कारोबार टुडे रिसर्च/संडे स्पेशल
हाल ही में खोजी पत्रकारिता करने वाले वेब पोर्टल कोबरापोस्ट ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा करने के लिए कोबरा पोस्ट-136 के नाम से एक ऑपरेशन चलाया था। इस ऑपरेशन में देश के सबसे बड़े प्रिंट मीडिया समूह दैनिक भास्कर के बड़े पदाधिकारियों को पैसा लेकर हिंदुत्व और विपक्षी दलों के नेताओं की छवि खराब करने के संबंधित समाचार प्रकाशित करने की एवज में पैसा लेने का करार करते हुए दिखाया जा रहा है। इस मामले में सच झूठ का फैसला तो न्यायालय को करना है लेकिन एक लिस्टेड कंपनी के तौर पर DB Corp Limited को स्टॉक एक्सचेंज में संबंधित मामले में स्पष्टीकरण तो अवश्य देना चाहिए था।
इन नियमों के तहत देना चाहिए स्पष्टीकरण
डी बी कोर्प लिमिटेड एक लिस्टेड कंपनी है और उसे पूंजी बाजार नियामक सेबी के नियमों के अनुसार व बीएसई के लिस्टिंग एग्रीमेंट rules 36 के अनुसार हर वह संवेदनशील सूचना जो कि कंपनी के कारोबार को प्रभावित कर सकती है, के संबंध में स्टॉक एक्सचेंज को सूचना देना अनिवार्य है। गौरतलब है कि देश के प्रमुख अखबार राजस्थान पत्रिका में भी इस संबंध में बड़ा लेख मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ था। कई बार प्रकाशित खबर के संबंध में स्टॉक एक्सचेंज भी कंपनी से स्पष्टीकरण मांगते हैं लेकिन इस मामले में BSE or NSE ने DB corp Limited से किसी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। एक मीडिया कंपनी के लिए उसकी साख ही सबसे बड़ी पूंजी होती है ऐसे में डीबी कॉर्प लिमिटेड को कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिए तय समयावधि में वांछित सूचना या स्पष्टीकरण स्टॉक एक्सचेंज को देना चाहिए था।
लगातार गिर रहा है DB Corp Limited का शेयर
एक तो बाजार में पहले से ही मंदी का दौर चल रहा है और फिर खराब खबर से बाजार में भी बिकवाली का प्रेशर आता है।
18 जनवरी 2018 को कंपनी के शेयर ने ₹388 का उच्चतम स्तर छुआ था। वर्तमान में कंपनी का शेयर गिरते हुए ₹174 के स्तर तक आ गया है। जहां पहले कंपनी की मार्केट कैप 6500 करोड रुपए हो गई थी जो अब घटकर करीब 3100 करोड़ रुपए रह गई है। कोबरापोस्ट के वीडियो में कंपनी के डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर पवन अग्रवाल को भी पैसा स्वीकारते हुए दिखाया जा रहा है। कोबरापोस्ट के पोर्टल और यूट्यूब पर इस संबंध में वीडियो उपलब्ध है। ऐसे में कंपनी को निवेशकों के हित और कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए। गौरतलब है कि इसी वर्ष पवन अग्रवाल को कंपनी के डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर 5 वर्षों के लिए पुनः नियुक्त किया गया है और उनका वार्षिक वेतन 1 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।
क्या कोई कानून है मीडिया में भ्रष्टाचार के लिए
फिलहाल मीडिया मे पेड न्यूज की रोकथाम के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। रजिस्टार न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया के पास भी मीडिया में पेड़ न्यूज़ रोकने का कोई पर्याप्त मैकेनिज्म नहीं है। ऐसे में मीडिया में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए किसी प्रकार के विशेष कानून को बनाने की सख्त आवश्यकता है। आजादी से पहले समाचार पत्र क्रांति का माध्यम हुआ करते थे लेकिन आज समाचार पत्र शुद्ध व्यवसाय बन कर रह गया है। बड़े मीडिया समूह को चलाने का बड़ा खर्चा होता है और इस खर्चे को निकालने के लिए सब कुछ किया जाता है चाहे वह जायज है या नाजायज।
इस स्टिंग आपरेशन को आप इस लिंक पर देख सकते हैं
https://m.youtube.com/watch?feature=youtu.be&v=BfTwuNOTGSM
पत्रिका में भी छपी थी खबर
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