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Friday, June 28, 2019

भारत में 47 प्रतिशत एलईडी बल्ब ब्रांड और 52 प्रतिशत एलईडी डाउनलाइटर ब्रांड उपभोक्ता ग्राहक मानकों को पूरा नहीं करतेः नील्सन स्टडी



 47% of LED bulb brands and 52% of LED downlighter brands in Indiaflout consumer safety standards



नई दिल्ली, जून, 2019 : देश के आठ प्रमुख शहरों - नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, दुर्गापुर, बरेली, अहमदाबाद और हैदराबाद – में कराए गए नील्सन अध्ययन में यह पता चला कि बिजली के सामान की 400 खुदरा दुकानों में 47 प्रतिशत एलईडी बल्ब ब्रांड और 52 प्रतिशत एलईडी डाउनलाइटर ब्रांड ग्राहकों के सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं हैं। ये सुरक्षा मानक, भारतीय सुरक्षा मानक (बीआईएस) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाश उत्पादों के लिए निर्धारित व अनिवार्य किए गए हैं। चूंकि ये घटिया उत्पाद गैर-कानूनी तरीके से बनाए और बेचे जा रहे हैं, इसलिए इनसे भारत सरकार को कर-राजस्व में महत्वपूर्ण नुकसान के अलावा, ग्राहकों की सुरक्षा को भी खतरा है।

एलईडी बल्ब की श्रेणी में, हैदराबाद में बीआईएस स्तरों का पालन सबसे अधिक, यानी 57 प्रतिशत नहीं होता। वहीं अहमदाबाद में कानूनी मापिकी का पालन सबसे अधिक, यानी 60 प्रतिशत नहीं होता। एलईडी डाउनलाइटर श्रेणी में, बरेली में 78 प्रतिशत के साथ बीआईएस स्तर का सबसे अधिक गैर-अनुपालन है तथा इतने ही प्रतिशत के साथ कानूनी मापिकी में मुंबई गैर-अनुपालन के शीर्ष पर है।

इस अध्ययन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में एलईडी बल्ब ब्रांडों में आधे से ज्यादा (52 प्रतिशत) बीआईएस मानकों (बीआईएस मार्क की गैरमौजूदगी) के अनुरूप नहीं हैं  और जब एलईडी डाउनलाइटर श्रेणी की बात आती है, तो भी 58 प्रतिशत यही हालत है। राष्ट्रीय राजधानी में सर्वे किए गए एलईडी ब्रांडों में से 36 प्रतिशत एलईडी बल्ब ब्रांड और 58 प्रतिशत एलईडी डाउनलाइटर दिशा-निर्देशित ब्रांड कानूनी मापिकी के अनुरूप नहीं हैं।

एलकोमा (इलेक्ट्रिक लैंप ऐंड कंपोनेंट मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन) के अनुसार, भारत में एलईडी का कुल बाजार 11,400 करोड़ रुपये का है, जिनमें एलईडी बल्ब और डाउनलाइटर कुल एलईडी बाजार के 72 प्रतिशत हैं और घरों, दफ्तरों और कार्यक्षेत्रों में इनकाकाफी इस्तेमाल किया जाता है।

एलकोमा के प्रेसिडेंट और सूर्या रोशनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजू बिस्ता कहते हैं, ये गैर-अनुपालक  निर्माता अनिवार्य सुरक्षा प्रक्रियाओं को नहीं अपनाते हैं और इसलिए उनके  द्वारा बनाए गए उत्‍पाद न सिर्फ असुरक्षित हैं, बल्कि ऊर्जा की कम बचत भी करते हैं। यह ऊर्जा किफायती उत्पादों को बढ़ावा देने के सरकारी लक्ष्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और एलईडी उद्योग की छवि भी बिगाड़ता है।

इसी विषय पर एलकोमा के वाइस प्रेसिडेंट और सिग्निफाइ इनोवेशन्स इंडिया लिमिटेड (पूर्व में फिलिप्‍स लाइटिंग इंडिया के नाम से मशहूर) के सीईओ सुमीत पदमाकर ने कहा, पिछले पांच-छह वर्षों में एलईडी उद्योग ने महत्वपूर्ण रूप से बढ़त बनाई है और इससे उन गैर-अनुपालक उत्पादों के दरवाजे भी खुल गए, जो बीआईएस द्वारा परिभाषित सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते। यह नवीनतम अध्ययन पुष्टि करता है कि देश में बिकने वाले आधे एलईडी उत्पाद भारत सरकार द्वारा परिभाषित उपभोक्ता-सुरक्षा मानक पर खरे नहीं उतरते। हम सरकार से अपील करते हैं कि वह ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए सुरक्षा मानकों के पूर्ण पालन को सुनिश्चित करने की दिशा में सख्त कदम उठाए।

एलकोमा के सलाहकार सुनील सिक्का का कहना है कि नकली प्रकाश उत्पादों की बाजार में हिस्सेदारी बढ़ना प्रकाश उद्योग के लिए बड़ी चिंता की बात है, क्योंकि ये उत्पाद न केवल उपभोक्ताओं को जोखिम में डालते हैं, बल्कि करों का भुगतान नहीं होने से भी बड़ा नुकसान होता है। देश में बेचे गए आधे से ज्यादा प्रकाश-उत्पादों के सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं होने की स्थिति में यह महत्वपूर्ण है कि सरकार भविष्य के नुकसानों को रोकने के लिए कदम उठाए।

भारतीय प्रकाश उद्योग सर्वसम्मति से भारतीय मानक ब्यूरो और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित व अनिवार्य सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने की सिफारिश करता है। नकली और गैर-ब्रांडेड एलईडी उत्पाद बाजार में मौजूद संगठित व अनुपालक हिस्सेदारों  तथा मेक इन इंडिया जैसे महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों के लिए गंभीर खतरा हैं। इसके अलावा, वे सरकारी करों को चूना लगाते हैं। इसका नुकसान किसी न किसी रूप में औपचारिक क्षेत्र को चुकाना पड़ता है। इससे निवेश उद्देश्यों को झटका लगता है और यह मौजूदा सरकार के कारोबार आसान करने के दर्शन के विपरीत भी है। 

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