मुंबई, गोदरेज इंटीरियो के ‘मेक स्पेस फॉर लाइफ’ सर्वे में पता चला है कि 39 प्रतिशत महिला पेशेवर नौकरी और जीवन के बीच संतुलन बनाने के दौरान, काम की ज़िम्मेदारियों के कारण रोजाना वर्कआउट करने के लिए समय नहीं निकाल पाती। सर्वे में इस बात का खुलासा किया गया है कि काम के दबाव, टेक्नोलॉजी और रोज़ाना के काम-काज के चलते भारतीयों का कहना है कि उन्हें खुद के लिए, परिवार में संबंधों और उनके जुनून के लिए कम समय और अवसर मिल पाते हैं।
गोदरेज इंटीरियो के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अनिल माथुर ने मेक स्पेस फॉर लाइफ के ‘महिला दिवस’ संस्करण का वर्णन महिलाओं के स्वास्थ्य का उनके जीवन में प्राथमिकता के प्रति एक हल्की फुल्की सम्मति के तौर पर किया है।
दुनिया के दूसरे सबसे ज़्यादा आबादी वाले देश के तौर पर भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनोखी चुनौती का सामना कर रहा है। भारत में एक महिला के लिए स्वास्थ्य सबसे कम प्राथमिकता है और यह आपस में जुड़े सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित होता है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि भारतीय महिलाओं को व्यायाम के लिए समय नहीं मिलता। सर्वेक्षण में यह पाया गया कि उनके समकक्षों की तुलना में व्यायाम करने और फिट रहने में महिलाओं की रुचि नहीं है।
गोदरेज इंटीरियो के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अनिल माथुर ने सर्वेक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ हमारे सर्वे के अनुसार भले ही महिलाएं एक अपेक्षाकृत स्वस्थ वर्क-लाइफ संतुलन बनाए रखने में बेहतर होती हैं, लेकिन उन्हें निरंतर परिवार की ज़िम्मेदारियों और काम का दबाव दोनों ही संभालना पड़ता है। ऐसा करने से वो उनके खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती। हमारे सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, काम के दबाव, टेक्नोलॉजी और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में खुद के लिए और उनके स्वास्थ्य के लिए कम समय और अवसर मिल पाता है। महिला हमेशा से घर की अभिभावक रही है और परिवार के सदस्यों के लिए कई सालों तक अनेक ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में उसे अपने स्वास्थ्य़ पर ध्यान देने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। महिलाओं के लिए उनके रोज़ाना की ज़िम्मेदारियों का प्रबंध करते हुए व्यायाम के लिए समय निकाल पाना मुश्किल हो सकता है लेकिन घऱ को उनके लिए एक व्यायाम के अनुकुल जगह बनाया जा सकता है जहाँ वो आसानी से बिस्तर के अंतिम छोर का इस्तेमाल कुछ झटपट व्यायाम के लिए कर सकती हैं जैसे इन्क्लाइन और डिक्लाइन पुश-अप्स या ट्रायसेप डिप्स के ज़रिए ट्रायसेप्स पर काम कर सकती हैं। एक ब्रांड के तौर पर गोदरेज इंटीरियो एक व्यक्ति के जीवन के सभी हिस्सों के महत्व को लेकर जागरुक है और उन्हें कुछ समय निकालकर जीवन में कुछ जगह बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमारे इनोवेटिव फर्निचर डिज़ाइन के ज़रिए हमारी महत्वाकांक्षा हमारे ग्राहकों के घरों को खूबसूरत बनाने की है और उन्हें याद दिलाना है कि विभिन्न तरह के जीवन के दबाव के बावजूद हमें अपने जुनून, परिवार और दोस्तों के लिए हमारे घरों में जगह बनानी चाहिए।”
खतरनाक रुप से, इस अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ है कि 71% महिलाएं रोज़ाना व्यायाम या वर्कआउट नहीं करती जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा है 63% है। करीब एक तिहाई (30%) महिलाओं का कहना है कि वो परिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण रोज़ाना व्यायाम नहीं कर पाती और 30% महिलाओं को साथ में व्यायाम करने में कोई रुचि नहीं है। इतना ही नहीं वर्क-लाइफ के बीच संतुलन बनाते हुए सात में से पांच (76%) से ज्यादा पेशेवर पुरुष अपनी तरह की ज़िंदगी नहीं जी पाते, वहीं तुलना करें तो ऐसा न कर पाने वाले महिला पेशेवरों की संख्या हैं सात में से तीन (54%) है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय सर्वे के निष्कर्षों में यह सामने आया है कि 76% भारतीय नियमित रुप से व्यायाम नहीं करते। 49.9% भारतीयों का कहना है कि काम की प्रतिबद्धता के चलते वे व्यायाम नहीं कर पाते, 29.3% भारतीयों का कहना है कि परिवार की ज़िम्मेदारियों के कारण वे व्यायाम नहीं कर पाते, और 20.9% भारतीय साथ में व्यायाम करने में रुचि नहीं रखते।
यह सर्वेक्षण चंडीगढ़, मुंबई, जयपुर, पटना, कोयम्बटूर, पुणे, लखनउ, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और अहमदाबाद सहित 13 शहरों में रह रहे 1300 भारतीयों के साथ किया गया।
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