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Friday, November 16, 2018

नवजात इंटेंसिव केयर यूनिट की बेहतरीन सुविधा से कम हो सकते हैं आईएमआर के मामले



Neonatal Intensive Care Units Can Reduce IMR




·         सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) 2016 के अनुसारराजस्थान में जन्म लेने वाले प्रति 1000 जीवित बच्चोँ पर 41 नवजातोँ की मृत्यु दर्ज की गई है।
·         पिछ्ले 10 वर्षोँ में हॉस्पिटल ने ऐसे 2500 नवजातों
की जान बचाने में सहायता की है जिनका जन्म गर्भ में 37 हफ्ते पूरे होने से पहले हो गया था।
·         समय से पहले जन्मे बच्चोँ की 7 प्रमुख जरूरतेँ होती हैंजैसे कि हीलिंग वातावरणपरिवार का सहयोगबच्चे की उपयुक्त देखभालबच्चे की सुरक्षित नींदउसके दर्द और तनाव को कम से कम करनाबच्चे की त्वचा की सुरक्षा और उपयुक्त पोषण सुनिश्चित करना।

जयपुर राज्य में नवजात शिशुओँ की अधिक मृत्यु दर (आईएमआर) के लिए जिम्मेदार कारणोँ में से एक,समयपूर्व जन्म से होने वाली समस्याओँ को सफलतापूर्वक दूर किया जा सकता हैअगर इसके लिए अस्पतालोँ में बेहतरीन नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) की व्यवस्था कर ली जाए तो। पिछ्ले 10 वर्षोँ के दौरान हॉस्पिटल ने ऐसे 2500 नवजातोँ के जीवन के आगे आने वाली अडचनोँ को बडी सफलता से दूर किया है जिनका जन्म माँ की कोख में 37 सप्ताह पूरे करने से पहले हो गया था।

सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) 2016 क अनुसार,राजस्थान में जन्म लेने वाले प्रति 1000 जीवित शिशुओँ में से 41 की मौत दर्ज की गईजिसके लिए बर्थ एस्फिक्सियाजन्म के समय कम वजन (एलबीडब्ल्यु),संक्रमणडायरियाटायफॉइडऔर हाइपोथर्मिया जिम्मेदार है और इनमेँ से अधिकतर समस्याओँ का सम्बंध समय से पूर्व बच्चे के जन्म से जुडी हुई हैं।

फोर्टिस ला फेमजयपुर के एचओडी एवम सीनियर कंसल्टेंट-नियोनेटोलॉजी डॉ. सत्येन के. हेमराजानी कहते हैं, “अधिकतर जगहोँ पर नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में ऐसी उपयुक्त सुविधाएँ नहीं होती हैंजो समयपूर्व जन्मे बच्चोँ की जरूरतोँ को सही ढंग से पूरा कर सकेँ। समय से पहले जन्मे बच्चोँ की कई तरह की जरूरतेँ होती हैं और इन सभी जरूरतोँ को एक साथ मैनेज करना आवश्यक होता है। ऐसे में अस्पतालोँ में आधुनिकतम सुविधाओँ से लैश एनआईसीयू की जरूरत होती है बल्कि ऐसे प्रशिक्षित स्टाफ की भी जरूरत है जो नाजुक स्थिति को सम्भालने की क्षमता रखते होँ। जब तक इन दोनोँ जरूरतोँ को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक कोई भी एनआईसीयू उपयुक्त ढंग से काम नहीं कर पाएगा।“

नियोनेटल इंटेंसिव केयर के क्षेत्र में आए हालिया तकनीकी विकास एक समयपूर्व जन्मे बच्चे की सात महत्वपूर्ण जरूरतोँ को पूरा कर पाने में सक्षम हैंजैसे कि हीलिंग वातावरणपरिवारोँ के साथ सहयोगबच्चे की पोजीशन और उसको सम्भालने के सही तरीके बच्चे की सुरक्षित नींदउसके तनाव और दर्द को कम से कम करनाउसकी त्वचा की सुरक्षा और उपयुक्त पोषण उपलब्ध कराना। बडे अस्पतालोँ और मातृत्व देखभाल केंद्रोँ में मिल्क बैंक खुल जाने से एनआईसीयू में भर्ती बच्चोँ के पोषण की जरूरतेँ बखूबी पूरी का जा सकती हैं।

एनआईसीयू ऐसे होने चाहिए जो नवजात और उसके पैरेंट्स के साथ स्किन-टु-स्किन सम्पर्क को भी सुनिश्चित कर सके जिससे बच्चे का उपयुक्त मानसिक विकास होता है और पैरेंट्स के साथ उसका लगाव बढता हैविश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्युएचओ) एसएससी “कंगारू मदर केयर” (केएमसी) की सलाह देता है जो कि एक सम्पूर्ण देखभाल रणनीति है। एनआईसीयू का फिजिकल वातावरण ऐसा होना चाहिए जिसमेँ भरपूर जगह हो,निजता और सुरक्षा होउपयुक्त तापमान टचसुगंध,स्वादध्वनि और रोशनी सम्बंधी इस तरह का सेंसरी वातावरण हो जो बच्चे के लिए पूरी तरह से उपयुक्त होता है। एनआईसीयू में इस तरह की सुविधा भी होनी चाहिए जिससे “फैमिली सेंटर्ड केयर” के नए ट्रेंड की जरूरतोँ को भी पूरा किया जा सकेइससे नए पैरेंट्स और उनके समय पूर्व जन्मे नवजात शिशु के बीच पारिवारिक भावना को विकसित करने सम्बंधी जरूरतोँ को पूरा किया जा सकता हैचूंकि प्रत्येक एनआईसीयू दाखिले के साथअक्सर माता-पिता और बच्चे के बीच सामान्य लगाव नहीं हो पाता हैक्योंकि एनआईसीयू में भर्ती बच्चोँ के पैरेंट्स को काफी मानसिक तनावडिप्रेशन और अवसाद जैसी समस्याएँ होने की आशंका रहती है,क्योंकि उन्हेँ अपने बच्चे के अनिश्चित भविष्यआर्थिक दबाव और यहाँ तक कि पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) होने का खतरा रहता है।

इनफैंट पोजीशनिंग असेसमेंट टूल (आईपीएटी) की सुविधा के साथ सही जानकारी उपलब्ध कराकर नर्सोँ की एनआईसीयू के बच्चोँ की क्षमता को बढाया जा सकता हैजिससे एनआईसीयू के बच्चोँ का उपयुक्त विकास सुनिश्चित किया जा सकता है और साथ ही बच्चे की पोजीशनिंग की लगातार निगरानी भी हो सकती है। एनआईसीयू का सहयोगात्मक वातावरण बच्चे में सुरक्षा की भावना को विकसित करता हैजिससे उसका तनाव कम होता है और अधिक ऊर्जा खर्च होने से बचती है। एक समय पूर्व जन्मा बच्चे को जब डायपर बदलनेफीड करानेनहलानेजांच और थेरेपी आदि के लिए हैंडल किया जाता है तब वह नकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकता हैपरिणामस्वरूप बच्चा कई मिनटोँ तक रोता रहता है,जिससे उसकी ऊर्जा खत्म हो जाती है। ऐसे बच्चोँ को बेहद धीरे सेसावधानी पूर्वक उठाया जाना चाहिए ताकि उसे अधिक परेशानी का एहसास न हो। साथ हीबार-बार उठाने और छूने से बच्चे की नींद डिस्टर्ब हो सकती हैजिससे उसका वजन सही ढंग से नहीं बढेगाउसका सही ढंग से विकास नहीं होगा और सबसे महत्वपूर्ण बातइससे उसका मानसिक विकास भी प्रभावित होगा। 

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