इंदौर । देश के मध्यवर्ती भाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा होने से सोयाबीन की बिजाई की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इस बार मानसून सही समय पर आया और पूरे देश में अच्छी वर्षा हो रही है। सोयाबीन का बाजार भाव चालू मार्केटिंग सीजन में समर्थन मूल्य से ऊंचा रहा जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य में एक बार फिर अच्छी बढ़ोत्तरी कर दी। इससे किसान काफी उत्साहित हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ें से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में 19 जून तक राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 3.52 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जबकि गत वर्ष की समान अवधि में यह महज 53 हजार हेक्टेयर तक ही पहुंचा था।
इंदौर स्थित एक अग्रणी संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) का मानना है कि मानसून की अच्छी बारिश होने से इस बार सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी। गत वर्ष की तुलना में इसका क्षेत्रफल 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
सोपा के कार्यकारी निदेशक के अनुसार महाराष्ट्र के कुछ भागों में किसान इस बार कपास को छोड़कर सोयाबीन की खेती की तरफ मुड़ सकते हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश में कुछ क्षेत्रों में मक्का उत्पादकों की दिलचस्पी सोयाबीन की खेती में बढ़ने की उम्मीद है। 2019-20 के पूरे सीजन में देश के अंदर करीब 114 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हुई थी।
2019-20 सीजन के दौरान मक्का तथा कपास की तुलना में सोयाबीन का भाव मजबूत बना रहा जिससे किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकी। केन्द्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2019-20 सीजन के 3710 रुपए प्रति क्विंटल से 4.6 प्रतिशत या 170 रुपए बढ़ाकर 2020-21 सीजन के लिए 3880 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है जिससे किसानों में अच्छा उत्साह है।
वर्तमान समय में सोयाबीन का हाजिर बाजार भाव औसतन 3855-3840 रुपए प्रति क्विंटल तथा वायदा मूल्य 3840-3845 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है जो समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा है।
देश के तीन सबसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में मौसम की हालत अनुकूल बनी हुई है। मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में मानसून पहले ही पहुंच चुका है जबकि राजस्थान में शीघ्र ही पहुंचने वाला है। विदर्भ एवं पूर्वी राजस्थान में मानसून-पूर्व की अच्छी बारिश हुई थी।
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