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Saturday, May 16, 2020

वित्त मंत्री ने कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण सेक्‍टरों के लिए अहम उपायों की घोषणा की





FINANCE MINISTER ANNOUNCES MEASURES TO STRENGTHEN AGRICULTURE INFRASTRUCTURE LOGISTICS, CAPACITY BUILDING, GOVERNANCE AND ADMINISTRATIVE REFORMS FOR AGRICULTURE, FISHERIES AND FOOD PROCESSING SECTORS




नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा घोषणाओं से किसानों, मछुआरों की जिंदगी, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर दीर्घकालिक और स्थायी असर होगा।
वित्त मंत्री ने कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के लिए आधारभूत ढांचा लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाने और क्षमता निर्माण के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की :-
1. किसानों के लिए कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि आधारभूत ढांचा कोष
फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद कृषि आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य कृषि बाद प्रबंधन आधारभूत ढांचे से फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदु के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस कोष की तत्काल स्थापना की जाएगी।

2. सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (एमएफई) के औपचारिकरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना
 2 लाख एमएफई की सहायता के लिए ‘वैश्विक पहुंच के साथ वोकल फॉर लोकल’ का शुभारम्भ किया जाएगा। इससे ऐसे उद्यमियों को फायदा होगा, जिन्हें एफएसएसएआई खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिए तकनीक उन्नयन की जरूरत है। वर्तमान खाद्य उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को भी समर्थन दिया गया है। इसमें महिलाओं और एससी/एसटी के स्वामित्व वाली इकाइयों और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा तथा क्लस्टर आधारित रणनीति (जैसे- उत्तर प्रदेश में आम, कर्नाटक में टमाटर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, महाराष्ट्र में संतरा आदि) को अपनाया जाएगा।
3. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये
सरकार समुद्री और अंतर्देशीय (इनलैंड) मछली पालन के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिए पीएमएमएसवाई का शुभारम्भ करेगी। समुद्री, अंतर्देशीय मछली पालन और एक्वाकल्चर से जुड़ी गतिविधियों के लिए 11,000 करोड़ रुपये तथा आधारभूत ढांचा – फिशिंग हार्बर्स, शीत भंडार, बाजार आदि के लिए 9,000 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके तहत केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछलियों के साथ नए मछली पकड़ने के जहाज, ट्रेसेलिबिलिटी (पता लगाने), प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। मछुआरों को बैन पीरियड (जिस अवधि में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होती है) सपोर्ट, व्यक्तिगत और नौका बीमा के प्रावधान किए जाएंगे। इससे 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा, 55 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा। इसमें अंतर्देशीय, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
4. राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
खुरपका मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम खुरपका मुंह पका रोग और ब्रुसेलोसिस के लिएमवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी (कुल 53 करोड़ पशुओं) का 100प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से शुरु किया गया।अब तक, 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग किया गया है और उन्‍हें टीके लगाए जा चुके हैं।
5. पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष – 15,000 करोड़ रुपये
डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य वर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे में निजी निवेश का समर्थन करने के उद्देश्य से 15,000 करोड़रुपये का पशुपालनबुनियादी ढांचा विकासकोष स्थापित किया जाएगा। विशिष्‍ट उत्पादों के निर्यात हेतु संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
6. औषधीय या हर्बल खेती को प्रोत्‍साहन : 4000 करोड़ रुपये का परिव्‍यय
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है। अगले दो वर्षों में 4,000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय सेहर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। इससे किसानों को5,000 करोड़ रुपयेकी आमदनी होगी। औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क होगा। एनएमपीबीगंगा के किनारे 800 हैक्‍टेयर क्षेत्र में गलियारा विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा।
7. मधुमक्खी पालन संबंधी पहल - 500 करोड़ रुपये
सरकार निम्‍नलिखित के लिए योजना का कार्यान्‍वयन करेगी  :
ए. एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों, पोस्ट हार्वेस्ट और मूल्य वर्धन सुविधाओं आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास;
बी. मानकों का कार्यान्वयन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास करना
सी. महिलाओं पर बल देने सहित क्षमता निर्माण;
डी. क्‍वालिटी नूक्लीअस स्‍टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास।
इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद की प्राप्ति होगी।
8. (टमाटर, प्याज और आलू) ‘टॉप’से ‘टोटल’ (सम्‍पूर्ण) तक – 500 करोड़ रुपये
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित "ऑपरेशन ग्रीन्स" को टमाटर, प्याज और आलू से लेकर सभी फलों और सब्जियों तक बढ़ाया जाएगा।यह योजनाकोल्ड स्टोरेज सहित सरप्लस से घाटे वाले बाजारों में परिवहन पर 50% सब्सिडी, भंडारण पर 50% सब्सिडीप्रदान करेगीऔर इसे अगले 6 महीनों के लिए प्रायोगिक रूप से लॉन्च किया जाएगा तथा इसे बढ़ाया और विस्तारित किया जाएगा।इससे किसानों को बेहतर कीमत की प्राप्ति होगी, बर्बादी में कमी आएगी, उपभोक्ताओं को किफायती उत्‍पाद मिलेंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए शासन और प्रशासनिक सुधार के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की: -
1.किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करेगी। अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य पदार्थों को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। असाधारण परिस्थितियों में ही स्टॉक की सीमा पर प्रतिबंध लगाई जाएगी जैसे राष्ट्रीय आपदा, कीमतों में वृद्धि के साथ अकाल जैसी स्थिति के लिए। इसके अलावा, ऐसी कोई स्टॉक सीमा संसाधक या मूल्य श्रृंखला के भागीदारों पर लागू नहीं होगी।
2.किसानों को विपणन का विकल्प प्रदान करने के लिए कृषि विपणन सुधार
इसको उपलब्ध कराने के लिए एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा –
किसान को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प;
निर्बाध अंतरराज्यीय व्यापार;
कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिए एक रूपरेखा,
3.कृषि उपज मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता का आश्वासन:
सरकार किसानों को उचित और पारदर्शी तरीके से संसाधकों, समूहकों, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए, एक सुविधाजनक कानूनी संरचना को अंतिम रूप देगी। किसानों के लिए जोखिम में कमी, सुनिश्चित रिटर्न और गुणवत्ता मानकीकरण इस संरचना का अभिन्न अंग होगा।

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