नई दिल्ली, 1 अप्रैल, 2019: भारतीय मान्सून के मौसम में देश में कुल वार्षिक बारिश में से 70% से अधिक बारिश होती है, कुछ महीनों में यह मौसम शुरू हो जाएगा। 2019 में, भारतीय मान्सून के एल नीनो से प्रभावित होने की संभावना है। एल नीनो प्रशांत महासागर में एक जलवायु चक्र है जो दुनिया भर में मौसम के पैटर्न्स को प्रभावित करता है। एल नीनो के दौरान सामान्य से कम बारिश होने की वजह से देश में खाद्य उत्पादन में गिरावट होती है। अल-नीनो वर्षों में कम कृषि उत्पादन कई कृषि उत्पादों की आपूर्ति मांग समीकरण को बिगाड़ देता है और आम तौर पर कीमतें बढ़ जाती हैं।
एनसीएमएल के एमडी और सीईओ . संजय कौल ने कहा, "कृषि उत्पाद में गिरावट के बावजूद, कृषि वस्तुओं की कीमतें प्रभावित नहीं होंगी क्योंकि सरकार के पास भारी मात्रा में बफर स्टॉक्स हैं।"
एल नीनो के दौरान महासागर और वातावरण के बीच बड़े पैमाने पर पारस्परिक क्रियाएं होती हैं जिससे मध्य और पूर्वी-मध्य प्रशांत महासागर में गरमाहट पैदा होती है और समुद्री सतह का तापमान बढ़ता है। तापमान के बढ़ने से पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर पर कम दबाव और पश्चिमी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर पर उच्च दबाव निर्माण होता है।
पिछले 30 वर्षों में 1988 से 2017 तक, दस वर्षों में एल नीनो घटना देखी गई है। इन दस वर्षों में से आठ वर्षों में, जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर (JJAS) के मान्सून के महीनों एल नीनो घटना घटी। आमतौर पर एल नीनो के कारण भारत में बारिश में गिरावट होती है जिससे भारतीय मान्सून प्रभावित होता है। तालिका में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि 8 में से 6 एल नीनो वर्षों में सामान्य से कम या काफी कम बारिश हुई।
एल नीनो घटना से न केवल मान्सून के दौरान बारिश में गिरावट होती है बल्कि पुरे साल भर में बारिश प्रभावित होती है। 1988 से 2017 तक देश के 605 जिलों में से 41% जिलों में एल नीनो वर्षों में कम बारिश हुई जब कि सर्वसामान्य सालों में केवल 22% जिलों में कम बारिश हुई थी। एल नीनो सालों में 41% जिलों में सर्वसामान्य बारिश हुई, जब कि सर्वसामान्य वर्षों में 51% जिलों में सर्वसामान्य बारिश हुई। कम बारिश के कारण कृषि उत्पाद में भी गिरावट होती है।
El Nino years
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Production Change (From Previous Year)
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Food Grains
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Pulses
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Oilseeds
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1991
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-14.4%
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-4.7%
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0.0%
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1994
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2.0%
|
3.7%
|
-0.7%
| |||
1997
|
-6.0%
|
-3.1%
|
-8.6%
| |||
2002
|
-15.0%
|
-17.9%
|
-28.2%
| |||
2004
|
-8.6%
|
-7.0%
|
-3.3%
| |||
2006
|
6.4%
|
4.2%
|
-13.2%
| |||
2009
|
3.2%
|
-7.0%
|
-10.2%
| |||
2015
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-3.2%
|
-0.2%
|
-8.2%
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एल नीनो भारतीय मान्सून को प्रभावित करता है जोकि भारत में कृषि उत्पादन का प्रमुख निर्धारक है। कुल 8 एल नीनो वर्षों में पांच सालों में खाद्यान्न उत्पाद में गिरावट हुई, 2002 में सबसे अधिक 15% गिरावट हुई। आठ में से छह सालों में दालों के उत्पादन में गिरावट हुई, 2002 में 17.9% गिरावट हुई थी। एल नीनो का उच्चतम प्रभाव तिलहन फसलों में देखा गया, आठ वर्षों में से सात वर्षों में तिलहनों के उत्पादन में गिरावट हुई। 2002 में, तिलहन उत्पादन पिछले वर्ष से 28.2% कम हो गया, एल नीनो वर्षों में खाद्यान्नों, दालों और तिलहन फसलों में हुई गिरावट में यह सबसे अधिक था।
कम कृषि उत्पादन के कारण कीमतों में और बदले में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होती है। हालांकि, कृषि उत्पादों की कीमतें कई कारणों से प्रभावित होती हैं और इसलिए कृषि वस्तुओं की कीमतों का बढ़ना और एल-नीनो के बीच एकैक संबंध स्थापित करना मुश्किल है। 2019 में मान्सून की बारिश में गिरावट भारतीय कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। हालांकि, 2019 में कृषि उत्पादन कम होने पर भी कीमतें नहीं बढ़ेंगी। गेहूं, चावल और दालों के बफर स्टॉक को बनाए रखने के माध्यम से समय-समय पर भारत सरकार द्वारा की गई पहल इन उत्पादों की कीमतों में आक्रामक बढ़ोतरी को रोक सकती है। हालांकि, भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है, 2019 के दौरान तिलहन फसलों के कम उत्पादन से खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता बढ़ेगी।
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