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Wednesday, December 19, 2018

जेन एक्स और मिलेनियल्स भारत के उपभोक्ता ऋण बाजार के विस्तार को दे रहे हैं गति



TransUnion CIBIL |  Gen X and Millennials Driving India's Consumer Credit Market Expansion



मुंबई। भारतीय उपभोक्ता ऋण बाजार का विस्तार वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही के दौरान जारी रहा। पिछले वर्ष के बाद से खुदरा बकाया बैलेंस में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई और समान समयावधि में खातों की संख्या 28 प्रतिशत बढ़ी। ब्ल्फ ट्रांसयूनियन सिबिल इंडस्ट्री इनसाइट्स रिपोर्ट में इन प्रवृत्तियों का खुलासा हुआ। इस रिपोर्ट से यह भी पता चला कि बैलेंस और खातों में वृद्धि पिछले वर्ष की समान तिमाही के जैसे ही हुई और वार्षिक आधार पर जहां बैलेंस 22 प्रतिशत बढ़ा, वहीं खातों में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
ट्रांसयूनियन सिबिल के वाइस प्रेसिडेंट - रिसर्च एवं कंसल्टिंग, योगेन्द्र सिंह ने बताया, ‘‘हम दमदार भारतीय उपभोक्ता ऋण बाजार विस्तार के मध्य में हैं। यहां हमें क्रेडिट कार्ड्स और व्यक्तिगत ऋण सहित अधिकांश प्रमुख ऋण उत्पादों में संख्या और खातों दोनों में शानदार वृद्धि दिखी। जैसा कि हमने बीते समय में पाया है, यह वृद्धि प्राथमिक रूप से उन उपभोक्ताओं के चलते है, जो प्रमुख भारतीय राज्यों में रहते हैं। इस तिमाही, हमें यह भी देखने को मिला कि मिलेनियल्स और जेनरेशन एक्स उपभोक्ताओं यह अधिकांश वृद्धि हो रही है और सभी खातों एवं बैलेंसेज में आधे से अधिक उन्हीं के हैं।’’
ट्रांसयूनियन सिबिल की नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया कि 30-49 वर्ष के आयु समूह वाले उपभोक्ता खुदरा ऋण बाजार के मुख्य आधार हैं। कैलेंडर वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में, इस आयु समूह में ऋण सक्रिय ग्राहकों (56 प्रतिशत) की कुल संख्या का अधिकांश शामिल रहे और कुल बैलेंस का अधिकांश प्रतिशत शामिल रहे (60 प्रतिशत), इस प्रकार इन्होंने अन्य सभी आयु समूहों के शेयर्स को पीछे छोड़ दिया।
इस आयु समूह के जीवन चरणों के आलोक में, संपूर्ण खुदरा ऋण बाजार में इनकी अधिकांश हिस्सेदारी आश्चर्य की बात नहीं है। 30-39 वर्ष के आयु समूह वाले अधिकांश ग्राहक अपना परिवार बना रहे हैं और उसे बढ़ा रहे हैं, इसलिए वाहनों, घरों एवं अन्य घरेलू सामानों की खरीद के फाइनेंस के लिए ऋण की आवश्यकता है। आगे, ये ग्राहक कॅरियर के अधिक परिपक्व चरणों में है, और इनका आय स्तर ऐसा है कि वे उपभोक्ता ऋण को चुका सकते हैं। इन निष्कर्षों में अच्छी बात यह है कि ये जेन एक्स और अन्य मिलेनियल ग्राहक अपनी मांग एवं खरीद आवश्यकताओं को सपोर्ट देने के लिए नये ऋण हासिल करने में सक्षम हैं।
इस रिपोर्ट से यह भी पता चला कि सबसे युवा उधारकर्ता धीरे-धीरे उपभोक्ता ऋण बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। 20-29 वर्ष के आयु समूह (जिनमें जेन जेड और सबसे युवा मिलेनियल्स शामिल हैं) में क्रेडिट बैलेंस वाले ग्राहकों की संख्या कैलेंडर वर्ष 2015 की तीसरी तिमाही के 17.5 प्रतिशत से बढ़कर कैलेंडर वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में 19.7 प्रतिशत हो गई।
उन्होंने आगे बताया, ‘‘यद्यपि इस समयावधि में संपूर्ण ऋण बैलेंस में उनकी हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि हुई, यह देख के लिए अच्छा भविष्य सूचक है कि इनमें से अधिकाधिक युवा उपभोक्ता भारतीय अर्थव्यवस्था में भाग ले रहे हैं।’’
क्रेडिट कार्ड्स और पर्सनल लोन की मांग अधिक बनी हुई है
जहां सभी प्रमुख ऋण उत्पादों में ऋण खाते में दहाई अंक में प्रतिशत वृद्धि देखी गई, वही क्रेडिट कार्ड्स और पर्सनल लोन दोनों इनसे अलग रहे, क्योंकि वर्तमान रूप से खुले इस तरह के खातों की संख्या अत्यधिक रही। क्रेडिट कार्ड खातों की संख्या में पिछले वर्ष लगभग 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह कैलेंडर वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में 36.9 प्रतिशत हो गया। पर्सनल लोन खाते पिछले वर्ष 26 प्रतिशत वृद्धि के साथ कैलेंडर वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 15 मिलियन हो गये।
प्रोपर्टी पर लोन (लैप), जो कुल खातों में 1.6 मिलियन है, में पिछले वर्ष 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जहां बाजार स्थल में इन ऋणों की संख्या कार्ड्स एवं पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम है, लेकिन इन खातों का औसत बैलेंस खुदरा ऋण परिदृश्य में इस प्रोडक्ट को महत्वपूर्ण बनाता है। भारतीय लैप कर्जदार का औसत बैलेंस कैलेंडर वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में 3,493,000 रु. है। तुलनात्मक रूप से, प्रति कर्जदार प्रति पर्सनल लोन के लिए ऋण आकार का औसत बैलेंस 252,000 रु. था, और प्रति क्रेडिट कार्डधारक औसत बैलेंस 46,000 रु. था।
’गंभीर डेलिक्वेंसी रेट्स को बकाया तिथि से 90 या इससे अधिक दिनों के बैलेंस के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है
होम लोन और क्रेडिट कार्ड्स दोनों के लिए डेलिक्वेंसी रेट्स में वर्ष-दर-वर्ष क्रमशः 22 और 28 आधार अंकों की वृद्धि हुई और ये क्रमशः 1.73 प्रतिशत और 1.78 प्रतिशत रहे। लैप में 73 वर्ष-दर-वर्ष आधार पर आधार अंकों की अधिक वृद्धि हुई और यह कैलेंडर वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में 3.03 प्रतिशत रहा। लैप बैलेंस-लेवल डेलिक्वेंसी रेट्स में यह वृद्धि बहुत अधिक है, क्योंकि इस प्रकार के ऋण का औसत बैलेंस काफी अधिक है।
जहां भारत विकास की अवस्था में बना हुआ है, वही कर्जदाता को विवेकपूर्ण तरीके से अपने जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाओं पर नजर रखनी होगी। उदाहरण के लिए, प्रोपर्टी पर लोन की संख्या तेजी से बढ़ी है। साथ ही, कई वर्षों में पहली बार इन लोन्स का डेलिंक्वेंसी रेट अभी 3 प्रतिशत के पार चला गया है। कर्जदारों को इन ऋणों की तेज मांग को निश्चित करना होगा, क्योंकि ये लोन शानदार राजस्व उत्पादक हैं और हाल के डेलिक्वेंसी वृद्धि की दृष्टि से काफी अधिक हैं।’’
‘‘ग्राहकों की दृष्टि से, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि कर्जदार समय से भुगतान करते रहने के महत्व को समझें। यह विशेषकर युवा ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें ऋण के प्रबंधन का अपेक्षतया कम अनुभव है और फिर भी उनकी ऋण संबंधी आदतें बनी हुई हैं। ये उभरते ग्राहक भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं, और ऋण लेने एवं सफलतापूर्वक उसका प्रबंधन करने की उनकी क्षमता अर्थव्यवस्था की भावी वृद्धि एवं स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होगा।’’


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