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Thursday, February 7, 2019

पीरामल फाउंडेशन ने इंटर-फेथ लीडर्स कॉन्क्लेव का आयोजन किया

Piramal foundation organized interfaith leaders conclave



पटना। पीरामल फाउंडेशन की स्वास्थ्य सेवा पहल, पीरामल स्वास्थ्य ने यूनिसेफ और बिहार इंटर-फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन के साथ मिलकर दो-दिवसीय श्इंटर-फेथ लीडर्स कॉन्क्लेवश् की संयुक्त रूप से मेजबानी की, जो महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण पर केंद्रित है. कॉन्क्लेव का उद्घाटन प्रोफेसर सैयद शमीमुद्दीन अहमद मुनामी, खानकाह मुनेमिया, सरदार ज्ञानी चरणजीत सिंह, श्री हरमंदिर साहिब, हाजी एस एन सनाउल्लाह, इदारे शरिया, बुद्ध शरण हंस, अम्बेडकर मिशन, सिस्टर नल्ली करकट्टा, सेंट ऐनी कॉन्वेंट, एमडी शहजाद, जमाते इस्लामी हिंद, असदुर रहमान प्रमुख, यूनिसेफ बिहार, रूपेश सिंह, महाप्रबंधक - संचालन, पीरामल फाउंडेशन और सुनीता सिंह,  विकास रथ ट्रस्ट ने बिहार के 7 व्यावसायिक क्षेत्रों - अररिया, बेगूसराय, कटिहार, शेखपुरा, सीतामढ़ी, गया और बांका के 70 से अधिक फेथ लीडर्स की उपस्थिति में किया.

इस अवसर पर टिप्पणी करते हुए, विशाल फणसे, सीईओ, पीरामल स्वास्थ्य, ने कहा कि बिहार में संस्थागत प्रसव का प्रतिशत  58.1, स्तनपान की प्रारंभिक दीक्षा का प्रतिशत 38 है और 5 जिलों में पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज प्रतिशत 65.58 है. यह कॉन्क्लेव, फेथ लीडर्स के माध्यम से, इन एस्पिरेशनल जिलों के समग्र स्वास्थ्य संकेतकों को बेहतर बनाने के लिए एक सहयोगी प्रयास है, जो समुदायों के बीच सकारात्मक स्वास्थ्य और पोषण संदेशों का समर्थन और प्रसार करने में एक प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं.

यूनिसेफ के बिहार प्रमुख, असदुर रहमान ने कहा कि बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र के 4.7 करोड़ बच्चे हैं, जो कि अपनी जनसंख्या का 46 फीसदी है. पोषण और बाल विवाह के क्षेत्र में राज्य सरकार के ठोस प्रयासों के बावजूद, 80 फीसदी किशोर अभी भी एनीमिक पाए गए है और  42 फीसदी लड़कियों और  40 फीसदी लड़कों की शादी कानूनी उम्र प्राप्त करने से पहले कर दी जाती है. इन एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स के कॉन्क्लेव में शामिल होने वाले फेथ लीडर्स महिलाओं और बच्चों से जुड़े सामाजिक मुद्दों जैसे बाल विवाह, टीकाकरण, स्तनपान, महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता आदि के समाधान के लिए समुदायों को प्रभावित करने में सक्षम होंगे.

हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार में हर पांच मिनट में एक परिवार अपने बच्चे को निमोनिया और डायरिया जैसी वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों की वजह से खो देता है, जबकि बिहार में हर दो घंटे में जन्म संबंधी जटिलताओं के कारण एक माँ की मृत्यु हो जाती है. इंटर-फेथ लीडर्स कॉन्क्लेव का लक्ष्य स्वास्थ्य व्यवहार को बढ़ावा देना, समुदाय के बीच स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं की मांग उत्पन्न करने के लिए फेथ लीडर्स के बीच संवाद शुरु करना है.


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