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Friday, September 28, 2018

गूगल का आंकलन - 2021 तक छह हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा भारतीय भाषाओं में विज्ञापन का कारोबार




BOL: An Initiative by Quint Hindi and Google India



BOL: An Initiative by Quint Hindi and Google India

नई दिल्ली। इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं को शोहरत और अहमियत दिलाने के साथ इन्हें मुनाफा कमाने लायक बनाने के तौर-तरीकों पर बातचीत के लिए दिल्ली में आयोजित ‘बोल- लव योर भाषा’ कार्यक्रम में इस बात पर सहमति थी कि भारतीय भाषाओं में बिजनेस की जबरदस्त संभावना है। जरूरत इन संभावनाओं को नतीजों में बदलने की कोशिश को रफ्तार देने की है। क्विंट हिंदी और गूगल इंडिया के इस साझा आयोजन में गूगल इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट राजन आनंदन ने कहा कि 2021 तक भारतीय भाषाओं में विज्ञापन का बाजार 6000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। आनंदन के मुताबिक इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में कंटेंट कारोबार के ग्रोथ की जबरदस्त संभावनाएं हैं। यह इसी से साबित होता है कि भारत में यूट्यूब पर देखा जाने वाला 95 फीसदी कंटेंट अंग्रेजी का नहीं होता है ।
कार्यक्रम के तहत बिजनेस, मीडिया और पब्लिशिंग की दुनिया की आला दिमाग हस्तियां इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं के जबरदस्त प्रसार पर बातचीत के लिए जुटी थीं। दिन भर चलने वाला अपनी तरह का यह पहला खास बड़ा आयोजन पूरी तरह इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं की ग्रोथ और उनसे होने वाली कमाई के तौर-तरीकों पर केंद्रित था।
इस आयोजन में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने बिजनेस के लिए भारतीय भाषाओं का डिजिटल स्पेस बनाने पर जोर दिया और कहा कि ऐसी टेक्नोलॉजी पॉलिसी आनी चाहिए, जिससे इंटरनेट और ज्यादा लोकतांत्रिक बन सके। उन्होंने कहा कि इंटरनेट क्रांति का सबसे ज्यादा फायदा अलग-अलग भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल करने वाले समाज को ही होगा।
कार्यक्रम में डिजिटल गैर बराबरी पर बात करते हुए रेवरी लैंग्वेज टेक्नोलॉजिजट के को- फाउंडर और सीईओ अरविंद पाणि ने कहा कि देश में टेलीकॉम और मीडिया इंडस्ट्रीज के उभार से भारतीय भाषाएं भी कारोबार की भाषाएं बन गई हैं। लेकिन दिक्कत भारतीय भाषाओं के मानकीकरण (स्टैंडर्डाइजेशन) की है। अगर आप किसी से पूछें कि अंग्रेजी में कितने अल्फाबेट्स होते हैं तो जवाब मिलेगा 26 लेकिन अगर किसी से पूछेंगे कि हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं में कितने वर्णाक्षरों को मोबाइल या डिजिटल स्क्रीन में जगह मिलनी चाहिए तो एक जैसा जवाब नहीं मिलेगा। लेकिन जैसे ही स्टैंडर्डाइजेशन की दिक्कतें दूर होने लगेंगी भारतीय भाषाओं में कारोबार को रफ्तार मिलने लगेगी।
भारत में टेक्नोलॉजी पॉलिसी के जरिये इंटरनेट को लोकतांत्रिक बनाने पर पैनल चर्चा के दौरान हिस्सा लेने वाले इस बात पर सहमत थे कि अगर कारोबार बहुभाषी हो जाए तो इसका मुनाफा बढ़ जाएगा। ब्लूमबर्गक्विंट की मैनेजिंग एडिटर मेनका दोशी की अगुआई में इस पैनल चर्चा में कहा गया कि अलग-अलग भाषाओं में कारोबार ज्यादा मुनाफा दे सकता है लेकिन किसी भारतीय भाषा के किसी बिजनेस या एप को अंग्रेजी की तुलना में कम तवज्जो मिलती है। इस नजरिये में बदलाव की जरूरत है। शेयर चैट के को- फाउंडर और सीईओ अंकुश सचदेव ने कहा कि भारत में डाटा भारतीयों के नियंत्रण में ही रहना चाहिए और ये भारतीय भाषाओं में उपलब्ध भी होना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान गूगल इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट राजन आनंदन के साथ फायरसाइड चैट में क्विंटिलियन मीडिया के फाउंडर राघव बहल ने भारत जैसे बहुभाषी देश में इंटरनेट को लोकतांत्रिक बनाने के तरीकों पर बात की। चर्चा के दौरान आनंदन ने बताया कि इसका एक तरीका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने का हो सकता है क्योंकि वीडियो  भाषा निरपेक्ष होती  है।
जो भाषा सुनाई देती है वह समझने में आसान होती है। पढ़ कर समझना कठिन होता है। वीडियो देख कर समझने की सुविधा देता है। आनंदन का आकलन है कि 2021 भारतीय भाषाओं के विज्ञापन का बाजार छह हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
कार्यक्रम में द इंडियन एक्सप्रेस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका, डेली हंट के फाउंडर और सीईओ वीरेंद्र गुप्ता, गूगल के जयवीर नागी, क्विंटलियन मीडिया की को- फाउंडर रितु कपूर और चेतन कृष्णस्वामी ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन द क्विंट के प्रेसिडेंट और एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने किया।

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