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Saturday, August 1, 2020

क्रिसिल का अनुमान-वर्तमान वित्त वर्ष में कम रह सकता है बासमती चावल का निर्यात


Basmati rice export updates



नई दिल्ली। प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अनुमान जताया है कि वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में करीब 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है। अमेरिकी पाबंदियों से ईरान में डॉलर और पेमेंट की किल्लत की आशंका बढ़ गई है। भारत के बासमती चावल के निर्यात में अकेले ईरान की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी की है।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ईरान ने भारत से करीब 13 लाख टन बासमती चावल खरीदा था जोकि भारत के कुल बासमती चावल के निर्यात का करीब 30 फीसदी हिस्सा है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की मार से जूझ रहे ईरान में अमेरिकी पाबंदियों का बड़ा असर दिखने लगा है और अब वहां पेमेंट संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। वहां डॉलर की किल्लत को देखते हुए भारतीय बासमती चावल के निर्यातक अब ईरान से सौदों कम रहे हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भुगतान संकट की वजह से भारत से ईरान को बासमती चावल के निर्यात के सौदे पहले ही 20 फीसदी गिरकर 13 लाख टन पर आ चुका है, हालांकि दूसरे बाजारों में इसकी मांग सुधरी है और कई देशों में कोरोना से निपटने में खाद्यान भंडार बनाने की वजह से मांग और बढ़ने की उम्मीद है।
    एपिडा के मुताबिक साल 2019-20 के दौरान भारत ने कुल 4.33 बिलियन डॉलर का 44.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया। जबकि इससे एक साल पहले 4.72 बिलियन डॉलर का करीब 44.1 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था। सूत्रों के अनुसार आर्थिक पाबंदिया, डॉलर में उतार-चढ़ाव और पेमेंट संकट से कारोबार पर असर पड़ा है, हालांकि कुछ निर्यातकों को उम्मीद है कि इन सब के बावजूद ईरान की मांग में आगे सुधार बन सकता है। साथ ही कई अन्य देशों जैसे यूरोप आदि की बढ़ती मांग से भारत बासमती चावल के कुल निर्यात पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।
मजूदरों की कमी के कारण बंदरगाह पर खर्च बढ़ गया
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बार निर्यात रियलाइजेशन में कमी देखी जा रही है। फिलहाल औसत एक्सपोर्ट रियलाइजेशन 63 रुपये प्रति किलो का है जबकि पिछले साल यह 69 रुपये प्रति किलो था। वहीं घरेलू बाजार में जहां सालाना करीब 20 लाख टन की बिक्री रहती है रियलाइजेशन पिछले साल के 52 रुपये प्रति किलो के आसपास ही है। निर्यात के लिए बासमती चावल की परिवहन लागत बंदरगाह तक पहुंच महंगी पड़ रही है, कोरोना वायरस के कारण मजदूरों की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक आंध्र प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच काकीनाड़ा बंदरगाह पर माल की लदाई में देरी हो रही है। काकीनाड़ा बंदरगाह पर चावल की लदाई करीब 30 फीसदी तक कम हो गई है।

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