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Thursday, May 7, 2020

कृषक कल्याण फीस को लेकर गंगवार ने दिए अपने तर्क






Naresh pal Gangwar

जयपुर। प्रमुख शासन सचिव कृषि नरेशपाल गंगवार ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से 5 मई को अधिसूचना जारी कर मण्डी क्षेत्र में लाई गई या क्रीत-विक्रीत की गई कृषि उपज पर मण्डी समितियों द्वारा 2 रुपए प्रति सैकडा की दर से कृषक कल्याण फीस उद्ग्रहित किये जाने के प्रावधान किये गये है। संकलित फीस राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के कृषक कल्याण कोष में जमा होगी, जिसका उपयोग केवल कृषक कल्याण की गतिविधियों-योजनाओं के संचालन के लिए किया जाएगा। 
गंगवार ने बताया कि कृषक कल्याण फीस का भार किसानों व व्यापारियों पर नहीं पडे़गा। हालांकि उन्होंने ऐसा किस आधार पर कहा है यह समझ में नहीं आ रहा।
 गंगवार ने बताया कि राजस्थान में अधिसूचित कृषि जिन्सों का मण्डी शुल्क 0.01 प्रतिशत से 1.60 प्रतिशत है जबकि समीपस्थ राज्यों में मण्डी शुल्क की दरें तुलनात्मक रूप से अधिक है। पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में मण्डी शुल्क के अतिरिक्त विकास शुल्क पूर्व से ही लिया जा रहा है। 
गत वर्ष 16 दिसम्बर को संशोधन कर कृषक कल्याण कोष गठित किया गया। इस कोष के माध्यम से समर्थन मूल्य पर क्रय की जा रही कृषि जिन्सों के तुरन्त भुगतान के लिए निधि की व्यवस्था, कृषि जिन्सों के बाजार भाव गिरने पर बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने, प्लेज फाईनेन्सिंग, कृषि प्रसंस्करण, राजस्थान कृषि व्यवसाय व कृषि निर्यात को प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत अनुदान स्वीकृति के लिए वित्त प्रबंधन एवं राज्य सरकार के अनुमोदन से कृषक कल्याण से संबंधित अन्य गतिविधियां करने का प्रावधान किया गया।
   घोषणा की अनुपालना में राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड की ओर से 1-1 हजार करोड कुल 2 हजार करोड का ऋण क्रमशः ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स एंव पंजाब नेशनल बैंक से राज्य सरकार की प्रतिभूति एवं ब्याज व मूलधन के पुनर्भुगतान की वचनबद्धता के आधार पर लिया गया है। इस राशि में से 1500 करोड रुपए कृषि विभाग को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के राज्यांश प्रीमियम भुगतान के लिए हस्तान्तरित किए जाने की स्वीकृति जारी की गई है। भविष्य में भी इस कोष से राज्यांश प्रीमियम के लिए राशि की स्वीकृति जारी किया जाना सभ्भावित है।
 राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एंव कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति का क्रियान्वयन भी इसी कोष से किया जा रहा है। नीति के अन्तर्गत अब तक 15 प्रकरणों में 5.91 करोड़ रूपये का अनुदान स्वीकृत किया गया है और 38 आवेदन लम्बित है।

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