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Tuesday, April 14, 2020

टाटा पावर के "धागा" ने की 1,20,000 से ज्यादा मास्क्स की आपूर्ति



Tata Power’s ‘Dhaaga’ extends support by supplying more than 1,20,000 face masks for COVID-19




राष्ट्रीय, वैश्विक महामारी ने भारत के कई लोगों को लक्षणीय रूप से प्रभावित किया है। लॉकडाउन के दौरान देश में प्रोटेक्टिव मास्क्स की कमी महसूस हो रही है। इस समस्या को मद्देनजर रखते हुए टाटा पावर के ऑपरेशनल इलाकों के लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए "धागा" पहल की महिला सदस्यों ने भारत के विभिन्न राज्यों के अतिसंवेदनशील और प्रवासी लोगों के लिए घर पर बनाए गए कपड़े के मास्क्स बनाए हैं।  उन्होंने महाराष्ट्र और झारखण्ड में से 1,20,000 ज्यादा मास्क्स की सफलतापूर्वक आपूर्ति की है।
पुणे में मुलशी, मावल, ट्रॉम्बे, जमशेदपुर और कलिंगनगर के "धागा" महिला सदस्यों ने अपने आसपास के इलाकों के लोगों और प्रवासी कर्मचारियों के लिए फेसमास्क्स बनाकर दिए।  कपड़े से बनाए गए इन मास्क्स के लिए अमेज़न ने भी इन उद्यमी महिलाओं से संपर्क किया। 
"धागा" सदस्यों के इन प्रयासों के लिए उनकी सराहना करते हुए टाटा पावर की कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस और सस्टेनेबिलिटी चीफ शालिनी सिंग ने कहा, "महामारी का खतरा बढ़ने के कारण महाराष्ट्र, झारखण्ड और ओडिशा की स्थानीय जनता और सुरक्षा के लिए अपने घरों को लौटते हुए लोगों को मास्क्स की कमी की समस्या को भी झेलना पड़ रहा था और तभी हमारे धागा सदस्यों ने यह फेसमास्क्स उन्हें उपलब्ध कराए, यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। हमें उन पर गर्व है कि उन्होंने अपने प्रयास और मेहनत से समाज की मदद की। हमारी इच्छा है कि "धागा" की कुशल महिला उद्यमी वर्तमान चुनौतीपूर्ण दौर में अपना यह योगदान इसी तरह से जारी रखे।"
इन मास्क्स को बनाने में सभी सरकारी निर्देशों और नियमों का पालन किया गया है। टाटा पावर के सीएसआर अभियानों के तहत कंपनी के हेल्थ थ्रस्ट एरिया का भी यह समर्थन करता है।  देश के दस राज्यों में जहां-जहां टाटा पावर का कामकाज चलाया जाता है उन इलाकों में स्थानीय जिला प्रशासन, हितधारक और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से टाटा पावर कई उपक्रमों में सहयोग प्रदान कर रही है।
वर्तमान में "धागा" पहल में देश के 8 राज्यों की (दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात) की 1050 महिलाएं शामिल हैं।  हितधारकों की मांगों को पूरा करने के लिए यह महिलाएं उत्पादों की लगातार आपूर्ति करती रहती हैं।  मात्र डेढ़ सालों में इन महिलाओं की मासिक आय में 2000 से 5000 रुपयों की बढ़ोतरी हुई है।  उनकी कार्यक्षमता में सुधार हुए हैं और पहल चिरस्थायी रहने की क्षमता मजबूत बनी है।


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