उर्वरकों के समुचित उपयोग के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण |
नई दिल्ली। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (एसएचसी) से किसान की स्थिति में सुधार होगा और इससे कमोडिटी कारोबार को भी फायदा मिलेगा। अनियंत्रित मात्रा में उर्वरक देने से जहां देश में विदेशी मुद्रा की बचत होती है वहीं कमोडिटी का निर्यात करने वालों को संतुलित मात्रा में उर्वरक होने से आर्डर निरस्त होने का खतरा भी नहीं होता । इस योजना को देश में पहली बार समग्र रूप से लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत सभी किसानों को ये कार्ड मुहैया कराए जा रहे हैं, ताकि फसल उत्पादन के लिए सही मात्रा में पोषक तत्वों का इस्तेमाल और मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो सके। एसएचसी योजना के तहत सिंचित क्षेत्र में ढाई हेक्टेयर और असिंचित क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर जमीन से मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं। इसके लिए मिट्टी की जांच के 12 पैमाने हैं। इनमें प्राथमिक पोषक, दूसरे स्तर के पोषक, सूक्ष्म पोषक और अन्य तरह के पोषक शामिल हैं। पहला चक्र 2015 से 2017 तक चलाया गया, इसके तहत 2.53 करोड़ मिट्टी के नमूनों की जांच हुई तथा किसानों को 10.73 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए। दूसरा चक्र (2017-19) पहली मई, 2017 से शुरू हुआ। इस दौरान 2.73 करोड़ मिट्टी के नमूनों का लक्ष्य रखा गया। कुल 1.98 करोड़ नमूनों की जांच हुई और किसानों को 6.73 करोड़ कार्ड बांटे गए। इसका लक्ष्य 12.04 करोड़ किसानों को इसके दायरे में लाने का है। मिट्टी के नमूनों की जांच और मृदा स्वास्थ्य कार्डों के वितरण में तेजी लाने के लिए मृदा जांच अवसंरचना को उन्नत बनाया गया है। राज्यों के लिए 9263 मृदा जांच प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के संबंध में 1562 ग्रामीण स्तरीय मृदा जांच परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। |
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Thursday, December 6, 2018

एसएचसी से सुधरेगी किसान की स्थिति, बढ़ेगा कमोडिटी कारोबार
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