- ग्राहकों की निर्णय प्रक्रिया पर डिजिटलीकरण का गहरा प्रभाव
इंडियनब्लूबुक ने ‘इंडियन प्री-ओन्ड कार मार्केट रिपोर्ट’ 2019 का तीसरा संस्करण जारी किया
वित्त वर्ष’22 पर एक नजर
भारतीय प्री-ओन्ड कार इंडस्ट्री को वित्त वर्ष’22 तक 6.7 से 7.2 मिलियन कार/वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद
प्री-ओन्ड कार और संबद्ध इंडस्ट्री वित्त वर्ष’22 तक लगभग 50,000 करोड़ रु. की होगी
लगभग 30 प्रतिशत सी2सी ट्रांजेक्शंस / लगभग 30 प्रतिशत संगठित चैनल / लगभग 40 प्रतिशत अर्द्धसंगठित एवं असंगठित चैनल के साथ संपूर्ण रूप से खण्डों में विभाजित रहेगा बाजार
डीलर्स के ट्रांजेक्शन की संख्या लगभग 30,000 बनी रहेगी
डीलर प्रोडक्टिविटी औसतन 15 कार/महीना बनी रहेगी
मुंबई । भारत नई और पुरानी गाड़ियों के लिए इंडस्ट्री का पहला प्राइसिंग एवं एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म, इंडियनब्लूबुक (आईबीबी) ने ‘इंडिया प्री-ओन्ड कार मार्केट रिपोर्ट’ का तीसरा संस्करण आज जारी किया।
पिछले दो वर्षों में इस इंडस्ट्री में कई तरह के बदलाव हुए हैं; नये बिजनेस मॉडल्स टेस्ट किये जा रहे हैं, वाहनों की नई श्रेणियां शुरू की जा रही हैं और समस्याओं के हल के लिए नये-नये उपाय विकसित किये जा रहे हैं जिन्हें लंबे समय तक असम्मानजनक माना जाता रहा है।
महिंद्रा फर्स्ट च्वॉइस व्हील्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आशुतोष पाण्डेय ने कहा, ‘‘भारतीय प्री-ओन्ड वाहन बाजार विकास के रोचक चरण में है। हमारे आसपास की हर चीज बदल रही है - उपभोक्ताओं की पसंद, खरीदारी संबंधी व्यवहार, कारोबारी एवं फंडिंग वातावरण और परिचालन पद्धतियां। इस बात को लेकर सहमति बढ़ती हुई प्रतीत होती है कि इस क्षेत्र में विजेता मॉडल वो है जिसमें तीन मुख्य विशेषताएं होती हैं - यह लेनदेन पर आधारित है, फुल स्टैक (रिटेल और एंटरप्राइज) और ओम्नीचैनल (ऑनलाइन और ऑफलाइन)। इसमें एक रोचक किंतु अप्रत्याशित परिवर्तन हुआ है और वो है, ग्राहकों की निर्णय प्रक्रिया में तकनीक का प्रभाव और परिणामस्वरूप, पारदर्शी कीमत व प्री-ओन्ड इकोसिस्टम में नये ‘विश्वसनीय’ चैनल्स तैयार कर वाहन का पता लगाने में आसानी।’’
यह लगभग एक दशक से पहला गहन, निर्णायक उपभोक्ता अध्ययन है, जिसमें पुराने वाहन खरीदने व बेचने वाले ग्राहकों की प्रोफाइल, उनकी प्राथमिक प्रेरणाओं एवं मुख्य समस्याओं को विस्तार से समझने का प्रयास किया गया है। प्रेमॉनएशिया द्वारा यह विशेष अध्ययन किया गया। प्रेमॉनएशिया, ग्राहकों की अंतर्दृष्टि आधारित परामर्श संस्था है, जो सिंगापुर एवं भारत में स्थित है।
प्रमुख तथ्यः
वित्त वर्ष’19 में प्री-ओन्ड कार बाजार लगातार बढ़ा है, यह 4 मिलियन इकाई के निशान को पार कर चुका है और वर्तमान में नयी कार के बाजार की तुलना में यह 1.2 गुना अधिक बड़ा है
12-18 प्रतिशत जीएसटी के बाद से इस इंडस्ट्री के लिए परिस्थितियां अनुकूल हुई हैं और खरीद से लेकर रिटेल तक पूरी मूल्य श्रृंखला में निवेश बढ़ा है
यदि पिछले दशक में बाजार संरचना में आये बदलाव पर नजर डालें, तो पायेंगे कि पुरानी कार बाजार का संगठित चैनल लगभग दोगुना हुआ है और यह वित्त वर्ष’11 के 10 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष’19 में बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया है
संगठित बाजार सबसे तेजी से बढ़ता हुआ चैनल है और इसे ग्राहकों की बदलती पसंद एवं धारणाओं का लाभ मिल रहा है
प्री-ओन्ड कार के ट्रांजेक्शंस में डिजिटल माध्यमों की भूमिका बहुत अधिक रही है, जो पुरानी कार संबंधी की गई खोजों में हुई तीव्र वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है। वित्त वर्ष’19 में 170 मिलियन से अधिक बार प्री-ओन्ड कारों के लिए सर्च किया गया है
पिछले 4 वर्षों में, इस क्षेत्र की कंपनियों में 5,000 करोड़ रु. से अधिक का निवेश भी रहा है
वित्त वर्ष’19 में प्री-ओन्ड कार बाजार में हुई 50 प्रतिशत से अधिक बिक्रियां रिटेल में हुई हैं
मझोले से प्रीमियम नई कार खण्डों में नये-नये लॉन्च के चलते कारों का निम्न रिप्लेसमेंट चक्र का भी इसमें महत्वपूर्ण रूप से योगदान है
बृहत-आर्थिक कारणों के चलते भारत में डीलर की संख्या कम हुई है, विशेषकर असंगठित क्षेत्र के डीलर्स की संख्या में। हालांकि, संगठित क्षेत्र के डीलर्स की संख्या 19 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष की गति से बढ़ती रही है
वर्तमान में, पुरानी कारों के फाइनेंस का प्रतिशत 17 प्रतिशत है, इसलिए इसमें भारी वृद्धि की संभावना मौजूद है
औसत लागत 3.4 लाख रु. है, जो कि एलटीवी का 75-80 प्रतिशत है
85 प्रतिशत से अधिक कार खरीदार नई कार लेने से पहले पहली सीढ़ी के रूप में पुरानी कार खरीदने का फैसला करते हैं
15 प्रतिशत उपभोक्ता, जिन्हें वैल्यू सीकर्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है, पुरानी कारें ही खरीदते रहे हैं, चूंकि कार ओनरशिप के प्रति उनकी एप्रोच तार्किक है
टू-व्हीलर ओनर्स से प्री-ओन्ड कार ओनर्स के रूप में अपग्रेडेशन और वैल्यू सीकर्स की अधिक संख्या के चलते प्री-ओन्ड कार इंडस्ट्री के विकास को बल मिला है
पुरानी कारों की खरीद प्रायः कार खरीदने वाले के बजट पर निर्भर करता है, और उनमें से अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जो पहली बार कार खरीदते हैं, 75 प्रतिशत से अधिक प्री-ओन्ड कारों में एंट्री-लेवल हैच्बैक्स और सिडैन को अधिक पसंद किया जाता है, जो कि नई कारों के बाजार जैसी ही प्रवृत्ति है
खरीदी गई पुरानी कारों में ज्यादातर पहले ओनर से ही खरीदी जाती हैं, जिनमें से 72 प्रतिशत कारें 5 वर्षों से कम पुरानी होती हैं
पुरानी कारों के खरीदार प्रायः पहले से ही मन बन लिये होते हैं, 40 प्रतिशत से अधिक खरीदार रिसर्च से लेकर खरीद तक किसी पसंदीदा मॉडल को लेकर पहले से आश्वस्त रहते हैं। इसलिए, पसंदीदा मॉडल की उपलब्धता का भी कारों की खरीदारी में प्रमुख योगदान होता है
इसी तरह, 55 प्रतिशत से अधिक खरीदारों का पहले से बजट फिक्स होता है और वो उसी बजट के भीतर पुरानी कारें देखते हैं
हालांकि, एक्सपर्ट मूल्यांकन के लिए भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में 3 गुना उछाल आया है और यह संख्या वित्त वर्ष’09 के 10 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष’19 में 29 प्रतिशत हो गई है, जिससे संगठित क्षेत्र-प्रामाणित प्री-ओन्ड बाजार के लिए अवसरों का संकेत मिलता है
पुरानी कारों की बढ़ती हुई मांग के साथ, प्री-ओन्ड कार इकोसिस्टम भी लगातार बढ़ रहा है। इसके चलते इस असंगठित क्षेत्र को व्यवस्थित रूप प्रदान करने के लिए कई कंपनियों ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है
इंटरनेट के बढ़ते हुए उपयोग ने बिक्री के लिए नया माध्यम खोल दिया है
इसलिए, कार को ऑनलाइन न खरीदने के इच्छुक लोगों में से भी, लगभग 60 प्रतिशत लोगों ने खरीदारी संबंधी निर्णय लेने के दौरान ऑनलाइन रिसर्च किया।
प्री-ओन्ड बाजार में आने वाली 54 प्रतिशत से अधिक कारें रिटेल बिक्री लायक होती हैं
कार विक्रेता भी कार ओनर बने रहना चाहते हैं और छोटे सेगमेंट कार को अपग्रेड करते रहना चाहते हैं
प्रत्येक पुरानी कार अपने आप में अनूठी होती है, जिसका अर्थ है कि हर कार की कीमत अलग-अलग होती है
उचित मूल्य पाने की समस्या के समाधान हेतु, कोई भी कार विक्रेता कार की कीमत को लेकर आश्वस्त होने के लिए कई जगहों पर जाता है, लेकिन इस मायने में दोस्तों व परिजनों से की जाने वाली चर्चाएं ज्यादा हावी होती हैं
मात्र 10 प्रतिशत विक्रेताओं ने दस्तावेज एवं हस्तांतरण प्रक्रिया को लेकर चिंता जाहिर की
एक दशक पहले, 80 प्रतिशत से अधिक कार विक्रेता परिजनों और दोस्तों से इस संबंध में बातचीत कर लिया करते थे
कार विक्रेता को बिक्री प्रक्रिया पूरी करने में औसतन 18 दिनों का समय लगता है, हालांकि, इसके लिए अनुमानित समय 10 दिन है, जो त्वरित एवं सुविधाजनक कीमत की बढ़ती आवश्यकता को बताता है
संगठित चैनल के जरिए अपने कार की बिक्री करने वाले विक्रेताओं को अन्य चैनलों के जरिए कार की बिक्री करने की तुलना में बेहतर कीमत मिली
No comments:
Post a Comment