नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और टेक्नोलॉजी क्षेत्र की कंपनियेां से भारत के खनिज और धातु क्षेत्र में निवेश करने का आग्रह किया है। इस्पात मंत्री नई दिल्ली में खनिज और धातु- परिदृश्य 2030 विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत के खनिज क्षेत्र की क्षमता काफी अधिक है और खनन कार्यों से अछूते क्षेत्रों में निवेशकों के लिए अपार अवसर हैं। भारत खनिज दृष्टि से संपन्न देश है और देश में ईंधन, परमाणु, धातु और गैर धातु तथा छोटे खनिजों सहित 95 प्रकार के खनिज हैं।
मंत्रालय के सचिव विनय कुमार ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत लौह अयस्क का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) देश में सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। उन्होंने बताया कि भारत इस्पात का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और देश शीघ्र ही दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि चालू वर्ष में इस्पात की खपत 69 किलो ग्राम हो गई है लेकिन अभी भी अंतरराष्ट्रीय खपत मानक से पीछे है। इसलिए भविष्य में इस्पात उद्योग की संभावनाएं अधिक हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में 2030 तक 300 मीलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसलिए खनन क्षेत्र को 2030 से पहले इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सक्रिय कदम उठाना चाहिए।
एनएमडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एन.बैजेन्द्र कुमार ने बताया कि सम्मेलन में खनिज और धातु क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर फोकस किया जाएगा और इससे राष्ट्रीय इस्पात नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने में हितधारकों को मदद मिलेगी।
सम्मेलन का उद्देश्य खनिज और धातु के लिए वैश्विक बाजार की समझदारी बढ़ाना, खनिज विकास और आर्थिक विकास के बीच अंतर-संपर्क को प्रमुखता देना और भारत के धातु उद्योग को प्रभावित करने वाले अंतरराष्ट्रीय धातु बजार को समझना है।
इस सम्मेलन में 16 देशों के 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय धातु उत्पादको को विचार-विमर्श, नियोजन और पारस्परिक लाभकारी संबंध स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगा।
सम्मेलन का आयोजन एनएमडीसी द्वारा किया गया है। इस्पात और खान तथा विदेश मंत्रालय ने समर्थन दिया है।
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