नागपुर के ड्राय फ्लावर से महका जवाहर कला केंद्र - Karobar Today

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Saturday, November 16, 2019

नागपुर के ड्राय फ्लावर से महका जवाहर कला केंद्र


 National Art and Craft Exhibition, Jawahar Circle, Jaipur




ज्वेलरी बॉक्स मे रखी जाती है जरी की साडियां  
17 दिवसीय हस्तशिल्प एंव हथकरघा प्रदर्शनी

जयपुर । शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो द्वारा 17 दिवसीय हस्तशिल्प व सिल्क प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्षनी  में देश भर के सिल्क के साथ ही जंहा नागालैंड के ड्राई फ्लावर लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं वही टेरकोटा की कलाकृतियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो के आशीष गुप्ता ने बताया कि देश  की कला परंपरा विलुप्त होती जा रही है। कच्चे सामान की कीमते बढने, बाजारवाद व ऑनलाईन मार्केटिंग से हस्तशिल्प उद्योग को काफी नुकसान हुआ र्है। इस कला परंपरा को जीवित रखने के लिए ही इस प्रदर्षनी का आयोजन  जे एल एन मार्ग स्थित जवाहर कला केंद्र   में किया जा रहा है। गुप्ता ने बताया कि  इस प्रदर्शनी में कोलकाता से आए अजीत शर्मा केरला काटन पर हैंड पेंटिंग की साड़ियां लाए हैं। इन साड़ियों में उन्होंने केरला की संस्कृति के साथ ही ग्रामीण भारत की झलक को दिखाया है। सिल्क पर जामदानी का खूबसूरत काम भी उन्होंने प्रदर्शित किया है। बनारस से आए संतोष सिंह अपने साथ हैंड पेंटिंग ड्रेस मैटेरियल लाए हैं। हैंड पेंटिंग के जरिए उन्होंने ऊँटो के साथ राजस्थान के रेगिस्तान में ग्रामीणों को दिखाया है। वहीं कृष्ण और गौतम बुद्ध के चेहरों की भावनाओं को भी प्रदर्शित किया है। कांचीपुरम से आए राणा कांजीवरम की रियल सिल्वर जरी की साड़ियां लाए हैं। इन साड़ियों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ ज्वेलरी बॉक्स पर प्रदर्शित किया गया है लगभग 6 महीने में बनने वाली साड़ी की कीमत 180000 तक है । राणा ने बताया कि इन साड़ियों को बनाने में पूरे परिवार को जुटना पड़ता है।

इस प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के शिल्पकारो ने अपनी अनोखी शिल्प कला से लोगों को अचंभित किया है। प्रदर्शनी में 60 से ज्यादा स्टॉल्स लगाए गए हैं। प्रदर्शनी में आई मीना लश्करी अपने साथ कपड़े की चिड़िया लाई है।यह चिड़िया जुट के पेड़ों पर चह चाहती नजर आ रही है। प्रदर्शनी में नागालैंड का ड्राई फ्लावर भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस कलाकृति को लकड़ियों द्वारा बनाया जाता है । लकड़ी को तराश कर फूलों का आकार दिया जाता है। प्रदर्शनी में टेराकोटा की कलाकृतियां भी लोगों को लुभा रही हैं इन कलाकृतियों में कलाकारों ने पुरातन भारतीय कला परंपरा को जीवित रखने का प्रयास किया है। इसके अतिरिक्त मेले में बांस का फर्नीचर, जरदोसी वर्क लेदर की जूतियां, जुट के झूले, लखनवी चिकन, भैरवगढ़ का प्रिंट, नीमच तारापुर का दाबू प्रिंट, चंदेरी साड़ियां, कॉटन के सूट साड़ियां, सिल्क की साड़ियां आदि प्रदर्शित की गई हैं । प्रदर्शनी 24 नवंबर  तक चलेगी। कला प्रेमी प्रदेशभर से आए इन कलाकृति को देखने के लिए आमंत्रित हैं ।

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