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जयपुर । अनुभव आधारित शिक्षा के मामले में सबसे आगे, जे के लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी ने अपने संथापक लाला लक्ष्मीपत सिंघानिया का 108वाँ जन्मोत्सव बडी धूमधाम से मनाया जिसमेँ ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेकनिकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी. सहस्त्रबुधे मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए। यह समारोह जयपुर स्थित 30 एकड भूमि में फैले आधुनिक और वातावरण के अनुकूल यूनिवर्सिटी के कैम्पस में 23 नवम्बर को आयोजित किया गया।
मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के बाद स्वर्गीय श्री लाला लक्ष्मीपत सिंघानिया की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. आर.एल. रैना ने कार्यक्रम में पधारे अतिथियोँ का स्वागत किया और पिछ्ले एक साल के दौरान यूनिवर्सिटी द्वारा की गई नई पहलोँ के बारे में जानकारी दी।
स्वागत अभिभाषण यूनिवर्सिटी के चांसलर भरत हरी सिंघानिया ने प्रस्तुत किया। इस अभिभाषण में उन्होने कहा कि जेकेओ का मूलमंत्र है हर किसी के लिए बेहतरीन शिक्षा और गुणवत्ता उपलब्ध कराना। अपने पिता स्वर्गीय लाला लक्ष्मीपत सिंघानिया और अपने भाई स्वर्गीय श्री हरी शंकर सिंघानिया को याद करते हुए उन्होने जेकेओ के सिद्धांतोँ की बात की और उन्होने छात्रोँ से यह अपील की कि वे कैम्पस में रहते हुए अपने समय और ऊर्जा को रचनात्मक कार्योँ में लगाएँ ताकि खुद को भविष्य के लिए तैयार कर सकेँ। उन्होने कहा कि कोई भी व्यक्ति खुद में सुधार लाकर ही दुनिया को बदलने का काम कर सकता है। उन्होने नए ‘इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन’की शुरुआत की भी घोषणा की जहाँ इंटरनेशनल डिजाइन, प्रॉडक्ट डिजाइन और ट्रांस डिसिप्लिनरी डिजाइन से सम्बंधित कोर्स 2019-20 के अकादमिक वर्ष से चलाए जाएंगे।
अपने अभिभाषण में ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेकनिकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी. सहस्त्रबुधे ने कहा कि, आज के दौर की सबसे बडी जरूरत है छात्रोँ में इस तरह के कौशल का विकास करना जिससे उनके रोजगार के अवसर बढेँ,उनको सैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी भरपूर हो और जो सस्टेनेबल भी हो। उन्होने इस बात पर जोर दिया कि आज के समय में फेलियर का डर त्यागकर शिक्षा में प्रयोगात्मक और आविष्कारी सिस्टम को बढावा देने की जरूरत है। उन्होने इस ओर ध्यान आकर्षित किया कि आज भी देश के आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी परम्पराग शिक्षा पद्धति पर चल रहे हैं, ऐसे में निजी संस्थानोँ को इस दिशा में कदम बढाने की आवश्यकता है ताकि समसामयिक शिक्षा के लिए नए तरीके अपनाए और जांचे जा सकेँ। देश में नई प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (पीबीएल) की शुरुआत और बोस्टन यूएसए के ऑलिन कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग के साथ सहयोग स्थापित करने के लिए जेकेएलयू की पहल की सराहना करते हुए उन्होने यह खुलासा किया कि सरकार मूल्यांकन के सिस्टम में इस तरह से सुधार लाने जा रही है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में मैलिकता और नए आविष्कारोँ को अधिक महत्व दिया जाए न कि पुरानी किताबी जानकारियोँ के नए प्रस्तुतिकरण को। यह महसूस करते हुए कि जेकेएलयू न सिर्फ बेहतरीन संसाधन विकसित किया है बल्कि विदेश से बेहतरीन फैकल्टीज को भी यहाँ लेकर आया है और साथ ही योग्य स्थानीय फैकल्टीज का समायोजन भी किया है, उन्होने जेकेएलयू से यह गुजारिश की कि वह बीपील को लागू करने के अपने अनुभवोँ को अन्य भारतीय यूनिवर्सिटीज के साथ भी साझा करे ताकि इस नई आविष्कारी पहल का लाभ पूरे भारतीय शिक्षा सिस्टम को मिल सके। ट्रांस -डिसिप्लिनरी कार्यक्रम की शुरुआत की यूनिवर्सिटी की पहल की सराहना करते हुए डॉ. सहस्त्रबुधे ने कहा कि इससे फैकल्टी सदस्य अपने छात्रोँ के भीतर छिपी प्रतिभाओँ को पहचानने और उन्हेँ उभारने में सहायता मिलेगी। उन्होने अपने अभिभाषण का समापन करते हुए यह कहा कि इस तरह की पहल सरकार की तमाम योजनाओँ जैसे कि स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया आदि को बढावा देने में मदद्गार साबित होगी;जिससे भारतीय यूनिवर्सिटीज को वैश्विक रैनिंग में अपना स्थान हासिल करने में सहायता मिलेगी और धीरे-धीरे उनका स्थान मजबूत होगा और इस सबके साथ-साथ इससे देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सपने को भी साकार करने की दिशा में हम आगे बढेंगे जिसमेँ उन्होने देश को विकसित देश की श्रेणी में खडा करने की आकांक्षा रखी थी।
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