नई दिल्ली, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा अपनी प्रशिक्षण की दोहरी प्रणाली (DST) योजना में किये गये नवीकरण के छह महीने में कौशल पारितंत्र पर उल्लेखनीय असर देखने को मिला है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए 719 से अधिक कॉर्पोरेट एवं निजी भागीदारों के साथ साझेदारी की गई है। यह पिछले तीन सालों में किये गये 136 एमओयू (समझौता ज्ञापन) से एक बड़ी छलांग है जिन पर नवीकरण से पूर्व हस्ताक्षर किये गये थे। दिलचस्प बात है कि एनएसटीआइ (NSTI) नोएडा ने पिछले कुछ महीनों में हुए 700 से अधिक एमओयू में 37 पर अकेले हस्ताक्षर किये हैं।
DST योजना 2016 में पेश की गई थी और इसका उद्देश्य कुशल मैनपावर की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने हेतु उद्योगों एवं प्रतिष्ठापनों को सरकार एवं निजी ITIs के साथ साझेदारी करना है। इस लक्ष्य के साथ, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए भागीदारों के साथ 719 समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षरित किये गये हैं। DST द्वारा ITIs के सैद्धांतिक प्रशिक्षण का संयोजन उद्योग भागीदारों के व्यावहारिक प्रशिक्षण से किया जाता है। इस तरह,उद्योग से जुड़ाव मजबूत होता है और स्टूडेंट्स को उद्योगों की नवीनतम टेक्नोलॉजी और तकनीकों पर व्यावहारिक अनुभव मिलता है।
योजना के संशोधित दिशानिर्देश जनवरी 2019 में जारी हुए थे और वे अत्यधिक लोचशील हैं, क्योंकि वे उद्योग की आवश्यकताओं के लिये अधिक अनूकूल हैं और ITIs का व्यापक कवरेज देते हैं। DST योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण उद्योग की कुशल कार्यबल की आवश्यकता के अनुसार होता है। प्रशिक्षण के बाद, प्रशिक्षणार्थियों को नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट (NTC) दिया जाता है, जो उनकी नौकरी पाने की क्षमता में वृद्धि करता है।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री (MSDE) डॉ. महेन्द्र नाथ पांडे ने कहा, ‘‘दोहरी प्रणाली सहयोगी शिक्षण और उत्पादन का मौका देती है, जिससे नवोन्मेष बेहतर होता है और प्रशिक्षण लक्षित होता है। दोहरा प्रशिक्षण लेने वाले अभ्यर्थी तेजी से विशेषज्ञ बन जाते हैं और उनकी सेवाओं की मांग बढ़ जाती है। हम आईटीआई को DST कार्यक्रम में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि आईटीआई के नये प्रशिक्षणार्थी उद्योग के लिये तैयार हों। नई योजना को इतना अच्छा प्रतिसाद मिला है कि सर्वांगीण कुशलता पारिस्थितिकी पर इसका बड़ा असर होने की उम्मीद है।’’
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