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Wednesday, September 26, 2018

बीडी-इंडिया ने आरंभ किया कैथेटर संबंधी रक्तप्रवाह संक्रमण से रोगी सुरक्षा अभियान

BD Group new campaign

जयपुर। अस्पताल में होने वाला संक्रमण यानी हॉस्पिटल अक्वायर्ड इन्फेक्शन (एचएआइ) की बढ़ती घटनाओं के आलोक में अग्रणी चिकित्सा तकनीक कंपनी बीडी-इंडिया ने पूरे भारत के विभिन्न शहरों में 150 से अधिक अस्पतालों में रोगी सुरक्षा अभियान आरंभ किया है। इस अभियान का लक्ष्य अस्पतालों में रोगियों के लिए कैथेटर संबंधी रक्तप्रवाह संक्रमण (सीआरबीएसआइ) के खतरे को कम से कम करने पर जागरूकता बढ़ाना है। इस अभियान में इन अस्पतालों के इंटेन्सिव केयर, अनेस्थेसियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष, चिकित्सा अधीक्षक और परिचारकों ने भाग लिया।
विभिन्न प्रकार के सीआरबीएसआइ रूग्णता, मत्र्यता और खर्च से जुड़े अस्पताल में अर्जित संक्रमण का एक महत्वपूर्ण कारण है। महीने भर चलने वाले इस अभियान के माध्यम से स्वास्थ्य एवं चिकित्साकर्मियों को अस्पताल-अर्जित संक्रमण (एचएआइ) में कमी लाने के लिए प्रक्रियाओं और दिशानिर्देश को लेकर संवेदनशील बनाया गया ताकि स्वास्थ्य सेवा के बेहतर नतीजे और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। अस्पताल जनित संक्रमण या एचएआइ को वैसे संक्रमण के रूप में समझा जा सकता है जो अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर, छुट्टी मिलने के 3 दिनों के भीतर या किसी ऑपरेशन के 30 दिनों के भीतर होता और इस तरह रोगी परिणाम खराब होता है तथा स्वास्थ्यसेवा का खर्च बढ़ता है।
महात्मा गाँधी मेडिकल कालेज ऐंड होस्पिटल के असिस्टेंट प्रोफेसर, क्रिटिकल केयर विभाग, डॉ. सृष्टि जैन ने कहा कि, ‘‘एचएआइ रोगियों और अस्पताल के संसाधनों पर काफी बोझ के रूप में निरूपित होता है। इन संक्रमणों का खतरा कम-से-कम करना प्रत्येक स्वास्थ्य व्यवस्था में अत्यावश्यक हो जाता है जिससे बेहतर रोगी परिणाम में मदद मिल सकती है। बीडी के इस जागरूकता अभियान के माध्यम से हमारे कर्मचारी गुणवत्तापूर्ण रोगी परिणामों को आगे बढ़ाने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे।‘‘ 
इसी सिलसिले में बीडी इंडिया एवं साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक, पवन मोचेरला ने कहा कि, ‘‘बीडी रोगी सुरक्षा बढ़ाने और मरीजों की अस्पताल-अर्जित संक्रमण (एचएआइ) से रक्षा करने के लिए लगातार काम कर रहा है। हम अगर उचित टेक्नोलॉजी और इसके प्रशिक्षण की जरूरत का हल निकाल लेते हैं तो हम स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवा की डिलीवरी उन्नत कर सकते हैं।‘‘
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार दुनिया भर में 1.4 मिलियन से ज्यादा लोग अस्पताल-अर्जित संक्रमण से पीडि़त हैं। साथ ही इससे हर साल 80,000 मौत हो जाती हैं। औसतन, अस्पताल-अर्जित संक्रमण के रोगी को अस्पताल में ढाई गुणा ज्यादा समय तक रहना पड़ता है जिसके चलते असंक्रमित रोगी की तुलना में अतिरिक्त खर्च तथा जटिल उपचार से गुजरना पड़ता है।
डॉ. विक्टर डी रोजेन्थल द्वारा किए गए और अमरीकन जर्नल ऑफ इन्फेक्शन कंट्रोल (2015) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार स्प्लिट सेप्टम +सिंगल-यूज प्रीफिल्ड फ्लशिंग उपकरणों का प्रयोग किफायती होता है और थ्री-वे स्टॉपकॉक्स के प्रयोग की तुलना में सीएलएबीएसआइ दर काफी कम हो जाती है।

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