जयपुर। खरीफ फसलों में उड़द की आवक सामान्य अनुमान के मुकाबले 20% कम प्राप्त हो रही है। वही बारिश के चलते उड़द का माल दागी हुआ है और यही दागी माल अभी मंडियों में आ रहा है। उड़द की फसल कमजोर है और न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद की भावांतर योजना के तहत उड़द की खरीद शुरू हो चुकी है। वहीं त्योहारी सीजन को देखते हुए उड़द की मांग बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा उड़द का आयात भी डेढ़ लाख टन तक सीमित हो चुका है। इस आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में उड़द के भाव को समर्थन मिलता रहेगा। वहीं आने वाले सप्ताहों में सरकारी एजेंसियों द्वारा उड़द की नीलामी बंद किए जाने से भी इसके भावों को समर्थन मिलने की संभावना है। वहीं वर्ष 2007 के बाद अब तुअर और उड़द का वायदा फिर से शुरू करने की कवायद इसके भाव को समर्थन देगी।
बर्मा में उड़द $390 के faq और sq $535 प्रति मीट्रिक टन पर ऑफर की जा रही है। वहीं घरेलू बाजार में उड़द 3600-3700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर कारोबार कर रही है और उसका sq करीब ₹4900 है। मिलर्स को अभी बर्मा से पोर्ट पर 3035 faq और 4035 sq पर उड़द उपलब्ध हो रही है। जब यह आपूर्ति सीमित होगी तब उड़द की नई मांग निकलेगी। गौरतलब है कि नेफैड के पास अभी उड़द का 165836.44 मीट्रिक टन का भंडार पड़ा है। उड़द का सबसे ज्यादा स्टॉक राजस्थान में (96049.44 मीट्रिक टन) है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में क्रमशः 36143
मीट्रिक टन और 15179 मीट्रिक टन का स्टॉक है।वहीं कर्नाटक में किसी प्रकार का भी स्टॉक नहीं है। इस आधार पर लगता है कि मध्यम अवधि में उड़द की कमी नहीं रहनी चाहिए।
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