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Wednesday, April 10, 2019

वित्तीय वर्ष 2015-19 की अवधि में देखी गई नए निवेश में तेज वृद्धि



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प्रोजेक्ट्स टुडे की ओर से आयोजित भारत में परियोजनाओं के निवेश पर 74वां सर्वेक्षण बताता है कि वित्त वर्ष 2015-19 की पांच वर्ष की अवधि में कुल मिलाकर 60,51,281 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 47,911 नई परियोजनाओं की घोषणा की गई है, वहीं वित्त वर्ष 2010-14 की पांच वर्ष की अवधि में 29,28,125 करोड़ रुपए के साथ 43,876 नई परियोजनाएं घोषित की गई थी, तुलनात्मक रूप से निवेश में 106.7 फीसदी की वृद्धि हुई है।
नए निवेश की घोषणा में उछाल विद्युत क्षेत्र को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्रों में देखी गई, विद्युत क्षेत्र में परियोजनाओं की संख्या और संभावित निवेश, दोनों में गिरावट दर्ज हुई। जबकि विनिर्माण, खनन, आधारभूत संरचना और सिंचाई क्षेत्रों में ताजा निवेश में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, वहीं विनिर्माण और सिंचाई क्षेत्रों ने 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए नवीनतम पंचवर्षीय अवधि के दौरान घोषित नई परियोजनाओं की संख्या में कमी दर्ज की।

विनिर्माण क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान 1,325 कम परियोजनाओं को आकर्षित किया, हालांकि मेगा परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि (1,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक की लागत) के साथ कुल ताजा निवेश 130.5 फीसदी बढ़ते हुए 7,00,725 करोड़ रुपए से 16,15,456 करोड़ रुपए हो गया। जिसके चलते कुल ताजा निवेश में विनिर्माण की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2010-14 में 23.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2015-19 में 26.7 प्रतिशत हो गई। उप-क्षेत्रों में, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट, रिफाइनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स को वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान ज्यादा निवेश की नई प्रतिबद्धताएं प्राप्त हुईं।
वित्तीय वर्ष 2015-19 की अवधि में 253 मेगा परियोजनाओं की घोषणा हुई। इनमें से 218 निजी प्रवर्तकों के स्वामित्व में थे। पूर्व पांच साल की अवधि में सिर्फ 131 मेगा परियोजनाओं की घोषणा की गई थी।
आधारभूत संरचना के निर्माण पर मौजूदा सरकार के जोर को दर्शाते हुए वित्त वर्ष 2010-14 के 11,46,208 करोड़ रुपए से तीन गुना अधिक होते हुए वर्ष 2015-19 में ताजा निवेश 34,09,300 करोड़ रुपए हो गया। परिवहन और सामाजिक आधारभूत संरचना के क्षेत्र में वित्त वर्ष 2015-19 में 39,509 नई परियोजनाओं की घोषणा हुई, जबकि वित्त वर्ष 2010-14 के दौरान 33,145 परियोजनाओं की घोषणा की गई थी।
राजमार्गों के विस्तार पर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अतिरिक्त जोर से वित्त वर्ष 2010-14 में रोडवेज में ताजा निवेश 3,64,809 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2015-19 में 11,24,996 करोड़ रुपए हो गया।
वाणिज्यिक परिसरों, औद्योगिक पार्कों और रियल एस्टेट के निर्माण क्षेत्र में पांच साल की अवधि में वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान नई परियोजनाओं की संख्या में गिरावट देखी गई। हालांकि वित्त वर्ष 2010-14 में ताजा निवेश प्रतिबद्धताएं 2,18,439 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2015-19 में 6,42,657 करोड़ रुपए हो गईं, इस क्षेत्र में ‘ट्विन-बैलेंस शीट’ के मुद्दों ने सबसे अधिक प्रभावित किया। इसके अलावा, विमुद्रीकरण, जीएसटी और रेरा अधिनियम ने उद्योग के बुनियादी कामकाज को बाधित कर दिया।
विद्युत क्षेत्र में वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान, नई परियोजनाओं की घोषणा की तुलना में मौजूदा परियोजनाओं को ठप होते हुए अधिक देखा गया। वित्त वर्ष 2010-14 की अवधि के दौरान घोषित मेगा ताप विद्युत परियोजनाओं में से अधिकांश भूमि की अनुपलब्धता, वित्त की कमी और पीपीए समझौतों पर हस्ताक्षर करने में देरी के कारण खास प्रगति नहीं कर पाईं।
वित्त वर्ष 2010-14 के दौरान घोषित 7,90,227 करोड़ रुपए की 639 तापीय परियोजनाओं की तुलना में, वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान 2,19,568 करोड़ रुपए की केवल 98 नई तापीय परियोजनाएं घोषित की गईं। दूसरी ओर, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं (मुख्य रूप से सौर और पवन) में नया निवेश वित्त वर्ष 2010-14 के  92,760 करोड़ रुपए से 294.5 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान 3,65,953 करोड़ रुपए हो गया।
सिंचाई क्षेत्र में ताजा निवेश वित्त वर्ष 2010-14 के 57,934 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान 1,98,869 करोड़ रुपए हो गया। मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना सरकार इस क्षेत्र के बड़े निवेशक थे।
विकासकों को आवंटित 214 कोयला ब्लॉक को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न केवल कोयला खनन में बहने वाले नए निवेश को रोक दिया, बल्कि 28,000 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ बिजली संयंत्रों के कामकाज को भी प्रभावित किया। जबकि केंद्र सरकार ने 86 कोयला खानों को फिर से आवंटित या नीलाम किया है, फिर भी दिसंबर 2018 तक वास्तविक उत्पादन केवल 23 खानों में शुरू हुआ।
वित्त वर्ष 2015-19 की अवधि में 1,88,272 करोड़ रुपए की 763 नई परियोजनाओं की घोषणा हुई, जबकि वित्त वर्ष 2010-14 के दौरान 89,711 करोड़ रुपए की 627 परियोजनाओं की घोषणा की गई। निजी क्षेत्र लगभग 60 तेल अन्वेषण परियोजनाओं और 25 कोयला खनन परियोजनाओं में शामिल है।
निजी क्षेत्र का निवेशः पुनरुद्धार के संकेत
वित्त वर्ष 15 और 16 में निजी निवेश में चढ़ाव आने के बाद वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 18 में गिरावट दर्ज हुई और वित्तीय वर्ष 2019 में वृद्धि दिखी। हालांकि, सभी पांच साल ( वित्त वर्ष 2015-19) में निजी ताजा निवेश वित्त वर्ष 12, वित्त वर्ष 13 और वित्त वर्ष 14 में देखे गए निचले आंकड़ों से अधिक रहा।
नीतिगत अकार्यक्षमता और वित्तीय कुप्रबंधन ने वित्त वर्ष 2010-14 के आखिरी तीन वर्षों में बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को रोक दिया। इसके अलावा, भारी कर्ज और धन के कुप्रबंधन ने ऐसी परियोजनाओं के विकासकों को ऋणग्रस्त होने के लिए मजबूर किया, जो ज्यादातर भारतीय बैंकों से कर्ज लिए गए थे। परिणाम में ‘ट्विन-बैलेंस शीट’ का मुद्दा निर्मित हुआ और परियोजनाओं के वित्तपोषण पर भारी पड़ गया, इसके चलते असल प्रमोटरों को नई परियोजनाओं की घोषणा पर धीमी गति से चलने के लिए मजबूर किया।
वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान, निजी क्षेत्र द्वारा कुल ताजा निवेश में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई (जिसका श्रेय मेगा परियोजनाओं को जाता है), हालांकि, वित्त वर्ष 2010-14 आंकड़ों की तुलना में नई परियोजनाओं की संख्या तेजी से गिर गई। यह छोटे और मध्यम आकार की निजी कंपनियों की बेचैनी को इंगित करता है जो अभी भी अपनी योजनाओं को चाक-चौबंद करने के लिए घरेलू मांग में पुनरुद्धार की प्रतीक्षा कर रही हैं।
वित्त वर्ष 2015-19 में परियोजनाओं का रूकना जारी रहा
सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि वित्त वर्ष 2015-19 की अवधि के दौरान 3,642 परियोजना (16,59,353 करोड़ रुपए)  बैक-बर्नर पर डाली गई थी, जबकि वित्त वर्ष 2010-14 में 10,94,945 करोड़ रुपए की 3,791 परियोजनाओं के साथ ऐसा हुआ था, यह वित्त वर्ष 2015-19 के नवीनतम पांच साल की अवधि में 51.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2015-19 के दौरान कुल परियोजनाओं का लगभग 82 प्रतिशत निवेश विनिर्माण और विद्युत क्षेत्र में देखा गया।
सकारात्मक बात यह है कि वित्त वर्ष 18 की पहली तिमाही में 1,95,795 करोड़ रुपए के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद रुकी हुई परियोजनाओं की कुल मात्रा तेजी से वित्त वर्ष 19 की अंतिम तिमाही में 12,477 करोड़ रुपए हो गई। यह पिछली अठारह तिमाहियों में दर्ज सबसे कम तिमाही आंकड़ा है।
प्रोजेक्ट्सटुडे के बारे में
प्रोजेक्ट्सटुडे डॉट कॉम को सितंबर 2000 में लॉन्च किया गया, जो भारत में नई और चल रही परियोजनाओं पर सबसे बड़ा ऑनलाइन डेटाबैंक है। प्रोजेक्ट टुडे अवधारणा से लेकर पूर्ण होने तक पूंजी निवेश परियोजनाओं को ट्रैक करता है। प्रोजेक्ट्सटुडे डेटाबेस एक लाख से अधिक भारतीय

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