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Saturday, August 22, 2020

ज्यादा बारिश से कपास की फसल को नुकसान की आशंका

 







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नई दिल्ली। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने एक बार कपास के बिक्री भाव में बढ़ोतरी की है जिससे घरेलू मंडियों में भी कपास की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार कपास के प्रमुख कई उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से फसल को तो नुकसान की आशंका है ही साथ में नई फसल की आवक में देरी भी होगी, इसलिए कपास की कीमतों में अभी और भी सुधार आने का अनुमान है।

सीसीआई चालू सप्ताह में कपास के बिक्री भाव में 800-1,000 रुपये प्रति कंडी (एक कैंडी-356 किलो) की बढ़ोत्तरी कर चुकी है। विश्व बाजार में कपास की कीमतों में तेजी आने के साथ ही उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक कम होने के कारण सीसीआई लगातार भाव बढ़ा रही है।

सीसीआई ने कपास की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्ती उत्तर भारत में की है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए निगम ने आज 500 रुपये प्रति कंडी कीमतें बढ़ाई है, इन राज्यों में बारिश के कारण फसल को नुकसान के समाचार है, साथ ही नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका। इससे पहले सप्ताह की शुरुआज में निगम ने 300 रुपये और मंगलवार को 200 रुपये प्रति कंडी की बढ़ोत्तरी की थी। अत: चालू सप्ताह में निगम उत्तर भारत में कपास के बिक्री भाव में 1,000 रुपये प्रति कैंडी तक बढ़ोतरी कर चुकी है।

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना समेत देश के बाकी हिस्सों के लिए सीसीआई ने अपनी डिस्काउंट स्कीम के तहत कपास की कीमतों में 400 रुपये प्रति कंडी की वृद्धि की है। इस तरह से उत्तर भारत को छोड़कर देश के शेष हिस्सों में इस सप्ताह सीसीआई कपास के बिक्री भाव में करीब 800 रुपये प्रति कैंडी तक बढ़ोतरी कर चुकी है। जिससे उत्पादक मंडियों में कपास की कीमतों में तेजी बनी हुई है, शुक्रवार को दक्षिण भारत की मंडियों में कपास की कीमतों में 300 से 400 रुपये की तेजी दर्ज की गई।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई 3.36 फीसदी बढ़कर 127.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 123.54 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: कपास की बुआई 120.97 लाख हेक्टेयर में होती है। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, साथ ही बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचेगा, लेकिन अभी भी मंडियों में कपास के दाम पिछले साल की तुलना में काफी नीचे हैं। विश्व बाजार में भारतीय कपास भी सबसे सस्ती है, जिससे भाव में सुधार आने का ही अनुमान है।


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