जयपुर। सोयाबीन के जून वायदा में तेजी का रुझान है और इसे 3890 पर सपोर्ट मिल रहा है। ऐसे में से इसकी कीमतें ₹4000 से₹4040 तक जा सकती है। सोयाबीन की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से समर्थन मिल रहा है, जहां अमेरिकी डॉलर के बेहतर होने से अमेरिका में तिलहन निर्यात की संभावनाएं भी बेहतर हो रही हैं और इसके चलते ही सोयाबीन की कीमतें बढ़ते हुए 2 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अभी भी अमेरिकी सोयाबीन ब्राजील के सोयाबीन से सस्ता है और इससे अमेरिकी निर्यातकों को बिक्री बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
कम सप्लाई के मुकाबले अधिक मांग के चलते सरसों के जून वायदा की कीमतें 4900 रुपए का स्तर छू सकती हैं। देश की मिलों में मई माह में सरसों की पेराई 6.7% की वृद्धि के साथ 800000 टन हुई है।
सरसों उत्पादन के मुख्य क्षेत्रों में राष्ट्रव्यापी तालाबंदी में ढील के कारण सरसों की पेराई बंद हो गई है। कृषि क्षेत्र में लॉक डाउन से छूट के चलते खेतों से मंडियों तक और मंडी से तेल मिलो तक परिवहन आसान हो गया है। छूट के चलते सरसों की पेराई में तेजी आने की संभावना है।
सोया तेल जून वायदा में₹810 पर सपोर्ट है और इस सपोर्ट से सोया तेल की कीमतें 825 से ₹830 तक जा सकती है। देश के कई हिस्सों में रेस्टोरेंट्स ने काम करना शुरू कर दिया है और इससे खाद्य तेलों की मांग में बड़ी तेजी आ सकती है और मांग कोविड-19 पूर्व की स्थिति में आ सकती है।
सीपीओ जून वायदा के ₹690 से ₹705 तक बढ़त की संभावना है। देश में खाद्य तेलों के प्रति आत्मनिर्भर बनाने के लिए आयातित तेल के ऊपर आयात कर बढ़ाने की कवायद चल रही है। जानकार सूत्रों के अनुसार आयातित तेल पर 5% का आयातित कर बढाया जा सकता है। लेकिन इस संबंध में फैसला नहीं हुआ है। गौरतलब है कि देश में कच्चे पाम तेल पर 37.5 और रिफाइंड तेल पर 45%आयात कर लगा हुआ है।
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