नई दिल्ली, कार्डियैक अरेस्ट के कारण आम लोगों के बीच होने वाली मौतों की संख्या कम करने की कोशिश में भारत के अग्रणी हेल्थकेयर प्रदाता मणिपाल हॉस्पीटल्स ने आज दिल्ली के ट्राफिक पुलिसकर्मियों के लिए कार्डियोपलमोनरी रीससकीटेशन (सीपीआर) पर एक जानकारी भरा सत्र आयोजित किया। वर्ल्ड एम्बुलेंस डे के भाग के रूप में इमरजेंसी मेडिसिन के प्रमुख डॉ. सुशांत छाबड़ा और उनकी टीम ने पुलिस वालों के साथ अग्नि शमनकर्मियों को यह बुनियादी जानकारी दी कि किसे, कब और कैसे सीपीआर देना है।
बेसिक (बुनियादी) लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) और सीपीआर ट्रेनिंग के अलावा इस टीम ने स्ट्रेस मैनेजमेंट, डायट कंट्रोल, व्यायाम की दिनचर्या और हार्ट अटैक के भिन्न लक्षणों की चर्चा की जिसपर नजर रखना चाहिए। कार्डियो पलमोनरी रीससकीटेशन (सीपीआर) से हृदय और मस्तिष्क को खून का प्रवाह बनाए रखने में सहायता मिलती है। यह आगे के उपाय किए जाने तक मस्तिष्क के काम काज को मानवीय तौर पर बनाए रखने की एक कोशिश है तथा जाना-माना व प्रभावी तकनीक है जिससे व्यक्ति के जिन्दा रहने की संभावना बनती है।
इस पहल के बारे में बताते हुए मणिपाल हॉस्पीटल, द्वारका के हेड ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन डॉ. सुशांत छाबड़ा ने कहा, “कार्डियो पलमोनरी रीससकीटेशन एक जीवनरक्षक तकनीक है जो हार्ट अटैक जैसी मेडिकल इमरजेंसी में उपयोगी होता है। यह ऐसी स्थिति होती है जब किसी व्यक्ति का सांस चलना या हृदय की धड़कन रुक जाए। ऐसे मामलों में एम्बुलेंस भी मरीज के इमरजेंसी केयर की दिशा में अभिन्न भाग के रूप में अपनी भूमिका निभाती है। इस तरह, वर्ल्ड एम्बुलेंस डे के मौके पर भी हमलोगों ने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और अग्निशमनकर्मियों को सीपीआर ट्रेनिंग दी ताकि सड़क सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। जान बचाने के लिए समय पर सहायता देना सबसे महत्वपूर्ण है और अक्सर यह जीवनरक्षक साबित होता है। आने वाले वर्षों में हमारा लक्ष्य देश भर में और ज्यादा नागरिकों तक पहुंचना है ताकि मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में उन्हें सीपीआर के फायदे बताए जा सकें।”
भिन्न मेडिकल स्थिति में लोगों तक पहुंचने और उन्हें सहायता मुहैया कराने में एम्बुलेंस काफी मददगार होते हैं। पहुंच और देखभाल (केयर) के लिहाज से एम्बुलेंस जो सेवाएं मुहैया करा सकते हैं उनके मद्देनजर इमरजेंसी केयर में बदलाव लाने के लिए काफी संशोधन किए गए हैं। ऐसी ही एक पहल है, मणिपाल हॉस्पीटल्स द्वारा मार्स (एमएआरएस)। इसके तहत एक समर्पित एम्बुलेंस रेसपांस सेवा मुहैया कराई जाती ही। एम्बुलेंस में जीपीएस टेक्नालॉजी, सर्वीलांस टेक्नालॉजी और एक सेंट्रल कमांड सेंटर होता है ताकि सेवाएं कार्यकुशल ढंग से काम कर सकें। एमएआरएस में एक उन्नत ईएमटी और प्राथमिक उपचार में प्रशिक्षत ड्राइवर होता है और इस तरह इमरजेंसी एम्बुलेंस रेसपांस तथा पेशेंट ट्रांसपोर्ट सर्विस के बीच एक उपयुक्त संतुलन स्थापित होता है।
मणिपाल हॉस्पीटल ने गए साल एक देशव्यापी अभियान का आयोजन किया ताकि शिक्षकों को हार्ट स्मार्ट तकनीक की जानकारी दी जा सके। इसे भारी कामयाबी मिली और 25,000 से ज्यादा शिक्षकों को प्रमाणित किया गया।
हर साल 17.9 मिलियन लोगों को मौत कार्डियो वस्कुलर बीमारियों से होती है। इसमें हृदय की बीमारी और स्ट्रोक शामिल है। भारत में होने वाली मौतों में बीस प्रतिशत कॉरोनरी हार्ट डिजीज के कारण होती है। वर्ष 2020 तक सभी मौतों में एक तिहाई इसी के कारण हो जाएगा। यह दुखद है कि इन भारतीयों में कई कम उम्र में ही मर जाएंगे। भारत में हृदय की बीमारी पश्चिम के मुकाबले 10 से 15 साल पहले होती है।
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