जयपुर। हल्दी वायदा (अप्रैल) में तेजी के साथ 7100-7200 के स्तरो की उम्मीद है। 6535 स्तरों के पास हल्दी वायदा को समर्थन है।
अनुमान है कि तेलंगाना में पैदावार में 20-30% की गिरावट हो सकती है और उच्च तापमान के कारण महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र मैं हल्दी की पैदावार प्रभावित हो सकती है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाली आर्द्र दक्षिण-पूर्वी हवाओं ने हल्दी की फसल को प्रभावित किया है।
जीरा वायदा (जनवरी) ने 2 महीने का निचला स्तर छुआ है। इस डाउनट्रेंड में जीरा वायदा के 16500-16250 स्तरों की ओर बढ़ने की उम्मीद है। निर्यात में मंदी है और इस कारण जीरा की मांग प्रभावित हो रही है।
वहीं गुजरात सरकार द्वारा सिंचाई सुविधाओं का वादा करने से किसानों में जीरा की फसल के प्रति आकर्षण बढ़ा है। नवीनतम आँकड़े के अनुसार दिसंबर को रबी 2018-19 के दौरान जीरा का रकबा 321,363 था जो कि पिछले तीन साल में औसत 318,926 हेक्टेयर की तुलना में अधिक है लेकिन पिछले रबी मौसम के क्षेत्रफल 369,561 हेक्टेयर के से कम है।
इलायची वायदा (जनवरी) में 1490-1475 के पास अपट्रेंड का समर्थन रहने की उम्मीद है। मूल रूप से, केरल में बुवाई का मौसम शुरू हो गया है ।
उनकी खेती की गतिविधियों को उनमें से अधिकांश के लिए फिर से शुरू करने के साथ फिर से शुरू किया।
इडुक्की क्षेत्र में बाढ़ अभी भी किसानों के मन में ताजा है और इसलिए वे संदेहपूर्ण हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि इलायची का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में इस सीजन में एक तिहाई 25,000 टन का उत्पादन होने की उम्मीद है।वर्तमान में, हाजिर बाजार में इलायची की कीमतें औसतन 1,300 / किग्रा हैं। आगे भी मजबूत घरेलू मांग के चलते इलायची के भाव में तेजी की धारणा है।
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