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Sunday, January 20, 2019

सब्सिडी के बजाए राजस्थान फिल्म विकास निगम बनाया जाए



Day 2 of riff

-रिफ का दूसरा दिन राजस्थानी फिल्मों के नाम रहा

जयपुर​।  शहर के सहकार मार्ग स्थित क्रिस्टलपॉम आइनोक्स में चल रहे राजस्थान इंटनेशनल फिल्म फेस्टिवल (रिफ) के पांचवे संस्करण के दूसरे दिन रविवार को राजस्थानी समेत देश-दुनिया की सार्थक फिल्मों की स्पेशल स्क्रीनिंग हुई। रविवार को छुट्टी का दिन होने के वजह से आयोजन स्थल पर फिल्म प्रेमियों की काफी चहल-पहल रहीं। यहां बड़ी तादाद में लोगों ने फिल्में देखीं और सराही।

बाई सारा बीरा एलबम को सराहा
राजस्थानी गीत बाई सारा बीरा का वीडियो भी बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया,  जिसे काफी लोगों ने एन्जॉय किया। इस गीत को प्लेबैक सिंगर रवीन्द्र उपाध्याय समेत सुपर्णा घोष ने अपनी सुरीली आवाज में संवारा है।

फ्यूचर एंड चैलेंजेज ऑफ राजस्थानी सिनेमा विषयक टॉक शो
  द महात्मा ऑन सेलुलॉइड थीम  पर हो रहे रिफ के दूसरे दिन फ्यूचर एंड चैलेंजेज ऑफ राजस्थानी सिनेमा विषयक टॉक शो में काफी रोचक संवाद हुए। चर्चा में यह बात सामने आई कि राजस्थान फिल्म को  वाकई ऊं चाइयां देनी है तो सरकारी  सब्सिडी के बजाए राजस्थान फिल्म  विकास निगम बनाया जाए ताकि यह निगम राजस्थानी फिल्मों को  फायनेंस उपलब्ध कराए। अकेले एनएसडी में 26 छात्रों के लिए एक सौ करोड़  और एफटीआई में 6 छात्रों पर 75 करोड़ को बजट तय किया गया है। ऐसी संस्था भी राजस्थान  में होनी चाहिए। इसके अलावा जो मनोरंजन कर सरकार लेती है। उससे यहां ऐसे सिनेमाघर बनाए जाएं जहां एक दिन में  राजस्थानी फिल्मों के एक सौ प्रदर्शित किए जा सकें। इसमें राजस्थानी फिल्मों के प्ले बैक सिंगर रवीन्द्र उपाध्याय, रैपरिया बालम, राजस्थानी फिल्मों के एक्टर एमए कुरैशी, ओम साऊ ने विचार रखे। शो के मॉडरेट वरिष्ठ समीक्षक अजीत रॉय ने किया। सिंगर रवीन्द्र उपाध्याय ने कहा कि यहां फिल्म बनाना आसान हो सकता है पर, उसे थिएटर तक ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां राजस्थानी भाषा भी पानी की तरह रंग बदलती है।  मसलन राजस्थान में दिशाओं के लिहाज से बोली का लहजा अलग हो जाता है। उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि बॉलीवुड राजस्थान के खूबसूरत लोकशन्स और कल्चर व लोक संगीत-नृत्य से आबाद है। वहीं राजस्थान सिनेमा हर बात से लाचार है। रवीन्द्र ने कहा कि बेसिकली मुझे भी बॉलीवुड से राजस्थान पहुंचने में करीब 15 साल से अधिक का समय लग गया, लेकिन अब दिली-ख्वाहिश हैकि राजस्थानी सिनेमा के उन्नयन के लिए बहुत कुछ करेंगे ताकि हमारी सरकार हमारी सुध ले सके। एक्टर एमए कुरैशी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि राजस्थानी सिनेमा को दर्शक नहीं मिलते हैं। यदि अस्सी की दशक की बात करें तो यहां फिल्म बाई चाली सासरियो को काफी लोगों ने देखा। राजस्थानी फिल्म से जुड़े ओम साऊ ने कहा कि जब फिल्मों से जुड़ा हर शख्य अपनी राजस्थानी भाषा में संवाद नहीं करेगा तब तक राजस्थान फिल्म उद्योग को गति नहीं मिलेगी।

इन राजस्थानी फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग
-सराही गईं मौसर और म्हारो राम रहीम
रिफ में रविवार को अनिल सैनी निर्देशित फिल्म मौसर की स्क्रीनिंग हुई। मृत्युभोज पर आधरित फिल्म में सामाजिक कुरीतियों को शिद्दत से दर्शाया गया।  मौसर जैसी कुरीति से किस तरह  इंसान बर्बाद हो जाता है। इसी के इर्द-गिर्द फिल्म का ताना-बाना बुना गया है। अनिल भूप लिखित इस फिल्म में मुरारीलाल, उषा जैन, राशि शर्मा, विनय चौधरी आदि कलाकारों ने अपने दमदार अभिनय से कहानी को मर्म स्पर्शी बनाया है। रिफ में दूसरी राजस्थानी फिल्म म्हारो राम रहीम की स्क्रीनिंग हुई। निर्माता,निर्देशक व अभिनेता मंजूर अली कुरैशी  की इस फिल्म में सामाजिक, साम्प्रदायिक सौहार्द को बखूबी चित्रित किया है। फिल्म के लेखक संतोष निर्मल और कलाकार स्क्रीनिंग के दौरान मौजूद रहे। रविवार को शाम को दीपक त्रिपाठी रीजनल फिल्म तुहिंजे प्यार की स्क्रीनिंग हुई। काफी तादाद में दर्शकों ने  इस  फिल्म का आनंद लिया।

आज इन फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग
फेस्टिवल में सोमवार को टॉक शो समेत स्थानीय समेत देश-दुनिया की कई फिल्मों की स्क्रीनिंग होगी। इसमें गुरुप्रसाद सिंह निर्देशित सारे जहां से अच्छा, अजितपाल सिंह निर्देशित रम्मत गम्मत  और श्याम बेनेगल निर्देशित थीम फिल्म मैकिंग ऑफ महात्मा का स्पेशल स्क्रीनिंग होगी। इसके अलावा करिअर:थिएटर, टेलीविजन फिल्म विषयक टॉक शो होगा।

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