जयपुर। वैश्विक हेल्थकेयर कंपनी एबॉट ने हाल ही में इन्फ्लूएंजा के लिए एक नई निष्क्रिय क्वाड्रीवेलेंट वैक्सीन लॉन्च की है। यह भारत में वायरस के चार उपभेदों (स्ट्रेन) के प्रति सुरक्षा प्रदान करने वाली अपनी तरह की पहली सब-यूनिट वैक्सीन है। यह भारत में एकमात्र 0.5 मिली. क्वाड्रीवेलेंट फ्लू वैक्सीन है, जिसे 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इस्तेमाल के लिए अनुमोदित किया गया है। वास्तव में, यह टीका 6 महीने से ऊपर के बच्चों तथा वयस्कों को दिया जा सकता है। 0.5 मिलीलीटर का टीका 3 साल से कम उम्र के बच्चों में प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया को बेहतर बना सकता है[1]।
विश्व स्तर पर स्वीकृत उत्पाद, एबॉट का यह टीका एक साथ चार अलग-अलग फ्लू वायरस स्ट्रेन के खिलाफ प्रतिरक्षण करके व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, इसे क्वाड्रीवेलेंट या टेट्रावेलेंट वैक्सीन कहा जाता है। ट्राइवेलेंट वैक्सीन के एक बी-स्ट्रेन की तुलना में इसमें इन्फ्लूएंजा वायरस का एक दूसरा बी-स्ट्रेन भी शामिल है। किसी वैक्सीन की सिफारिश करना स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए पेचीदा हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वैक्सीन स्ट्रेन और संचारित हो रहे वायरल स्ट्रेन में अंतर हो सकता है। इसलिए, क्वाड्रीवेलेंट वैक्सीनों में एक अतिरिक्त बी-स्ट्रेन को शामिल किया जाना ज्यादा व्यापक सुरक्षा देने में मददगार हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर इस वैक्सीन को लेकर हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों में क्वाड्रीवेलेंट वैक्सीनों ने ट्राइवेलेंट वैक्सीन के ऑल्टरनेट-लाइनेज बी-स्ट्रेंस की तुलना में बेहतर प्रतिरक्षात्मकता या प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया और ये तुलनात्मक रूप से सुरक्षित भी रहीं।
यह भारत में पहली थर्ड जनरेशन, क्वाड्रीवेलेंट सब-यूनिट फ्लू वैक्सीन है। सब-यूनिट वैक्सीन सबसे उन्नत फ्लू टीका होता है। किसी सब-यूनिट वैक्सीन का लाभ यह है कि स्प्लिट वैक्सीन के मुकाबले यह शुद्धिकरण के एक और चरण से गुजरता है, और इसलिए ज्यादा परिष्कृत होता है। इसके चलते साइड-इफेक्ट कम हो सकते हैं। वैश्विक स्तर पर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, अस्थमा और मधुमेह रोगियों सहित उच्च जोखिम वाले समूहों में किए गए नैदानिक अध्ययनों में सब-यूनिट वैक्सीन्स ने फ्लू वैक्सीन के अन्य प्रकारों की तुलना में बेहतर सहनीयता और एक अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल दर्शाया है।"
एक निष्क्रिय इन्फ्लूएंजा वैक्सीन उच्च जोखिम वाली आबादी में फायदेमंद है, क्योंकि यह लोगों के एक बड़े समूह को दी जा सकती है, जैसे कि गर्भवती महिलाएं, 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, बड़ी उम्र के वयस्क और कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगी।
एबॉट इंडिया की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. श्रीरूपा दास ने कहा कि, ''हम अपने फ्लू वैक्सीन के क्वाड्रीवेलेंट संस्करण के लॉन्च से उत्साहित हैं, जो 6 महीने से ऊपर के बच्चों और वयस्कों दोनों को लगाया जा सकता है। यह विशिष्ट प्रकार का वैक्सीन कम साइड इफेक्ट्स के साथ बढ़िया प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उपलब्ध कराता है। यह फ्लू से ज्यादा से ज्यादा लोगों का बचाव करने को लेकर एबॉट के प्रयासों की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। एबॉट का "मदर्स अगेंस्ट इन्फ्लूएंजा" (एमएआई) अभियान इन्फ्लूएंजा के संभावित गंभीर परिणामों की पहचान करता है। इसके तहत एबॉट इन्फ्लूएंजा से परिवारों की सुरक्षा के महत्व को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ा रहा है ताकि वे सेहतमंद और भरपूर जीवन जी सकें।"
इन्फ्लूएंजा आम सर्दी-जुकाम से अलग होता है। यह श्वसन तंत्र से संबंधित संक्रमण है, जो सभी उम्र वालों को प्रभावित करता है। इन्फ्लूएंजा संक्रमण के चलते आमतौर पर 3 से 4 दिनों तक तेज बुखार होता है, जिसमें सिरदर्द, माइएल्जिया या मांसपेशियों में दर्द, थकावट और छाती में गंभीर दिक्कत और खांसी जैसे लक्षण भी शामिल हैं। इसके अलावा, इन्फ्लूएंजा कुछ समूहों में गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। ऐसे समूहों में छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ ही सांस संबंधी बीमारियों, हृदय रोग और मधुमेह आदि से ग्रस्त लोग आते हैं। इन्फ्लूएंजा ए और बी नामक दो वायरस इंसानों में रोग का कारण बनते हैं। फिलहाल ये विश्व स्तर पर और भारत में फैल रहे हैं और मौसमी प्रकोप पैदा कर रहे हैं। इन्फ्लूएंजा के चलते पड़ने वाला बोझ काफी होता है। अनुमान है कि इन्फ्लूएंजा से संबंधित सभी मौतों में से 25% मौतें बी वायरस जुड़ी हुयी है।
मुंबई के अग्रणी पल्मोनोलॉजिस्ट और गीरियाट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. अगम वोरा कहते हैं कि, “नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल का आकलन दिखाता है कि भारत में इन्फ्लूएंजा के मामले 5 गुना बढ़ गए हैं। 2012 में ऐसे 5,044 मामले थे, जो 2019 में बढ़कर 28,798 हो गए। और राजस्थान में, इन्फ्लूएंजा के मामलों में सालाना 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 2013 के 865 मामलों से बढ़कर 2019 में 5,092 पहुंच गए। इन्फ्लूएंजा के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव टीकाकरण है, और यह दिखाने के लिए दमदार सबूत हैं कि क्वाड्रीवेलेंट टीके व्यापक सुरक्षा प्रदान करते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ये टीके विभिन्न आयु-समूहों में वैकल्पिक बी-स्ट्रेन के प्रति सुरक्षा बढ़ाते हैं। क्वाड्रीवेलेंट वैक्सीन से सबसे ज्यादा फायदा शिशुओं और बच्चों को होता है, जो अभी तक इन्फ्लूएंजा बी के संपर्क में नहीं आए होते हैं।”
खासतौर पर बच्चे इन्फ्लूएंजा की चपेट में जल्दी आते हैं। एक भारतीय अध्ययन का अनुमान है कि 2016 में 5 वर्ष और उससे कम के बच्चों में इन्फ्लूएंजा के 16 मिलियन मामले सामने आए, जिनमें से 10.9 मिलियन पीड़ितों को डॉक्टर के पास जाना पड़ा और 1,09,000 अस्पताल में भर्ती हुए। बच्चों के साथ-साथ वयस्कों और बुजुर्गों में इन्फ्लूएंजा टीकाकरण के प्रमाणित लाभों के बावजूद, टीके की बदौलत बचे जा सकने वाले सभी रोगों के टीकाकरण की दरें कम ही बनी हुई है।
शामिल बी-स्ट्रेन और फैलते बी-स्ट्रेन के बीच अंतर (मिसमैच) हो। इस तरह का मिसमैच सामने आने पर पारंपरिक ट्राइवेलेंट वैक्सीन्स ने फैलते रोगकारक स्ट्रेन से बचाने की सीमित क्षमता दिखाई है।
फरवरी 2013 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दोनों अपेक्षित बी-स्ट्रेंस को वैक्सीन रचना में शामिल करने की सिफारिश करते हुए दिशानिर्देश जारी किए थे। क्वाड्रीवेलेंट इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (क्यूआईवी), जिसमें इस सिफारिश के अनुरूप एक अन्य टाइप बी-स्ट्रेन शामिल है, बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकती है। ए और बी दोनों वायरस से पड़ने वाला रोग भार काफी अधिक है, और अनुमान है कि इन्फ्लूएंजा से संबंधित सभी मौतों में से 25% से बी वायरस जुड़ा हुआ है।
चूंकि इन्फ्लूएंजा बी के कारण अनेक मौतें होती हैं, इसलिए टीआईवी के बजाय क्यूआईवी का उपयोग इन्फ्लूएंजा के बोझ को और कम कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, क्यूआईवी दिया जाना तमाम इन्फ्लूएंजा बी संक्रमणों में से ऐसे 11.2% संक्रमणों को भी रोक सकता है, जो टीआईवी के बावजूद उभरते हैं। इन्फ्लूएंजा ए की तुलना में इन्फ्लूएंजा बी से होने वाली बीमारी कम गंभीर होती है, ऐसी धारणा के चलते इसके प्रभाव को कम करके आंका जाता है। भारत में इन्फ्लूएंजा बी वायरस के दोनों वंशों के प्रसार का प्रमाण है, जिसके कारण इसे लेकर अतिरिक्त सुरक्षा बरती जानी चाहिए।
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