नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत से चीन को होने वाले कपास उत्पादों के निर्यात में 74 फीसदी की भारी गिरावट आई है। इसका प्रमुख कारण कोरोना वायरस के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन के साथ ही मांग में कमी के अलावा रिश्तों में तनाव को भी माना जा रहा है। भारत के कपास उत्पादों के निर्यात में चीन की हिस्सेदारी पिछले साल की समान अवधि के 14 फीसदी से घटकर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मात्र 6.9 फीसदी ही रह गई।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान देश से चीन को महज 9 करोड़ डॉलर के कपास उत्पादों का निर्यात ही हुआ है। इसके साथ ही भारत के कपास उत्पादों का विश्व बाजार में चीन सबसे बड़ा खरीदार है। कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (टेक्सप्रोसिल) के मुताबिक पिछले साल अप्रैल-जून तिमाही में भारत से चीन को 34.6 करोड़ डॉलर के कपास उत्पादों का एक्सपोर्ट हुआ था।
दोनोंं ओर के बंदरगाहों पर सख्ती से निर्यात की जारी खेप के क्लियरेंस में काफी देरी हुई और इस वजह से भी व्यापार पर असर पड़ा है। साथ ही भारत में चीन के कुछ उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगने से भी भारत का कपास उत्पादों का निर्यात प्रभावित हुआ है।
पहली तिमाही के दौरान भारत का कुल कपास उत्पादों का निर्यात 47 फीसदी घटकर 1.29 बिलियन डॉलर का रह गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में 2.42 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ था। चीन, वियतनाम, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों में खास तौर से सर्टिफिकेशन ऑफ ओरिजिन जैसे अहम दस्तावेजों में देरी से डिलिवरी प्रभावित हुई है।
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