3 मिलियन लीटर जल के संग्रहण और 10 मिलियन लीटर वर्षा जल के संचयन की क्षमता से सुसज्जित यह पहला तालाब है , इससे अकाल पीड़ित गांव में 600 से ज्यादा लोगों को फायदा होगा
अलवर। लिक्विड और पाउडर कोटिंग्स की प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता कंपनी एक्ज़ाल्टा (NYSE: AXTA) ने भारत में एक पंजीकृत चैरिटेबल ट्रस्ट एसएम सहगल फाउंडेशन (सहगल फाउंडेशन) के साथ साझेदारी में एक तालाब का निर्माण पूरा होने की घोषणा की। भारत के अलवर जिले के अकाल पीड़ित भूरिया बास गांव में वर्षा जल के संग्रहण और संचयन के लिए 3 मिलियन (30 लाख) लीटर क्षमता के एक तालाब का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। सहगल फाउंडेशन के साथ साझेदारी में अगले तीन सालों में बनाए जाने वाले तीन तालाबों में भूरिया बास तालाब पहला तालाब है।
भूरिया बास तालाब भूरिया बास गांव में 0.6 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बनाया गया है। स्थानीय कृषि, पशुपालन और स्वस्थ पर्यावरण को समर्थन दने के लिए तालाब में 10 मिलियन लीटर वर्षा जल के संग्रहण की क्षमता है। इस क्षेत्र में सालाना औसत बारिश 620 एमएम होती है, जो मुख्य रूप से जुलाई से सितंबर तक होती थी। इस नव निर्मित तालाब का रख रखाव और प्रबंधन स्थानीय ग्रामीण समुदाय करेगा, जिसमें सहगल फाउंडेशन द्वारा पूरी तरह से मदद की जायेगी।
तालाब का विकास स्थानीय समुदाय को जल और मृदा संरक्षण में भी शामिल करेगा। कृषि और पशुपालन ग्रामीणों की जीविका के मुख्य स्त्रोत है। ग्रामीणों के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत वर्षा जल है। इसके बाद गांव में बनने वाले दूसरे तालाबों और वृक्षारोपण से ग्रामीणों के जीवन में और खुशहाली आएगी।
एक्ज़ाल्टा में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में रिफिनिश के बिजनेस डायरेक्टर लोकेंद्र पाल सिंह ने कहा,“एक्ज़ाल्टा भारत में न सिर्फ अपने उपभोक्ताओं के लिए, बल्कि समाज और स्थानीय समुदाय के स्थिर भविष्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। सहगल फाउंडेशन के साथ मिलकर हमने भूरिया बास गांव और उसके इर्द-गिर्द जिले में पानी की लंबे समय से चली आ रही समस्या को पहचाना है। हमारे संयुक्त प्रयास का लक्ष्य राजस्थान के अकाल पीड़ित इलाके को ज्य़ादा से ज्यादा मदद मुहैया कराना है, जिससे वर्षा जल के संग्रहण के माध्यम से वहां के निवासियों को पानी की पर्याप्त आपूर्ति मिले, जिससेवह रोजमर्रा की जिंदगी में पानी से संबंधित सभी कार्य बेरोकटोक और बिना परेशानी के पूरे कर सकें और उन्हें रोजाना की जिंदगी में पानी की कमी का सामना न करना पड़े।
सहगल फाउंडेशन के ललित मोहन शर्मा ने कहा,“एक्ज़ाल्टा के सहयोग से सहगल फाउंडेशन ने इस गांव में जलभंडारण की जरूरत को पूरा करने की दिशा में काम किया। इसके तहत वर्षा जल के संग्रहण के लिए तालाब का निर्माण पूरा कराया गया और स्वस्थ पर्यावरण को बढ़ावा देने देने के लिए वहां कुछ पेड़-पौधे भी लगाए गए। तालाब के बनने से लोगों के इस्तेमाल के लिए ग्राउंड वॉटर का लेवल काफी बढ़ जाएगा। हमें विश्वास है कि आने वाले समय में इन छोटे-छोटे कदमों से भूरिया बास में पानी की कमी झेल रहे इंसानों और जानवरों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी।“
इस परियोजना के तहत मिट्टी के कटाव को रोकने, जानवरों को चारा और छाया प्रदान करने के लिए वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गया। इससे उस क्षेत्र को फिर से नया जीवन दिया गया, जहां करीब 12,000जंगली पेड़-पौधों की जैव विविधता है। इसके साथ ही यह क्षेत्र जंगली जानवरों का घर भी है। सहगल पाउंडेशन के साथ मिलकर ग्रामीणों ने तालाब (जोहड़) पर 500 से ज्यादा छायादार पेड़ लगाए। चूंकि यह गांव पहाड़ी इलाके में स्थित है इसलिए पेड़ लगाने के लिए जमीन की खुदाई करनी पड़ी थी। हर परिवार को एक पेड़ लगाने और उसकी देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ग्रामीणों ने सफलतापूर्वक फलदार और छायादार वृक्ष भी लगाए। अमरूद, संतरा, नींबू और मीठे नींबू के कुछ पौधे ग्रामीणों में बांटे गए थे, जिससे वह अपने घर पर इन पौधों को लगा सकें। इसके अलावा करीब 140 से ज्यादा ग्रामीणों को 250 से ज्यादा पौधे वितरित किए गए थे।
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