जयपुर। लकड़ी विश्व का सबसे बड़ा अद्भुत और प्रकृति का अनूठा तोहफा है।किसी भी लकड़ी के फर्नीचर में लकड़ी की गुणवत्ता महत्वपूर्ण होती है।लेकिन जब हम लकड़ी का फर्नीचर खरीदते हैं तो यह नहीं जानते कि यह लकड़ी कहां से आई है, किस जंगल से इस लकड़ी को लिया गया है।न ही इस पर ध्यान देते कि इस लकड़ी के लिए जंगल का कितना हिस्सा नष्ट किया गया है जो कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है।
इसीलिए वुड कंट्रोल सिस्टम यानि डब्ल्यूसीएस प्रणाली बनाई गई।जो कि यह बता देगी कि फर्नीचर किस लकड़ी से बनाया गया है।
फ्रांस की प्रमुख फर्नीचर निर्माता कंपनी मायसंस डू मोंडे यानि कि एमडीएम जो कि द फोरेस्ट ट्रस्ट यानि कि टीएफटी के साथ मिलकर इस ट्रेसेबल सिस्टम डब्ल्यूसीएम पर पिछले कई सालों से काम कर रही है। टीएफटी, एमडीएम की सप्लाई चैन के साथ जमीनी स्तर पर कार्य करता है।इसमें लकड़ी किसान से सीधे एक्सपोर्टर तक आती है और जमीनी स्तर पर सर्वे कर इसे डब्ल्यूसीएस के लायक बनाया जाता है।इस तरीके से आम और शीशम के पेड़ों की लकड़ी के उपयोग और इनकी पहचान को भी ट्रेस किया जा सकता है।अगर कोई उत्पादक यह दावा करता है कि यह लकडी आम या शीषम की है, तो इस सिस्टम के माध्यम से उसे वेरिफाई किया जा सकता है।साथ ही प्रत्येक पेड की लोकेशन व उसके मालिक का भी पता लगाया जा सकता है।इसके अलावा प्रोडेक्ट को त्वरित प्रतिक्रिया कोड (क्यूआरकोड) के साथ मार्केट में लाया जाता है।इस कोड को स्कैन करके खरीदी गई लकड़ी का पूरा इतिहास जाना जा सकता है कि वह लकडी किस जंगल से लाई गई है, उसका मालिक कौन है।
फ्रांस की कंपनी एमडीएम की मिस इरिना कूपे का कहना है कि प्रतिस्पर्धा के बदलते दौर में यूरोपीय कंपनियों को नियमों की पालना करने के साथ ही पयार्यवरण को भी संरक्षित करना है।इनका मानना है कि केवल एक उत्पाद के लिए सप्लाई चेन का पता लगना दुश्वार है। लेकिन अगर किसी भी प्रोडेक्ट के कच्चे माल ट्रेसेबल कर सकें। इस सिस्टम के तीन लाभ है- इससे सप्लाई चेन में पारदर्शिता आती है, क्वालिटी मैनेजमेंट में सुधार होता है, साथ ही रिस्क को कम करता है एवं पर्यावरण सुधार करता है।
द फोरेस्ट ट्रस्ट के ग्रे गोयर कहते हैं कि हर दिन विश्व में लाखो लोग लकड़ी के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते है। प्रकृति के इस अद्भुत संसाधन के कारण मानव समाज के जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई है।लेकिन संरक्षण के अभाव में प्रकृति का सबसे निराला उपहार तेजी से कम हो रहा है।इसके लिए समाज के हर वर्ग को लकड़ी के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए आगे आना होगा।
टीएफटी की भारत शाखा के संकेत का कहना है कि भारत के विभिन्न प्रदेशों में लकड़ी खरीद के लिए अलग-अलग नियम बने हुए हैं। ऐसे में वुड कंट्रोल सिस्टम (डब्लूसीएस) सर्वाधिक उपयोगी है।इससे लकड़ी के स्रोत का पता चल जाता है। यह सिस्टम एक्सपोर्टर व उत्पादकों को भी वुडन फर्नीचर की वेधता की गारंटी देता है।गत कई वर्षो से यह सिस्टम संचालित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि टीएफटी एक नॉन प्रोफिटबेल ऑर्गेनाइजेशन है, जो वर्ष 1999 से कार्य कर रहा है। यह आपूर्ति श्रृंखला, सामाजिक और पर्यावरणीय विशेषज्ञों, बोर्ड रूम और क्षेत्र के लोगों, प्रकृति प्रेमी, एनजीओ और कंपनियों के बीच सेतु का कार्य कर रहा है।
No comments:
Post a Comment