नई दिल्ली, भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत एनटीपीसी कन्टीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) स्थापित करने और शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा।
6 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 25 सीएएक्यूएमएस की स्थापना के लिए एनटीपीसी 80 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा। ये सीएएक्यूएमएस ग्वालियर (मध्य प्रदेश), रांची (झारखंड), पटना (बिहार), वाराणसी, लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद (सभी उत्तर प्रदेश में), पिंपरी - चिंचवाड़ (महाराष्ट्र) और मदुरै (तमिलनाडु) में स्थापित किये जाएंगे। इन शहरों के साथ, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादर और नगर हवेली और दमन और दीव (पोर्ट ब्लेयर, सिलवासा और दमन) में भी सीएएक्यूएमएस स्थापित किए जाएंगे।
एमओयू पर सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत भार्गव और एनटीपीसी लिमिटेड के जनरल मैनेजर (कॉर्पोरेट पर्यावरण प्रबंधन) रवि वी बाबू ने हस्ताक्षर किए। इस असवर पर डायरेक्टर (ऑपरेशंस) प्रकाश तिवारी, ईडी टू सीएमडी रमेश बाबू वी और सीजीएम (एसएसईए) और बी बसु भी उपस्थित रहे।
इन स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग संबंधित शहरों के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक मूल्यांकन के लिए इनपुट के रूप में किया जाएगा। विभिन्न तरीकों से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एनटीपीसी लगातार प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही देश के प्रमुख ऊर्जा उत्पादक एनटीपीसी ने सस्टेनेबल ऑपरेशंस की दिशा में अपने महत्वपूर्ण प्रयासों की दिशा में ही एक और कदम बढ़ाया है।
इसके अलावा, प्रदूषण पर अंकुश लगाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, एनटीपीसी ने दिल्ली एनसीआर में अपने दादरी प्लांट में पारंपरिक ठोस बॉयलरों में को-फायर किए जा सकने वाले म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) को हाई ग्रोस कैलोरिफिक वैल्यू (सीजीवी) ईंधन में परिवर्तित करने की तकनीक भी लागू की है। ऐसा करते हुए एनटीपीसी दुनिया की ऐसी अग्रणी कंपनियों मंे शामिल हो गई है, जिसने कचरे को ऊर्जा में बदलने की एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है। एनटीपीसी ने विंध्याचल में अपनी पहली एफजीडी इकाई शुरू की है, और अपने सभी बिजली संयंत्रों में इस इको-फ्रेंडली तकनीक को लागू करने की प्रक्रिया में है।
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