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Sunday, August 11, 2019

जीजेईपीसी ने इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो का 36वां संस्करण प्रस्तुत किया



GJEPC presents 36 th edition of India International Jewellery Show


 
मुंबई। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने दुनिया के सबसे पहले और प्रतिष्ठित रत्न एवं आभूषण व्यापार शो - इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो - आईआईजेएस प्रीमियर 2019 का 36वां संस्करण आयोजित किया। यह शो मुंबई के गुड़गांव स्थित बॉम्बे एक्जीबिशन सेंटर में 9 से 12 अगस्त 2019 तक चलेगा।
महाराष्ट्र राज्य स्कूली शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री, आशीष शेलर ने आईआईजेएस प्रीमियर 2019 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जीजेईपीसी के चेयरमैन,  प्रमोद कुमार अग्रवाल; विशिष्ट अतिथिगण -  पॉल रॉले, एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, डायमंड ट्रेडिंग ऐंड डिस्ट्रिब्यूशन, डे बीयर्स ग्रुप; और  एवगेनी अगुरीव, डाइरेक्टर, यूनाइटेड सेलिंग ऑर्गेनाइजेशन, अलरोसा; एवं  कोलिन शाह (वाइस चेयरमैन, जीजेईपीसी), मनसुख कोठारी (संयोजक, नेशनल एक्जीबिशंस, जीजेईपीसी),  किरीट भंसाली (सह-संयोजक, नेशनल एक्जीबिशंस, जीजेईपीसी एवं कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, जीजेईपीसी) तथा सब्यसाची रे (ईडी, जीजेईपीसी) व अन्य शामिल रहे। आईआईजेएस प्रीमियर 2019 ने 1,300$ प्रदर्शकों, 2,500$ बूथ्स एवं 80 देशों व 800 से अधिक भारतीय शहरों के 40,000 वैश्विक व्यापार आगंतुकों की भागीदारी की दृष्टि से नये बेंचमार्क्स किये।
जीजेईपीसी के चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारत में रत्न एवं आभूषण व्यापार के लिए बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य के साथ स्वयं में बदलाव लाना आवश्यक है। दुनिया के इस बदलते हुए परिदृश्य से पैदा होने वाले अवसरों का लाभ लेने के लिए भारत उपयुक्त स्थिति में है। चीन द्वारा निर्यात किये जाने वाले रत्न एवं आभूषण पर अमेरिका द्वारा 10 प्रतिशत कर लगाया जा रहा है। ऐसे में, भारत के लिए 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अवसर में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अपार अवसर मौजूद है। एक तरफ, भारत पूर्वी दुनिया से व्यापारिक समझौते करने में जुटा हुआ है और हम आरसीईपी के साथ द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्यापार पर हस्ताक्षर करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। आरसीईपी का 1/3 विश्व व्यापार पर नियंत्रण है और इसमें चीना, भारत जापान सेपा, इंडो-कोरियन सेपा आदि शामिल हैं। दुनिया भर में इस क्षेत्र के सामने चुनौतियां हैं और उत्पाद के लिए लगातार मांग बने रहना सबसे महत्वपूर्ण होता है। हमें खुशी है कि हमारी बैठकों एवं प्रतिनिधित्व के बाद, डे बीयर्स दुनिया भर में 175 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रहा है और अलरोसा भी डायमंड प्रोड्युसर्स एसोसिएशन एवं उनके व्यक्तिगत कार्यालयों के जरिए निधि उपलब्ध करा रहा है।’’
 अग्रवाल ने आगे कहा, ‘‘हमारा सपना वर्ष 2025 तक रत्न एवं आभूषण के निर्यात को बढ़ाकर 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का करना और लोगों के लिए अतिरिक्त रूप से 2 मिलियन नौकरियों का सृजन करना है। हमारे मंत्री पियुष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की उनकी पूरी टीम इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के प्रति बेहद सहयोगपूर्ण रही है और हाल के व्यापारोनुकूल नीतिगत घोषणाओं के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहूंगा। सरकार ने हाल ही में प्रयोगशाला में तैयार किये गये/सिंथेटिक डायमंड्स के लिए 8 अंकों का अलग एचएस कोड लाया। खुरदुरे एवं पॉलिस्ड सिंथेटिक डायमंड्स के लिए विशिष्ट एचएस कोड शीघ्र अपनाने वाले देशों में भारत शामिल है। यह उपभोक्ताओं एवं व्यापार दोनों के लिए ही एक उपयुक्त पहल है, जिससे कारोबार करना आसान हो जायेगा। यह परिषद मुख्य रूप से आभूषण के छोटे निर्यातकों को बढ़ावा देने और निर्यात के जरिए देश का मूल्यवर्द्धन करने पर जोर देगी। हम स्वास्थ्य कोष फंड के जरिए परिचय कार्डधारकों को मेडिक्लेम बीमा योजना उपलब्ध करायेंगे। हमने इस प्रोजेक्ट के लिए धन मुहैया करने हेतु डे बीयर्स और अलरोसा से संपर्क किया है। सरकार की ओर से हमें 2.5 मिलियन परिचय कार्ड्स बांटने का लक्ष्य दिया गया है। जीजेईपीसी ने रत्न एवं आभूषण के क्षेत्र में लगे कामगारों के लिए परिचय कार्ड लॉन्च किया। इसका उद्देश्य उन्हें बैंकों से वित्तीय सहायता दिलवाना और आवश्यकतानुकूल स्वास्थ्य बीमा प्लान के जरिए उन्हें बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है।’’
अगवाल ने आगे कहा, ‘‘हम तेज गति से सेज नीतियों हेतु काउंसिल के सुझावों को लागू करने हेतु अनुरोध करते हैं; चूंकि मुंबई में सीप्झ, जयपुर में सीतापुरा, दिल्ली में नोएडा, गुजरात में सूरत, अमेरिका व चीन में रत्न एवं आभूषण के होने वाले निर्यात के प्रमुख केंद्र हैं। गुजरात में कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स (सीएफसी) की स्थापना के बाद, हमारी योजना रत्न एवं आभूषण के सभी प्रमुख क्लस्टर्स जैसे कोयम्बतूर, कोलकाता, हैदराबाद, राजकोट, दिल्ली, भावनगर, अहमदाबाद एवं सूरत में सीएफसी स्थापित करने की है। एनसीएईआर के साथ मिलकर यह काउंसिल भारत में रत्न एवं आभूषण के सभी क्लस्टर्स में क्लस्टर मैपिंग अध्ययन कर रहा है। इससे काउंसिल को सभी क्लस्टर्स के लिए विकास योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी।’’
महाराष्ट्र राज्य स्कूली शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री, श्री आशीष शेलर ने कहा, ‘‘जौहरी बहुमूल्य रत्नों को ढूंढते हैं, उन्हें आकार देते हैं और उन्हें तराशकर हीरा बनाते हैं, जो हमेशा के लिए होता है। इसी तरह, हम भी कुशाग्र बुद्धि वाली उन प्रतिभाओं को ढूंढते हैं, जो हमारे देश के भावी कर्णधार बनें। महाराष्ट्र ने हमेशा ही उद्योगों एवं उद्यमों को सहारा दिया है और हमने रत्न एवं आभूषण व्यवसाय को भी अपना सहयोग दिया है। नवी मुंबई में बनाये जाने वाले देश के पहले ज्वेलरी पार्क के निर्माण में प्रदेश ने जीजेईपीसी को पूरे दिल से सहायता एवं सहयोग दिया है। मुझे विश्वास है कि इस ज्वेलरी में पार्क में लगभग 14,000 करोड़ रु. का निवेश होगा और 1 लाख रोजगारों का सृजन होगा। महाराष्ट्र उन एमएसएमई आभूषण निर्माताओं और निर्यातकों को आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर एवं लाभ प्रदान करने में अग्रणी रहेगा, जो अपने संयंत्रों एवं कारखानों में अधिक निवेश की तलाश में हैं। हमें यह जानकर खुशी है कि काउंसिल द्वारा रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के कामगारों के कल्याण हेतु निवेश किया जा रहा है और उन्हें मेडिक्लेम व रियायती स्वास्थ्य बीमा योजनाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।’’ वर्ष 2015 में जीजेईपीसी द्वारा लॉन्च किया गया स्वास्थ्य रत्न रियायती स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराता है और यह मई 2019 तक 4.70 लाख जिंदगियों को कवर कर चुका है एवं 100 करोड़ रु. से अधिक बांट चुका है।’’
डे बीयर्स ग्रुप के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट - डायमंड ट्रेडिंग एवं डिस्ट्रिब्यूशन, पॉल रॉले ने कहा, ‘‘वैश्विक रत्न एवं आभूषण व्यवसाय द्वारा सामना की जा रही बाहरी एवं आंतरिक चुनौतियों के मद्देनजर, हम भारतीय रत्नाभूषण निर्यातकों की ऊर्जा, उत्साह, उद्यम एवं उद्यमिता से प्रेरित हैं। भारत, दुनिया के रत्नाभूषण व्यापार की नब्ज व धड़कन है। कुछ वर्षों के भीतर ही, दुनिया की दो-तिहाई मिलेनियल आबादी भारत में होगी। आईआईजेएस प्रीमियर 2019 वैश्विक रत्नाभूषण व्यापार को एक नई दिशा प्रदान करेगा। हम विभिन्न अवसरों का लाभ लेने के लिए एवं मांग बढ़ाने हेतु काउंसिल के साथ मिलकर सामूहिक सहयोग के साथ काम करेंगे।’’ यूनाइटेड सेलिंग ऑर्गेनाइजेशन, अलरोसा के डाइरेक्टर,  एवजेनी अगुरीव ने भी जीजेईपीसी को अपना समर्थन दिया।
जीजेईपीसी ने ज्वेलर्स एसोसिएशन - जयपुर के साथ मिलकर जयपुर में जेम बॉर्से स्थापित करने की योजना बनाई है। जेम बॉर्से में कलर्ड रत्नों के निर्माताओं एवं व्यापारियों के साथ-साथ कस्टम्स, बैंकों एवं अन्य सेवा प्रदाताओं के 2000 से अधिक कार्यालय एक ही जगह पर होंगे। इससे एक ही स्थान पर देश-विदेश के खरीदारों की किसी भी तरह के रत्न की आवश्यकता पूरी की जा सकेगी। जीजेईपीसी के जेम एवं ज्वेलरी इंस्टीट्युट्स मुंबई, दिल्ली, जयपुर, सूरत, वाराणसी एवं उडुपी में हैं। उनमें से कुछ संस्थानों में स्नातक एवं परा-स्नातक तक की पढ़ाई भी होती है।
आईआईजेएस प्रीमियर 2019 में, सुस्पष्ट वर्गों के बूथ्स होंगेः कूटुर, मास प्रोड्युस्ड, प्लेन गोल्ड, लूज स्टोन्स, इंटरनेशनल पैवेलियंस, सिंथेटिक्स एवं सिम्युलेंट्स, लेबोरेटरीज एवं एजुकेशन, एलायड, हॉल ऑफ इनोवेशन एवं स्पेशल क्लस्टर्स (एमएसएमई क्षेत्र)।
आईआईजेएस प्रीमियर 2019 के अवसर पर जीजेईपीसी द्वारा ‘ज्वेलरी फॉर होप’ नामक चैरिटी डिनर इवेंट आयोजित किया गया है। इस वर्ष की चैरिटी से होने वाली आय को भारतीय सेना कल्याण, ट्राइबल इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऐंड एजुकेशन ट्रस्ट (टाइड) और श्रीमद रामचंद्र लव ऐंड केयर (एसआरएलसी) को दिया जायेगा।
जीजेईपीसी द्वारा 9 अगस्त, 2019 को आईआईजेएस में आने वाले चुनिंदा लोगों के लिए विशेष नेटवर्किंग संध्या का आयोजन किया जा रहा है। कथित संध्या के आयोजन का उद्देश्य आईआईजेएस के प्रतिभागियों के लिए नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म तैयार करना है, ताकि वो अपनी व्यावसायिक संभावनाएं बढ़ा सकें।
आईआईजेएस मशीनरी शो होटल ललित और होटल लीला सहर एयरपोर्ट, मुंबई में आयोजित हो रहा है। इसमें कुल 155 प्रदर्शक होंगे, जिनमें 24 अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शक इटली, जर्मनी, तुर्की, यूएसए एवं यूएई से होंगे। डिस्प्ले पर रखे जाने वाले प्रोडक्ट्सः आभूषण तैयार करने वाली मशीनें, डायमंड तैयार करने वाली मशीनें, जेमस्टोन्स मशीनरी, कास्टिंग एवं इलेक्ट्रिक कास्टिंग उपकरण, प्रेशस एलॉय, रिफाइनरी इंग्रेडिएंट्स, उपकरण एवं औजार, बॉक्स एवं पैकेजिंक्स, आईटी एवं सॉफ्टवेयर समाधान, एलॉयज आदि।
स्पेक्ट्रम सेमिनार की सीरीज ‘आभूषण हेतु विकास रणनीति - खुदरा वृद्धि, कौशल उन्नयन, शिक्षा मानकों एवं ज्ञान स्तरों को ऊपर उठाना, करारोपण एवं जीएसटी से जुड़ी समस्याएं; प्राकृतिक रूप से खनन कर के निकाले गये एवं प्रयोगशालाओं में तैयार किये गये हीरे व अन्य’ पर केंद्रित होंगी।

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