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Wednesday, June 5, 2019

भारत के आवासीय सेक्टर में नए लॉन्च ने दिया सहारा




  • तिमाही आधार पर 14% बढ़े नए लॉन्च, 2019 की पहली तिमाही में 7 प्रमुख बाजारों में 33,000 यूनिट्स तक पहुंची संख्या
  • 33,000 से ज्यादा यूनिट्स की हुई बिक्री, तिमाही-दर-तिमाही आधार पर बिक्री में 3% की हुई बढ़ोतरी जिससे लॉन्च और बिक्री में बना रहा संतुलन
  • मुंबई, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर और पुणे लॉन्च में रहे आगे; जबकि बिक्री में मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और हैदराबाद आगे रहे

नई दिल्ली । प्रमुख रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म सीबीआरई साउथ एशिया प्रा. लिमिटेड ने बताया कि 2019 की पहली तिमाही में देश के सात बड़े बाजारों में त्रैमासिक नए लॉन्च में बढ़ोतरी देखी गई है। इसके साथ ही आवासीय अचल संपत्ति सेक्टर में रिकवरी के बहुप्रतीक्षित संकेत नजर आ रहे हैं।
सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार, इस सेक्टर में दिखने वाली रिकवरी में सबसे ज्यादा योगदान मिड-एंड सेगमेंट में बढ़ी हुई गतिविधियों का है; उसके बाद किफायती और हाई-एंड प्रोजेक्ट का स्‍थान आता है।
जहां रेरा और जीएसटी जैसे नीतिगत सुधारों के चलते आवासीय अचल संपत्ति क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित पारदर्शिता आई है, वहीं वर्तमान में विकासोन्मुख गतिविधियों का श्रेय रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा आगे बढ़कर उठाए गए कदमों और ग्राहक-केंद्रित पहलों को भी जाता है। इन दोनों सुधारों और डेवलपर्स के पहलकारी दृष्टिकोण के समग्र प्रभाव के नतीजतन 2018 में नए लॉन्च और बिक्री में क्रमशः करीब 11% और 19% की वार्षिक वृद्धि हुई।
2018 में हुई बिक्री भी नए लॉन्च की तुलना में थोड़ी ज्यादा ही रही। यह तथ्य अपने आप में एक दीर्घकालिक पुनरुद्धार के संकेत देता है।
अंशुमन मैगजीन, चेयरमैन और सीईओ - भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका कहते हैं, “रेजीडेंशियल मार्केट में बहुप्रतीक्षित प्रगति अब नजर आने लगी है और दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। यह सेक्टर अब अंतिम सिरे के उपयोगकर्ता की जरूरत और पसंद से ज्यादा संचालित होने लगा है और डेवलपर्स उपभोक्ताओं की जरूरतों में कहीं ज्यादा फैक्टरिंग कर रहे हैं।”
इसके अलावा, पूंजीगत मूल्यों के व्यापक स्थिरीकरण और बढ़ती खर्च योग्य आय ने भी आवासीय सेक्टर की रिकवरी के लिए एक उपयुक्त माहौल तैयार किया है।
नए प्रोजेक्ट्स की स्थिति और प्रमुख सुधारों के असर के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, “जहां हमने नई परियोजनाएं लॉन्च करने में डेवलपर की बढ़ी हुई दिलचस्पी देखी है, वहीं ध्यान अब भी जारी परियोजनाओं को पूरा करने और मौजूदा इन्वेंट्री को खाली करने पर है। डेवलपर्स द्वारा टाइमलाइन के वादे में रेरा का प्रभाव साफ दिखता है - ये बाजार की वास्तविकताओं के ज्यादा अनुरूप हैं, जिसके चलते अंतिम सिरे का उपभोक्ता अपने घर खरीद की योजना ज्यादा असरदार ढंग से बना सकता है।”
दिलचस्प बात यह है कि किफायती और मिड-एंड हाउसिंग सेगमेंट पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है और कुछ छोटे/स्थानीय डेवलपर्स विभिन्न शहरों में प्रोजेक्ट लॉन्च भी कर रहे हैं। आवासीय सेक्टर में पिछले वर्ष का सकारात्मक प्रभाव 2019 में भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि डेवलपर्स लगातार खुद को हालिया ढांचागत सुधारों के तालमेल में ला रहे हैं।
पिछली तिमाही में देखे गए प्रमुख विकास कारक :
  • प्रतिष्ठित बिल्डरों ने कई शहरों में प्रोजेक्ट लॉन्च किए, जिनमें कम महत्वपूर्ण स्थान भी शामिल हैं
  • डेवलपर्स का ध्यान नए लॉन्च के बजाय पुराने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर अधिक है, जिसके चलते बिना बिकी इन्वेंट्री का स्तर कम हुआ है
  • बिक्री अब महज लाभ की आसमानी उम्मीदों के साथ निवेश करने वालों की तुलना में अंतिम-उपयोगकर्ताओं द्वारा संचालित होती है
  • डेवलपर की प्रोफाइल, प्रोजेक्ट की खूबियां, गुणवत्ता, निर्माण की रफ्तार और काम पूरा करने की क्षमता जैसे कारकों पर अब ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है
  • पूरे आसार हैं कि लघु और मध्यम अवधि में बिक्री और लॉन्च दोनों ही किफायती और मिड-एंड / हाई-एंड सेगमेंट से संचालित होंगे
आवासीय बाजार - एक नजर में:
पहली तिमाही, 2019
  • तिमाही दर तिमाही आधार पर नई आपूर्ति में 14% की बढ़ोतरी के चलते 7 प्रमुख बाजारों में यूनिट्स की संख्या 33,000 तक पहुंची।
  • आपूर्ति और बिक्री के बीच संतुलन बना रहा और तिमाही के दौरान 33,000 से अधिक यूनिट्स की बिक्री हुई; तिमाही से तिमाही आधार पर यह 3% ज्यादा है।
  • मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर प्रभावी बाजार रहे। नए लॉन्च और बिक्री, दोनों में इनकी 70-75% की हिस्सेदारी रही।
  • हाई-एंड/मिड-एंड और प्रीमियम/लक्जरी सेगमेंट, दोनों में पूंजीगत मूल्य ज्यादातर स्थिर रहे।




2018 में नीतिगत उपाय और आवासीय सेक्टर में उनका असर
नीति    मुख्य बिंदु    वर्तमान स्थिति
रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा)   
रेरा का उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में प्रचलित प्रथाओं में पारदर्शिता और एकरूपता लाना और जवाबदेही सुनिश्चित करना था।
26 से ज्यादा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने रेरा के अंतर्गत नियम अधिसूचित किए हैं और रेरा के प्रावधानों के तहत 20 से ज्यादा राज्यों की वेबसाइटें सक्रिय हैं।
दिसंबर 2018 की स्थिति के अनुसार, 34,000 से ज्यादा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत हुए हैं।
किफायती आवास
किफायती आवास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कारपेट एरिया के मापदंडों को कई बार शिथिल किया। जीएसटी में भी रियायत दी गई।
फरवरी 2019 में जीएसटी दरों में संशोधन किए गए। निर्माणाधीन परिसंपत्तियों के लिए जीएसटी दर 8% से घटकर 1% हुई (आईटीसी नहीं होने के अधीन)। इसके साथ ही, पूर्व की तरह, पूर्ण प्रोजेक्ट पर जीएसटी नहीं है।
फरवरी 2019 में किफायती आवास के लिए एरिया संबंधी रियायतें भी दी गईं। मेट्रोपॉलिटन सिटीज (दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद गुरुग्राम और फरीदाबाद सहित एनसीआर, बेंगलुरु, मुंबई-एमएमआर क्षेत्र, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता) में 45 लाख रुपए कीमत तक की 60 वर्गमीटर तक की यूनिट्स अब किफायती आवास में शामिल हैं। यह पूर्व में 30 वर्गमीटर के एरिया डेफिनिशन से ज्यादा है।
नॉन-मेट्रोपॉलिटन शहर/कस्बों के लिए 45 लाख रुपए तक की कीमत वाली 90 वर्गमीटर तक की यूनिट्स किफायती आवास श्रेणी में शामिल की गई हैं। यह पूर्व में 60 वर्गमीटर के एरिया डेफिनिशन से ज्यादा है।
इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड एमेंडमेंट (आईबीसी) 2018
कॉर्पोरेट दिवालियापन से जुड़ी घर खरीदारों की चिंताओं से निपटने में रेरा की अपर्याप्तता ने केंद्र सरकार को इस कानून में संशोधन के लिए प्रेरित किया।
घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के रूप में मान्यता दी गई है, जो दिवालिया प्रक्रिया में उन्हें वित्तीय संस्थान के बराबर मानते हुए व्यवहार करती है, ताकि वे अपना हिस्सा हासिल कर सकें।
यह संशोधन रेरा के साथ मिलकर बेहतर काम करता है और डेवलपर की ओर से कोई भी विलंब होने पर अलॉटी को ब्याज के साथ पूरी धनराशि लौटाने की मांग करने का अधिकार देता है।


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