नई दिल्ली। देश के अग्रणी जीवन बीमाकर्ताओं में से एक एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने अपने न्यू बिजनेस प्रीमियम में 26 प्रतिशत की बेहतर वृद्धि दर्ज की है। 31 मार्च 2018 को समाप्त वर्ष के लिए 10,966 करोड़ रुपए की तुलना में 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए न्यू बिजनेस प्रीमियम 13,792 करोड़ रुपए रहा।
प्रोटेक्शन पर खास ध्यान केंद्रित करते हुए, एसबीआई लाइफ प्रोटेक्शन का न्यू बिजनेस प्रीमियम कलेक्शन 31 मार्च, 2019 को समाप्त वर्ष के लिए 1,643 करोड़ रुपए रहा, 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए 600 करोड़ रुपयों की तुलना में 174 फीसदी की वृद्धि हुई। पर्सनल न्यू बिजनेस प्रीमियम कलेक्शन 15 प्रतिशत बढ़कर 9,636 करोड़ रुपए हो गया, एक वर्ष पहले इसी अवधि में यह 8,407 करोड़ रुपए था।
एसबीआई लाइफ का प्रॉफिट आफटर टैक्स 15 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च, 2019 को समाप्त बारह महीनों के लिए 1,327 करोड़ रुपए हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 1,150 करोड़ रुपए था।
31 मार्च, 2019 को 1.50 की नियामक आवश्यकता के अनुसार कंपनी का सॉल्वेंसी अनुपात 2.13 पर मजबूत बना हुआ है।
एसबीआई लाइफ का एयूएम भी 21 फीसदी बढ़कर 31 मार्च 2019 तक 1,41,024 करोड़ रुपए हो गया जो कि 31 मार्च 2018 को 1,16,261 करोड़ रुपए था, कर्ज-इक्विटी मिश्रण 77ः23 के साथ। ऋण निवेश का 90 फीसदी एएए और सॉवरिन इंस्ट्रूमेंट्स में हैं।
कंपनी के पास 1,84,452 प्रशिक्षित बीमा पेशेवरों का विविधतापूर्ण वितरण नेटवर्क है और देश भर में 908 कार्यालयों में इसकी व्यापक मौजूदगी है, जिसमें मजबूत बैंकाश्युरेंस चैनल, एजेंसी चैनल और अन्य शामिल हैं जिनमें कॉरपोरेट एजेंट, ब्रोकर, माइक्रो एजेंट, कॉमन सर्विस सेंटर, इंश्योरेंस मार्केटिंग फोरम, वेब एग्रीगेटर्स और डायरेक्ट बिजनेस शामिल हैं।
31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए प्रदर्शन
न्यू बिजनेस प्रीमियम में 26 फीसदी वृद्धि
174 फीसदी की वृद्धि प्रोटेक्शन न्यू बिजनेस प्रीमियम में
22.3 प्राइवेट मार्केट शेयर के साथ इंडीविजुअल रेटेड प्रीमियम में 15 फीसदी की वृद्धि
6.8 फीसदी से 6.4 फीसदी तक की कमी, परिचालन व्यय अनुपात में
15 फीसदी तक की वृद्धि के साथ प्रॉफिट आफटर टैक्स 1,327 करोड़ रुपए
17 फीसदी बढ़कर इंडियन एंबेडेड वैल्यू (ईवीई) हुआ 22,402 करोड़ रुपए
22 फीसदी बढ़कर, प्रभावी कर दर के आधार पर वैल्यू ऑफ न्यू बिजनेस प्रीमियम (वीओएनबी) हुआ 1,916 करोड़ रुपए
वीओएनबी मार्जिन 18.4 फीसदी से बढ़कर 19.8 फीसदी हुआ, प्रभावी कर दर के आधार पर।
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