नोट- यह फोटो प्रतीकात्मक लगाई गई है
जयपुर। भारत जैसे पुरुष प्रधान समाज में महिला उद्यमियों के लिए अपनी प्रतिभा का अधिकतम इस्तेमाल करने और व्यावसायिक रूप से अपने आप को समृद्ध करने के लिए नाममात्र के अवसर ही उपलब्ध होते हैं। वास्तव में राजस्थान जैसे कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जो अधिक पारंपरिक हैं और इसलिए महिला उद्यमियों के लिए ऐसे माहौल में अपने लिए जगह बनाना और भी मुश्किल है, क्योंकि ऐसे पुरुष प्रधान बुर्जों को भेदने में अत्यधिक दिक्कतें आती हैं।
लेकन ये चुनौतियां भी जयपुर की एक व्यावसायिक महिला और सफल उद्यमी साक्षी गिल का रास्ता नहीं रोक पाई, जिन्होंने कभी भी इस अनुचित स्त्री-पुरुष संबंधी पूर्वाग्रह को स्वीकार ही नहीं किया। उन्होंने इस विभेद को अपने लिए प्रेरणा के तौर पर लिया और न सिर्फ इन कठिनाइयों को पार किया, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले कारोबार- लॉजिस्टिक्स में कदम रखा और इसी क्षेत्र में आगे बढने का संकल्प व्यक्त किया। लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में श्रमिकों और कर्मचारियों का प्रबंधन करना सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है। वहां संगठन के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों की ओर एक मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
2002 में वे अपने पिता के कारोबार ‘संतोष अर्थ गिल एंड मूवर्स‘ और ‘साक्षी कैरियर प्राइवेट लिमिटेड‘ में शामिल हो गईं। एक छोटी उम्र से ही उन्हें अपने पिता से भरपूर प्रोत्साहन मिला और जाहिर है कि इससे उनके आत्म-सम्मान में वृद्धि हुई, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस कारोबार में पुरुष समकक्षों के साथ अपने फासले को कम करने में उन्हें कामयाबी मिली।
अपने पिता, भाई और पति को सफलता का श्रेय देते हुए वेे खुलासा करती हैं कि इन तीन असाधारण लोगों ने उन्हें प्रेरित करने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साक्षी ने अपने पिता से सीखा कि हमें अपने काम के प्रति पूरी तरह ईमानदारी बरतनी चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। और भाई से उन्होंने सीखा कि वो सब कुछ करो, जो आपको दिल से पसंद है और इस दौरान उनके पति ने उनमें भरपूर भरोसा जताया और उनके सभी फैसलों का समर्थन किया।
ग्राहकों से सम्मान हासिल करने और उनके साथ संबंध जोडना वाकई एक चुनौतीपूर्ण काम था। ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स उद्योग में बहुत से ग्राहक शुरुआत में एक महिला के साथ काम करने को तैयार नहीं होते थे। इसके अलावा, साक्षी के विचार एकदम विद्रोही किस्म के थे, वे बेहद सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से काम करने में विश्वास करती थीं, जबकि परिवहन उद्योग एक सीधे-सादे सिद्धांत पर काम करता था- माल को उठाओ और उसे अंतिम बिंदु तक वितरित कर डालो। लेकिन साक्षी ने इन सभी चुनौतियों को भी अत्यंत धैर्यपूर्वक पार कर लिया।
जल्द ही साक्षी को यह समझ में आ गया कि ड्राइवर समुदाय उद्योग की रीढ़ की हड्डी है और उन्होंने संघर्षण दरों को कम करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन योजनाओं और अन्य विचारों के माध्यम से चालकों के योगदान को पहचानने का प्रयास किया। हालांकि इसमें कुछ वक्त जरूर लगा, लेकिन आखिरकार वे इस परिवर्तन को लागू करने और संगठन के दिमाग में बसी अवधारणा को बदलने में कामयाब रहीं।
वर्ष 2011 में साक्षी ने सिएट रोड ट्रांसपोर्ट अवार्ड्स के तहत यूथ एंटरप्रेन्योर अवार्ड हासिल किया। फिर इसके बाद 2013 में उन्होंने महिंद्रा की तरफ से दो अवार्ड- लेडी ट्रांसपोर्टर ऑफ द ईयर और यूथ एंटरप्रेन्योर-2013 हासिल किए।
पुरस्कार समारोहों में शामिल होने के दौरान जाहिर है कि उनके पिता ने अपनी बेटी पर फख्र किया। और इन पुरस्कारों ने साक्षी को इस दिशा में और अधिक प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया। खुशकिस्मती से आज महिंद्रा लॉजिस्टिक्स लिमिटेड जैसी कंपनियां हैं, जिन्होंने इन महत्वपूर्ण महिला उद्यमियों की क्षमता को पहचाना है और उन्हें एक सफल करियर का नेतृत्व करने में सक्षम बनाया है।
साक्षी के अनुसार, लॉजिस्टिक्स का भविष्य निश्चित रूप से बहुत बड़ा है और जिस तरह से यह उद्योग पिछले 10 वर्षों में विकसित हुआ है, वह सराहनीय है। यह उन दिलचस्प उद्योगों में से एक के रूप में उभरा है, जो न केवल पुरुषों बल्कि महिलाओं को भी अपील कर रहे हैं।
और सबसे आखिर में, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि आज साक्षी उन सभी युवा महिलाओं से, जो अग्रणी ग्लोबल एंटरप्रेन्योर बनने का सपना देख रही हैं, उनसे यही कहना चाहती हैं कि यही वो समय है जब उन्हें अपना काम शुरू कर देना चाहिए, इसके लिए सही समय या सही अवसर की प्रतीक्षा न करें। हर किसी को अपना समय निर्धारित करने की जरूरत है- वह समय जब वो ठान ले कि चलो, शुरू करें, परिणामों से डरेे बिना जोखिम उठाएं। यह प्रक्रिया कुछ ऐसी है कि अंत में निश्चित रूप से कुछ ना कुछ हासिल ही होगा।
या जो कामयाबी हासिल होगी या फिर भावी फैसलों के लिए कुछ सबक मिलेगा। दोनों हीं स्थितियों में आप एक विजेता जरूर बन जाएंगी। हालांकि आप जो कुछ करना चाहें, उसे लेकर आपके मन में एक किस्म का जुनूनी जज्बा जरूर होना चाहिए और अपने दिल से आप जो कुछ करना चाहते हैं उसे पूरे दिल से शुरू करें और यही जज्बा आपके लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है।
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