाई माधोपुर स्थित भदोई पीएचसी ने सबसे आगे पाई गई है।
कायाकल्प अवॉर्ड विजेताओँ को 26 जनवरी 2019 को जिला स्तर पर आयोजित 70वेँ गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान प्रदान किया गया।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवम परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित कायाकल्प अवॉर्ड उन जन स्वास्थ्य सुविधाओँ को दिया जाता है जो स्वच्छता, सफाई और संक्रमण नियंत्रण की दिशा में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।
कायाकल्प अवॉर्ड के लिए सभी जिलोँ से नॉमिनेशन मंगाए जाते हैं जिसका सन्योजन जिला स्तर की अवॉर्ड कमिटी जिला कलेक्टर/चीफ मेडिकल अथवा हेल्थ ऑफिसर की अध्यक्षता में जिला स्तर की अवॉर्ड कमिटी द्वारा किया जाता है। एक इंटर्नल पीअर-असेसमेंट प्रोग्राम के तहत जिला स्तर पर नामित केंद्रोँ को स्कोर दिया जाता है।
राज्य स्तर पर, राज्य स्तर की अवॉर्ड कमिटी प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेटरी अथवा मिशन डायरेक्टर की अध्यक्षता में बैठक के दौरान अंतिम विजेता का नाम तय किया जाता है।
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