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Thursday, August 8, 2019

स्‍कूलों के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में है सुधार की जरूरत – बाल सुरक्षा पर रिपोर्ट में हुआ खुलासा





बेंगलुरु,बच्चों के घायल होने या उन्हें चोट लगने की आशंका ज्यादा रहती है। इसका कारण यह है कि बच्चों में किसी भी चीज के प्रति उत्सुकता, बैचेनी और रिस्क लेने की आदत ज्यादा होती है। बच्चे समय पर खतरे का अंदाजा नहीं लगा सकते। इसलिए उन्हें चोट लगने की आशंका कुछ ज्यादा ही रहती है। इस संबंध में राष्ट्रीय महत्व के संस्थान नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ और न्यूरो साइंसेज और ग्लोबल साइंस सेफ्टी कंपनी अंडरराइटर्स लैबोरेटरीज नेएडवांसिंग चाइल्ड सेफ्टी इन इंडिया : इम्पिलमेंटेंशन इज दि कीनाम से एक राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट बच्चों को चोट से बचाने की जरूरत और प्रमुख हितधारकों के बीच स्‍कूलों में सुरक्षा मानदंडों के बारे में जागरुकता पैदा करने पर जोर देती है। बच्चों की वृद्धि एवं समग्र विकास के लिए उन्हें सुरक्षित माहौल प्रदान करना अति आवश्यक है।

आंकड़ों की मदद से की गई सेकेंडरी रिसर्च के अलावा रिपोर्ट में बेंगलुरु और कोलार जिले के 131 स्कूलों में की गई समीक्षा से प्राप्त नतीजों के विश्लेषण को भी शामिल किया गया। इन स्कूलों का भौतिक आधारभूत ढांचे, सड़क सुरक्षा, आग से बचाव के मौजूद उपकरणों और स्कूल में मौजूद फर्स्ट ऐड की सुविधाओं का मूल्यांकन किया गया। रिसर्च टीम ने हर स्कूल का बड़े पैमाने पर अप्रेजल करने के लिए डिजिटल सेफ्टी अप्रेजल टूल विकसित किया। यह उपकरण ऱाष्ट्रीय स्तर के मौजूदा दिशा-निर्देशों और मात्रात्मक सुरक्षा स्तर के प्रतिशत के आधार पर विकसित किया गया।

अंडरराइटर्स लैबोरेटरीज में दक्षिण एशिया और सब सहारा क्षेत्र के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुरेश सुगावनम ने कहाइन  वर्षों में हमने विभिन्न सरकारी निकायों, शोध संस्थानों और प्रमुख शैक्षिक संस्थानों से साझेदारी की है। स्वतंत्र आंकड़े एकत्र करने और विज्ञान पर आधारित खोज करने के लिए यह साझेदारी की गई। हम अपने 125 वर्षों से ज्यादा के अस्तित्व से हासिल ज्ञान और अनुभव को साझा करते हैं। सुरक्षा संबंधी शिक्षा, जनजागरूरता अभियानों और सुरक्षा मानकों का स्तर उठाकर हम विभिन्न क्षेत्रों में अपना अनुभव शेयर करते हैं। भारत में हम राष्ट्रीय सुरक्षा विज्ञान अभियान चला रहे हैं। इसमें  बच्चों के स्वभाव में सुरक्षा संबंधी आदतें विकसित करने और उन्हें सुरक्षा के तौर तरीकों की शिक्षा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। NIMHANS द्वारा किया गया शोध बच्चों के इर्द-गिर्द अध्‍ययन संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर और इकोसिस्टम पर फोकस करता है, जिससे सुरक्षा के नतीजों पर असर पड़ता है। बच्चों के लिए भारत को सुरक्षित बनाने के लिए नीति निर्माताओं, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सरकारों, स्कूल मैनेजमेंट और अभिभावकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।”     

NIMHANS में महामारी विज्ञान विभाग में सीनियर प्रोफेसर और न्यूरो साइंसेज के डीन डॉ. गुरुराज  ने कहाबच्चों में मौत, उनका अस्पताल में दाखिल होना, चोट के कारण विकलांगता भारत में बच्चों में ऐसी समस्या है, जो छिपी हुई है और जिसकी अक्सर उपेक्षा की जाती है। इस संबंध में साक्ष्य पर आधारित नीतियां और कार्यक्रम बनाने की जरूरत है, जिसका बुनयादी तौर पर अमल सख्ती से सुनिश्चित किया जा सके। बच्चों को चोट लगने से बचाने के लिए रोकथाम संबंधी कारगर समाधानों के अभाव में किसी बच्चे को समय मौत या विकलांगता का शिकार नहीं होना चाहिए।   

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