कमजोर मांग के बीच नयी बिकवाली के कारण हल्दी वायदा (अप्रेल) की कीमतें बुधवार को 1.5 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुई और कीमतों के 9050-9350 के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। देश के दक्षिणी हिस्सों में नवम्बर में लगातार बारिश के कारण कम उत्पादन की उम्मीद पर कीमतें वर्ष दर वर्ष 60 प्रतिशत ऊपर हैं। लेकिन सामान्य निर्यात वॉल्यूम के कारण कीमतों में बढ़त पर रोक लग रही है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 7 महीनों में पिछले साल के मुकाबले 23 प्रतिशत घटकर 89850 टन का निर्यात हुआ है लेकिन यह 5 साल के औसत से 6.5 फीसदी अधिक है। जीरा वायदा जनवरी की कीमतें बुधवार को 1 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुई और कीमतों के 16000-16300 के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। जीरे की भौतिक मांग बढ़ रही है जबकि बुवाई की प्रगति अभी धीमी है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 13 दिसम्बर तक गुजरात में जीरा का रकबा केवल 2.75 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 4.53 लाख हेक्टेयर था। वहीं राजस्थान में 4.66 लाख हेक्टेयर में जीरा की बुवाई हुई है। सरकारी आंकडों के अनुसार अप्रेल-अक्टूबर में जीरा का निर्यात वर्ष दर वर्ष 1.50 लाख टन रह गया है। पिछले वर्ष 1.82 लाख टन हुआ था। नई निर्यात मांग निकलने से जीरा के भावों में बढ़त की संभावना है। धनिया वायदा की कीमतें 8450 से 8850 रुपये के दायरे में रहनी चाहिये। मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात में धनिया की बुवाई जारी है। जानकारों के अनुसार मध्यप्रदेश और राजस्थान में धनिया की बुवाई धीमी है क्योंकि किसान दलहन और तिलहन की फसलों पर स्थानांतरित हो रहे हैं। 13 दिसम्बर को गुजरात में धनिया का रकबा 108923 हेक्टेयर दर्ज किया गया है जो कि पिछले साल के 115969 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आंकडों के अनुसार अप्रेल-अक्टूबर की अवधि के दौरान धनिया का निर्यात गत वर्ष की समान में दर्ज 33000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 288000 टन हुआ है लेकिन यह पिछले साल के औसत से 8.6 फीसदी अधिक है।
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